राहुल गांधी की बढ़ी मुश्किलें: चाईबासा कोर्ट ने जारी किया गैर-जमानती वारंट, 26 जून को होना होगा पेश

2018 के भाषण को लेकर दायर मानहानि मामले में अदालत ने कड़ा रुख अपनाया
चाईबासा, 24 मई 2025: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की कानूनी परेशानियाँ एक बार फिर से गहराती नजर आ रही हैं। झारखंड के चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को राहुल गांधी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी करते हुए उन्हें 26 जून 2025 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

छूट याचिका खारिज, कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने यह आदेश राहुल गांधी के वकील द्वारा दाखिल की गई व्यक्तिगत पेशी से छूट की अर्जी को खारिज करते हुए दिया। भाजपा नेता प्रताप कटियार द्वारा दर्ज कराए गए मानहानि मामले में बार-बार समन और वारंट जारी होने के बावजूद राहुल गांधी की अदालत में अनुपस्थिति को देखते हुए यह सख्त कदम उठाया गया है।

क्या है पूरा मामला?
यह मामला वर्ष 2018 में राहुल गांधी के एक राजनीतिक भाषण से जुड़ा है।
28 मार्च 2018 को कांग्रेस के एक कार्यक्रम में भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए राहुल गांधी ने कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके खिलाफ भाजपा नेता प्रताप कुमार कटियार ने 9 जुलाई 2018 को चाईबासा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) की अदालत में मानहानि का वाद दायर किया था।


मामले का स्थानांतरण और कानूनी प्रक्रिया

झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह मामला 20 फरवरी 2020 को रांची स्थित एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में चाईबासा में एमपी-एमएलए कोर्ट के प्रारंभ होने पर केस को फिर से वहीं स्थानांतरित कर दिया गया। चाईबासा के न्यायिक दंडाधिकारी ने मामले का संज्ञान लेते हुए राहुल गांधी को समन जारी किया था।
लगातार अनुपस्थिति बनी कार्रवाई की वजह
समन के बावजूद राहुल गांधी अब तक अदालत में पेश नहीं हुए।
पहले जमानती वारंट जारी हुआ, लेकिन अनुपस्थिति बरकरार रही।
राहुल गांधी के वकील ने झारखंड हाईकोर्ट में वारंट पर स्थगन की याचिका दी थी, जिसे 20 मार्च 2024 को खारिज कर दिया गया।
इसके बाद चाईबासा कोर्ट में पेशी से छूट की अर्जी दाखिल की गई, जिसे 22 मई 2025 को खारिज कर दिया गया।
अब क्या हो सकता है आगे?
चाईबासा कोर्ट द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अगर राहुल गांधी 26 जून 2025 को भी अदालत में पेश नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट या अन्य कठोर कानूनी कार्रवाई की संभावना बढ़ जाती है।
राजनीतिक प्रभाव भी संभव
यह मामला सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया भर नहीं है, बल्कि इसकाe राजनीतिक असर भी हो सकता है। राहुल गांधी इस समय लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। ऐसे में कोर्ट में उनकी अनुपस्थिति और वारंट जैसी कार्रवाइयाँ राजनीतिक विमर्श का केंद्र बन सकती हैं।