सरला बिरला पब्लिक स्कूल में ‘वात्सल्यम्-3’ की भव्य प्रस्तुति

नन्हे छात्रों ने प्रस्तुत की भगवान बिरसा मुंडा की वीरगाथा, सांस्कृतिक रंगों से सजी विरासत की झलक
रांची, 19 जुलाई 2025: सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची द्वारा ‘वात्सल्यम्-2025’ के अंतर्गत एक शानदार और भावनात्मक सांस्कृतिक कार्यकर्म का आयोजन किया गया, जिसमें स्कूल के केजी-2 कक्षा के नन्हे-मुन्ने छात्रों ने अद्भुत प्रस्तुतियां दीं। इस वर्ष कार्यक्रम का थीम था — ‘बिरसा की गूंज: क्रांति की विरासत, संस्कृति की पहचान’, जो कि झारखंड के महान आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और योगदान पर केंद्रित रहा।


विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति ने बढ़ाया उत्साह
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे:
- डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा, सांसद (राज्यसभा), प्रदेश महामंत्री, भाजपा झारखंड
- प्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक, महानिदेशक, सरला बिरला विश्वविद्यालय
- कर्मवीर सिंह, प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रदेश महामंत्री (संगठन), भाजपा झारखंड
- मंटू, विभाग प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, रांची
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और स्वागत गीत के साथ हुआ। इसके पश्चात छात्रों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मंच पर जादू बिखेर दिया और उपस्थित अभिभावकों, विशेषकर दादा-दादी और नाना-नानी के चेहरों पर मुस्कान ला दी।

मंच पर जीवंत हुआ झारखंड का इतिहास
‘वात्सल्यम्-3’ के दौरान छात्र-छात्राओं ने विभिन्न समूहों में झारखंड की संस्कृति, भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान, आदिवासी परंपरा और राज्य के पर्वों की झलक प्रस्तुत की।
- केजी-2 ‘A’ के छात्रों ने ‘रूट्स ऑफ जॉय’ के माध्यम से सरहुल पर्व को मंच पर उतारा
- केजी-2 ‘C’ ने ‘प्राइड ऑफ झारखंड’ नामक नृत्य प्रस्तुति दी, जिसमें राज्य के विकास और समृद्धि को दर्शाया गया
- केजी-2 ‘B’ के बच्चों ने ‘ग्रीन ग्रेस – द कर्मा टेल’ में कर्मा नृत्य की रंग-बिरंगी झांकी प्रस्तुत की
- केजी-2 ‘M’ ने भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान पर प्रस्तुति दी जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया
- ‘सोल ऑफ द रेड सॉयल’ और वन महोत्सव पर आधारित नृत्य ने भी खूब तालियां बटोरीं
प्रत्येक प्रस्तुति को इस तरह कोरियोग्राफ किया गया था कि झारखंड की सांस्कृतिक विविधता, आदिवासी गर्व और स्वतंत्रता संग्राम की झलक एक साथ सामने आए।


प्राचार्या का प्रेरणादायक संबोधन
कार्यक्रम के समापन पर प्राचार्या परमजीत कौर ने सभी अतिथियों, अभिभावकों और छात्रों को धन्यवाद देते हुए कहा:
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“यह केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, यह हमारी परंपरा, हमारी पहचान और स्वतंत्रता संग्राम को नमन करने का माध्यम था। दादा-दादी और नाना-नानी हमारे परिवार की नींव हैं और उनकी उपस्थिति हमें भावनात्मक रूप से जोड़ती है।”
उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल बच्चों में सांस्कृतिक चेतना उत्पन्न होती है, बल्कि विरासत के प्रति सम्मान और राष्ट्र के लिए समर्पण का भाव भी पनपता है।
क्या कहती है आयोजन की विशेषता
‘वात्सल्यम्’ केवल एक ग्रैंडपैरेंट्स डे नहीं है, बल्कि यह स्कूल की उस सोच को दर्शाता है जहां परंपरा और आधुनिकता का संगम होता है। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को संस्कार, समाज और संस्कृति से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। विद्यालय प्रशासन ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के भावनात्मक विकास, सामाजिक संवाद और भारतीयता से जुड़ाव के लिए जरूरी हैं।

‘वात्सल्यम्-3’ के रूप में सरला बिरला पब्लिक स्कूल ने यह सिद्ध कर दिया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि शिक्षा का सशक्त माध्यम हैं। नन्हें छात्रों की प्रस्तुति ने न केवल भगवान बिरसा मुंडा की गाथा को पुनर्जीवित किया, बल्कि उपस्थित अतिथियों को यह संदेश भी दिया कि आज की पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ रही है — गर्व और गरिमा के साथ।
मुनादी लाइव के लिए अमित की रिपोर्ट।