सीसीएल मुख्यालय में आरसीएमएस परिवार ने स्व. चंद्रशेखर दूबे (ददई दूबे) को दी श्रद्धांजलि, मजदूर आंदोलन के सच्चे मसीहा को कहा अंतिम विदाई

ददई दूबे निधन
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मजदूर हितों की बुलंद आवाज और संघर्ष के प्रतीक रहे स्व. ददई दूबे के निधन पर दो मिनट का मौन, आरसीएमएस नेताओं ने कहा – उनकी कमी सदैव खलेगी

रांची: झारखंड की मज़दूर राजनीति के एक स्तंभ और झारखंड सरकार में पूर्व मंत्री रहे परम आदरणीय स्व. चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे के निधन से संपूर्ण श्रमिक समुदाय शोकाकुल है। इसी क्रम में सोमवार को सीसीएल मुख्यालय रांची स्थित यूनियन कार्यालय में राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (RCMS) द्वारा शोकसभा का आयोजन किया गया।

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शोकसभा का आयोजन दिन के 11 बजे किया गया, जहाँ RCMS परिवार और तमाम यूनियन पदाधिकारियों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी और ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

ददई दूबे मजदूरों के सच्चे मसीहा थे – आरसीएमएस अध्यक्ष आर.पी. सिंह
इस अवसर पर आरसीएमएस के मुख्यालय अध्यक्ष आर.पी. सिंह ने कहा,

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“स्व. ददई दूबे मजदूरों के सच्चे मसीहा थे। उन्होंने जीवन भर मज़दूर हितों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उनका असमय जाना हम सभी के लिए अपूरणीय क्षति है। वे न सिर्फ एक जन नेता थे, बल्कि श्रमिक चेतना की आवाज़ भी थे। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता।”

शोकसभा में जुटे तमाम श्रमिक नेता और सदस्य
शोकसभा में यूनियन से जुड़े वरिष्ठ और सक्रिय सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।, उपस्थित प्रमुख लोगों में सचिव पंकज दूबे , आरसीएमएस उपाध्यक्ष मिथलेश दूबे , ऋषिकांत पांडेय, संतोष रंजन, प्रविण कुमार, विकाश कुमार, शुभम सिंह, ब्रह्मकिशोर चौधरी, मनोज त्रिपाठी, अशरफ कमाल, परवेज आलम, हरेंद्र दुबे, टिंकु तिवारी, शिवनंदन पासवान, जितेंद्र सिंह, संजय कुजूर, अनिल घासी, नितिन वर्मा, सौरभ घोष, जेयायूल आदि शामिल थे।

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मजदूर आंदोलनों का स्तंभ रहे ददई दूबे
स्व. चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे ने झारखंड की राजनीति में मज़दूरों की आवाज़ को बुलंद किया। उनका कार्यकाल कई सामाजिक और श्रमिक हितों से जुड़ी योजनाओं के लिए याद किया जाता है। वे हमेशा ज़मीनी स्तर पर मज़दूरों के हक में खड़े रहे और उनकी पीड़ा को सत्ता के गलियारों तक पहुँचाया।

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उनकी सोच थी कि मज़दूर केवल उत्पादन का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का मूल स्तंभ हैं। उन्होंने कई मौकों पर कोल कंपनियों, यूनियनों और सरकार के बीच सेतु की भूमिका निभाई।

आरसीएमएस द्वारा आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा न केवल एक नेता को याद करने का अवसर थी, बल्कि यह एक पीढ़ी को उनके विचारों और संघर्षों से जोड़ने का एक माध्यम भी बना।
स्व. चंद्रशेखर दूबे के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, और मज़दूर हितों की लड़ाई में उनकी विचारधारा हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।

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