आजसू पार्टी स्थापना दिवस नहीं, बलिदान दिवस मनाती है : ललित महतो का बड़ा दावा

रांची, 19 जून 2025:ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष ललित कुमार महतो ने आज एक अहम प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आजसू पार्टी की वैधता, गठन तिथि और वर्तमान स्वरूप को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने साफ किया कि 22 जून को आजसू पार्टी द्वारा मनाया जाने वाला स्थापना दिवस ऐतिहासिक रूप से भ्रामक है, क्योंकि असल में 22 जून ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) का स्थापना दिवस है, न कि किसी राजनीतिक पार्टी का स्थापना दिवस या बलिदान दिवस.

राजनीतिक पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक सच्चाई पर सवाल
ललित महतो के अनुसार,
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“आजसू की राजनीतिक इकाई वास्तव में ‘झारखंड पीपुल्स पार्टी’ है। 1986 में छात्र संगठन के रूप में शुरू हुआ ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन झारखंड राज्य गठन के लिए सक्रिय आंदोलन में सबसे अग्रणी था। लेकिन झारखंड राज्य गठन के बाद एक साजिश के तहत AJSU का राजनीतिक उपयोग कर उसे एक राजनीतिक दल के रूप में रजिस्टर करवा लिया गया।”
उन्होंने कहा कि 2007 में चुनाव आयोग ने नाम परिवर्तन कर इसे ‘आजसू ‘ के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन इसका मूल संगठन AJSU अब भी छात्र संगठन है, न कि राजनीतिक दल।


आजसू पर गंभीर आरोप
ललित महतो ने आजसू के वर्तमान नेतृत्व पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी में आज क्रेशर मालिक, कोयला माफिया, बालू व्यवसायी, प्राइवेट स्कूल और यूनिवर्सिटी मालिक, होटल कारोबारी, शिक्षा माफिया जैसे लोगों का बोलबाला है। संगठन में झारखंड आंदोलन से जुड़े मूल कार्यकर्ताओं को हाशिए पर डाल दिया गया है, और सत्ता में भागीदारी के लिए दूसरे दलों से आए लोगों को प्राथमिकता दी जाती है।
उन्होंने कहा कि “इनका मक़सद केवल झारखंड के नौजवानों को गुमराह कर अपना व्यावसायिक और राजनीतिक हित साधना है।”


चुनाव आयोग में शिकायत और दिल्ली दौरे की घोषणा
ललित महतो ने एलान किया कि वे AJSU के नाम का अनधिकृत राजनीतिक इस्तेमाल करने वालों के विरुद्ध चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली जाएंगे। उन्होंने इसे झारखंडी अस्मिता और छात्र आंदोलन के अपमान से जोड़ा।
जनवरी 2026 में होगा AJSU का अधिवेशन
ललित महतो ने प्रेस को बताया कि जनवरी 2026 में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन का विधिवत अधिवेशन आयोजित किया जाएगा, जिसमें छात्र और नवजवानों को AJSU की कमान सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा झारखंड की नई पीढ़ी को एक वैचारिक, संघर्षशील और निःस्वार्थ नेतृत्व की आवश्यकता है जो राज्य के असली उद्देश्यों को पूरा कर सके।आज भी मैं उन्हीं साथियों के साथ हूं जो झारखंड आंदोलन के दौरान कभी किसी दूसरे दल में नहीं गए.
अपने बयान में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग आजसू आंदोलन के मूल सहयोगी रहे हैं, जिन्होंने कभी संगठन नहीं छोड़ा, वही मेरे संघर्ष के सच्चे साथी हैं और मैं उनके साथ खड़ा हूं।