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जॉन बोल्टन का ट्रंप पर हमला, टैरिफ नीति पर उठाए सवाल

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जॉन बोल्टन का ट्रंप पर हमला, टैरिफ नीति को बताया विनाशकारी
ट्रंप पर उनके ही सलाहकार का निशाना

अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सुर्खियों में हैं। इस बार उन पर हमला उनके ही पूर्व सहयोगी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने बोला है। बोल्टन ने ट्रंप की आर्थिक नीतियों, खासकर टैरिफ नीति को विनाशकारी बताते हुए कहा कि इससे न केवल अमेरिका की रणनीतिक बढ़त कमजोर हुई है बल्कि भारत, रूस और चीन से जुड़े समीकरण भी प्रभावित हुए हैं।

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बोल्टन का आरोप: दशकों की मेहनत ध्वस्त
बोल्टन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि ट्रंप की टैरिफ नीति ने पश्चिमी देशों की उस कोशिश को कमजोर कर दिया है जिसमें भारत को धीरे-धीरे रूस से दूर किया जा रहा था और चीन के खतरे के प्रति जागरूक किया जा रहा था। उन्होंने कहा, “पश्चिम ने दशकों से भारत को रूस से दूर करने और चीन द्वारा उत्पन्न खतरे के प्रति सचेत करने की रणनीति अपनाई थी। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी विनाशकारी टैरिफ नीति से इन सारे प्रयासों को ध्वस्त कर दिया।”

शी जिनपिंग को मिला फायदा
बोल्टन ने आगे कहा कि ट्रंप की नीति ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भू-राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप देने का अवसर दिया। दरअसल, जब अमेरिका ने भारत पर टैरिफ दबाव बनाया तो इसका लाभ चीन ने उठाया और भारत को अपनी ओर खींचने की कोशिश की। बोल्टन का मानना है कि यह स्थिति लंबे समय में अमेरिका की वैश्विक स्थिति के लिए खतरा साबित हो सकती है।

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भारत पर क्यों पड़ा असर
ट्रंप प्रशासन ने अपने कार्यकाल में कई बार भारत से आयातित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए। विशेषकर स्टील, एल्युमिनियम और कृषि उत्पादों पर लगाए गए शुल्कों से भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ा।

बोल्टन के मुताबिक, इन कदमों से भारत को यह संदेश गया कि अमेरिका उसकी आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को बाधित कर रहा है। नतीजतन, भारत ने रूस और चीन के साथ अपने रिश्तों को बनाए रखने पर ज्यादा जोर दिया। यही वजह है कि अमेरिका की decades-long diplomacy कमजोर होती नजर आई।

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ट्रंप का आर्थिक दृष्टिकोण बनाम रणनीतिक हित
ट्रंप ने हमेशा अपने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे पर जोर दिया। उनकी नजर में टैरिफ नीति अमेरिकी उद्योग और किसानों की सुरक्षा के लिए जरूरी थी। लेकिन बोल्टन जैसे रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति अल्पकालिक आर्थिक लाभ पर केंद्रित रही और दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को नुकसान पहुंचाती रही।

ट्रंप की यह नीति न केवल भारत के साथ बल्कि यूरोपीय सहयोगियों और एशियाई साझेदारों के साथ भी तनाव का कारण बनी।

अमेरिकी राजनीति में नया विवाद
बोल्टन का यह बयान अमेरिकी राजनीति में नया विवाद खड़ा कर रहा है। ट्रंप पहले से ही रिपब्लिकन पार्टी के भीतर अपने नेतृत्व को लेकर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वहीं डेमोक्रेट्स उन्हें 2024 चुनावों में घेरने की रणनीति बना रहे हैं।

अब बोल्टन का बयान ट्रंप की विदेश नीति और आर्थिक निर्णयों को फिर से कटघरे में खड़ा कर सकता है।

बोल्टन और ट्रंप का पुराना विवाद
जॉन बोल्टन और डोनाल्ड ट्रंप के रिश्ते पहले भी विवादों से भरे रहे हैं। बोल्टन 2018 से 2019 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे, लेकिन कई मुद्दों पर ट्रंप से असहमत होने के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया। बाद में उन्होंने अपनी किताब “The Room Where It Happened” में ट्रंप के नेतृत्व और निर्णयों की आलोचना की थी।
अब एक बार फिर बोल्टन ने ट्रंप की नीतियों को लेकर निशाना साधा है, जो बताता है कि दोनों के बीच तनाव अब भी कायम है।

अंतरराष्ट्रीय असर
बोल्टन की टिप्पणी को सिर्फ अमेरिकी राजनीति तक सीमित नहीं माना जा रहा। विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान वैश्विक कूटनीति पर भी असर डाल सकता है। भारत फिलहाल अमेरिका का एक अहम रणनीतिक साझेदार है, खासकर इंडो-पैसिफिक रणनीति में। लेकिन अगर ट्रंप की नीतियों से भारत को असहजता महसूस हुई तो इसका फायदा रूस और चीन उठा सकते हैं।

जॉन बोल्टन का हमला यह संकेत देता है कि अमेरिका की आंतरिक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय रणनीति के बीच गहरी खाई है। ट्रंप की टैरिफ नीति भले ही घरेलू राजनीति में उन्हें लाभ दिलाने के लिए बनाई गई हो, लेकिन इसके असर से अमेरिका की दशकों की वैश्विक कूटनीति प्रभावित हुई। बोल्टन के इस बयान ने ट्रंप के नेतृत्व पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं और आने वाले दिनों में यह अमेरिकी चुनावी बहस का अहम मुद्दा बन सकता है।

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