नेपाल में सेना ने संभाला मोर्चा; ओली सरकार गिरी, संसद-सुप्रीम कोर्ट जले – 19 की मौत

काठमांडू :नेपाल में तीन दिनों से जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने बुधवार को राजनीतिक हलचल मचा दी। सोशल मीडिया प्रतिबंध और कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए Gen-Z नेतृत्व वाले इस आंदोलन ने ऐसा रूप ले लिया कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सत्ता से बाहर होना पड़ा। राजधानी काठमांडू की सड़कों पर आज सन्नाटा है, लेकिन कल की हिंसा के निशान साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं।

सरकार गिरने की पृष्ठभूमि
प्रदर्शन की शुरुआत सोशल मीडिया प्रतिबंध के विरोध से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे यह सरकार की कथित नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनाक्रोश में बदल गया। युवा, खासकर Gen-Z, सड़कों पर उतर आए। पिछले तीन दिनों में प्रदर्शन हिंसक होते गए और पुलिस की गोलीबारी में कम से कम 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। कई सरकारी भवनों में आगजनी की गई, जिससे राजधानी की स्थिति भयावह हो गई।
संसद और सुप्रीम कोर्ट पर हमला
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने सिंहदरबार, संसद भवन, राष्ट्रपति निवास और सुप्रीम कोर्ट जैसी संवेदनशील इमारतों को निशाना बनाया। इन भवनों में आग लगाने और तोड़फोड़ करने की खबरें आईं। Financial Times और Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, यह नेपाल के इतिहास में अभूतपूर्व हिंसा मानी जा रही है।
सेना का मोर्चा और कर्फ्यू
हिंसा के बीच नेपाल सरकार ने सेना को काबू में करने का आदेश दिया। The Wall Street Journal की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाली सेना ने काठमांडू में कर्फ्यू लागू कर दिया है और संसद भवन समेत संवेदनशील स्थानों पर जवानों की तैनाती की गई है। सीमा के आस-पास भी सेना और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई है। Politico की रिपोर्ट बताती है कि हेलीकॉप्टर से निगरानी और सेना के फ्लैग मार्च से स्थिति पर नियंत्रण करने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
युवाओं के आक्रोश के आगे नतमस्तक सरकार
Gen-Z नेतृत्व वाले इस आंदोलन में युवाओं ने ‘भ्रष्टाचार और दमनकारी नीतियों’ के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। सोशल मीडिया बंद करने का निर्णय आंदोलन का कारण बना, जिसके बाद से ही छात्रों और युवाओं में सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता गया। AP News के मुताबिक, सरकार ने शुरुआत में कठोर पुलिस कार्रवाई की, लेकिन प्रदर्शन थमने के बजाय और उग्र हो गए।

राजनीतिक भविष्य पर सवाल
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन फिलहाल नेपाल में सत्ता का अगला समीकरण स्पष्ट नहीं है। सेना ने बयान जारी कर कहा है कि उसकी प्राथमिकता शांति और कानून-व्यवस्था बहाल करना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ है।

धार्मिक और सामाजिक असर
नेपाल में इस घटना से धार्मिक और सामाजिक संगठन भी सकते में हैं। काठमांडू में मंदिरों और सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। Experts का कहना है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो यह आंदोलन नेपाल के बाहर के देशों में भी असर डाल सकता है। नेपाल की राजधानी काठमांडू में फिलहाल सन्नाटा पसरा है, लेकिन सेना और सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती ने शहर को बैरिकेड्स और चेकपोस्ट में बदल दिया है। देश में एक बड़ा राजनीतिक शून्य पैदा हो गया है, जिससे आने वाले दिनों में नए गठजोड़ और राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।