सरला बिरला पब्लिक स्कूल में ‘एक्स्ट्रावैगेंजा 2025’ ग्रीष्मकालीन शिविर का रंगारंग समापन

एक्स्ट्रावैगेंजा 2025 सरला बिरला
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छह दिवसीय शिविर में बच्चों ने सीखी रचनात्मकता, आत्मनिर्भरता और कला की बारीकियां

रांची, 17 मई 2025: सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची में आयोजित आवासीय ग्रीष्मकालीन शिविर ‘एक्स्ट्रावैगेंजा 2025’ का समापन शनिवार को शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और विद्यार्थियों की प्रतिभा के उत्सव के साथ हुआ। छह दिवसीय इस शिविर ने विद्यार्थियों को न केवल रचनात्मक कौशलों से जोड़ा, बल्कि आत्म-अनुशासन, टीमवर्क और समग्र विकास का मंच भी प्रदान किया।

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शिविर में रोबोटिक्स, खगोल विज्ञान, पारंपरिक चित्रकला, योग, नृत्य, जुम्बा, एरोबिक्स, श्रमदान, टैलेंट हंट और डीजे नाइट जैसी विविध गतिविधियाँ शामिल थीं। बच्चों ने मिट्टी के बर्तन बनाने और मधुबनी पेंटिंग जैसी पारंपरिक कलाओं में भी हाथ आजमाया, जिससे उन्हें भारत की सांस्कृतिक विरासत को करीब से समझने का मौका मिला।

उलगुलान’: बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि

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कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा ‘उलगुलान’ नामक एक भव्य नृत्य-नाटिका, जिसमें विद्यार्थियों ने बिरसा मुंडा के जीवन और आदिवासी अस्मिता के संघर्ष को कथक और छऊ नृत्य शैली के मिश्रण से प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया और विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा की गहराई को उजागर किया।

खगोल विज्ञान और रोबोटिक्स से बच्चों की सोच को मिला नया आयाम

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शिविर के दौरान आयोजित खगोल विज्ञान कार्यशाला में बच्चों ने ग्रहों, तारों और अंतरिक्ष विज्ञान की बुनियादी समझ विकसित की। वहीं रोबोटिक्स सत्र ने तकनीक के प्रति उनकी रुचि को गहरा किया।

प्राचार्या का संदेश

समापन समारोह में प्राचार्या शपरमजीत कौर ने कहा:

“आज की पीढ़ी को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि रचनात्मक सोच, तकनीकी दक्षता और सांस्कृतिक जुड़ाव की आवश्यकता है। ‘एक्स्ट्रावैगेंजा 2025’ जैसे शिविर बच्चों के समग्र विकास में मील का पत्थर साबित होते हैं।”

उन्होंने शिक्षकों, प्रशिक्षकों और अभिभावकों को उनके सतत सहयोग और विद्यार्थियों को उनके उत्साह और समर्पण के लिए धन्यवाद दिया।

‘एक्स्ट्रावैगेंजा 2025’ ग्रीष्मकालीन शिविर ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि शिक्षा को अनुभव, कला और विज्ञान से जोड़ा जाए, तो बच्चों की क्षमताओं को नई उड़ान मिल सकती है। सरला बिरला पब्लिक स्कूल की यह पहल रांची के शैक्षणिक परिदृश्य में एक प्रेरणास्पद उदाहरण है।

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