काली मंदिर परिसर में प्लास्टिक बैग में मिला नवजात शिशु का शव, इंसानियत पर सवाल

नवजात शिशु का शव

पतरातू में फैली सनसनी, पूर्व मुखिया की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस, जांच में जुटा प्रशासन

रामगढ़, झारखंड: झारखंड के रामगढ़ जिले से एक ऐसी दर्दनाक और मानवता को शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है, जिसने हर संवेदनशील हृदय को झकझोर कर रख दिया है। पतरातू थाना क्षेत्र स्थित काली मंदिर परिसर में मंगलवार की सुबह एक प्लास्टिक बैग में नवजात शिशु का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई।

Maa RamPyari Hospital

शव मिलने की सूचना हैसला पंचायत के पूर्व मुखिया वीरेन्द्र झा को मिली, जिसके बाद उन्होंने न सिर्फ इस अमानवीय घटना की जानकारी पतरातू थाना को दी, बल्कि खुद थाने पहुंचकर एक लिखित आवेदन भी सौंपा।

इंसानियत को झकझोरने वाली तस्वीर
शव प्लास्टिक के एक पुराने, गंदे बैग में लिपटा हुआ था, जिसे मंदिर परिसर के एक कोने में फेंका गया था। मंदिर में पूजा-पाठ के लिए आए लोगों ने जब बैग से बदबू महसूस की, तब यह भयावह सच्चाई सामने आई। पहले तो लोग कुछ समझ नहीं पाए, लेकिन जब बैग खोला गया, तो वहां एक नवजात का शव देखकर हर किसी की आंखें भर आईं।

whatsapp channel

Maa RamPyari Hospital

वीरेन्द्र झा ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा –

“बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था या पैदा कर मार दिया गया, ये तो जांच का विषय है। लेकिन एक नवजात को यूं मंदिर में लावारिस फेंक देना समाज की गिरती संवेदनाओं का प्रमाण है। अगर उसे दफना ही दिया जाता, तो शायद इतना दिल दहला देने वाला दृश्य सामने नहीं आता। लगता है इंसानियत मर चुकी है।”

the-habitat-ad

पुलिस ने शव को कब्जे में लिया, शुरू हुई जांच
सूचना मिलते ही पतरातू थाना प्रभारी की अगुवाई में एक पुलिस टीम मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने आसपास के क्षेत्रों में पूछताछ शुरू कर दी है, साथ ही सीसीटीवी फुटेज खंगालने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है, ताकि पता लगाया जा सके कि शव को मंदिर परिसर में किसने और कब छोड़ा।

RKDF

थाना प्रभारी ने बताया कि शव की स्थिति देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि नवजात की उम्र एक से दो दिन के बीच की थी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि नवजात का जन्म मृत अवस्था में हुआ था या फिर उसे मारकर फेंका गया।

समाज की संवेदनहीनता पर भारी सवाल
यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि हमारे समाज की गिरती संवेदनशीलता और मानवीय मूल्यों के पतन का उदाहरण भी है। एक नवजात को मंदिर जैसी पवित्र जगह पर इस प्रकार त्याग देना न सिर्फ अपराध है, बल्कि धर्म और संस्कृति के मूल तत्वों के विरुद्ध भी है।

विगत वर्षों में ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है, जहां आर्थिक या सामाजिक दबाव में लोग नवजातों को कचरे के ढेर, नालियों या सुनसान इलाकों में फेंक देते हैं। ऐसे मामलों में ज्यादातर शिकार नवजात बच्चियां होती हैं, जो सामाजिक भेदभाव और मानसिक संकीर्णता का शिकार बनती हैं।

प्रशासन से उठी सवालों की झड़ी
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। अस्पतालों, नर्सिंग होम्स और ग्रामीण स्तर पर प्रसव से जुड़े रिकॉर्ड की निगरानी की जाए ताकि ऐसे मामलों की पहचान समय रहते हो सके।

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि सरकार को ऐसे बच्चों के लिए “सेफ बेबी डिलीवरी प्वाइंट” बनाने चाहिए, जहां कोई भी माता-पिता अगर नवजात को न पाल सके, तो कानूनी रूप से उसे किसी जिम्मेदार संस्था को सौंप सकें।

पतरातू काली मंदिर परिसर में मिले नवजात के शव ने समाज की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है। यह सिर्फ एक क्राइम न्यूज नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी है जो बताती है कि आधुनिकता के दौर में हम संवेदना और इंसानियत के कितने नीचे गिर चुके हैं।

पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही दोषियों को पकड़कर न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। मुनादी लाइव इस मामले पर अपडेट देता रहेगा, बने रहिए हमारे साथ।ड़कर न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। मुनादी लाइव इस मामले पर अपडेट देता रहेगा, बने रहिए हमारे साथ।

रिपोर्ट: मुकेश सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *