217 करोड़ की योजना डूबी, 9 साल से अधूरी जलापूर्ति योजना बना सरकार की नाकामी की तस्वीर! ग्रामीण आज भी पीने को मजबूर नाले-झरने का गंदा पानी

पाकुड़, झारखंड: 217 करोड़ खर्च हो गए, लेकिन पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंची! झारखंड के पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के ग्रामीण आज भी पीने को मजबूर हैं वही गंदा, मटमैला और बीमारियों से भरा झरनों का पानी। 9 साल पहले जिस बहु-जलापूर्ति योजना का सपना दिखाया गया था, वह आज तक अधूरा पड़ा है। सवाल है — जब पैसे खर्च हो गए तो पानी कहां गया? जवाबदेह कौन है?”

मुनादी लाइव आपको ले चलता है लिट्टीपाड़ा के कुंजबोना, कर्माटाड़ और जोड़डीहा जैसे गांवों में जहां जिंदगी रोज़ पानी के लिए जंग लड़ती है। 9 साल पहले जिस योजना को लेकर सरकार ने ढोल पीटा था, वह ज़मीन पर आज भी अधूरी है। झरनों से पानी भरते बच्चे, सिर पर बाल्टी ढोती महिलाएं, टूटी हुई पाइपलाइन, जंग खाई टंकियां, वीरान निर्माण स्थल ही अब इस गांव की नियति बन गयी है।
यह 217 करोड़ रुपये की योजना 2015 में रघुवर सरकार ने शुरू की थी। दावा था कि 304 गांवों के 1 लाख 5 हजार लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा । लेकिन आज भी ये लोग नाला-झरने का गंदा पानी पीते हैं ।

तो सवाल है की ये भ्रष्टाचार है या लापरवाही? और अगर पैसा लग चुका है तो आखिर पानी कहां है?
स्थानीय ग्रामीण का कहना है की सरकार ने झूठा सपना दिखाया। कहा था घर-घर नल से पानी मिलेगा, लेकिन आज भी हम वही नाला-झरना पी रहे हैं। अब बच्चे बीमार पड़ते हैं, अस्पताल का खर्च अलग। 217 करोड़ रुपये कहां गए — पूछिए नेताओं और अफसरों से। अगर ये राजधानी होता तो अब तक योजना पूरी हो जाती, लेकिन यहां तो कोई सुनने वाला ही नहीं है।


ग्रामीणों की हालत बद से बदतर हो रही है। दूषित पानी पीकर बीमारियां फैल रही हैं, लेकिन सिस्टम मौन है। अधिकारी आते हैं, मुआयना करते हैं, चले जाते हैं — और जनता बस इंतजार करती रह जाती है।
पाइपलाइन अधूरी है , टंकी अधूरी है , सप्लाई शून्य है — लेकिन बजट पूरा है । सवाल बड़ा है — क्या ये योजना सिस्टम की बंदरबांट का शिकार हुई? क्यों नहीं अब तक इसकी उच्चस्तरीय जांच हुई
झारखंड में विकास के नाम पर फाइलें आगे बढ़ती हैं, लेकिन योजनाएं नहीं। पाकुड़ की अधूरी जल योजना इस राज्य के शासन और प्रशासन की शर्मनाक नाकामी की मिसाल है। अब वक्त आ गया है कि सरकार सिर्फ कागज़ों पर काम दिखाना बंद करे और ज़मीन पर कुछ करके दिखाए — वरना जनता सवाल भी पूछेगी और जवाब भी लेगी!
“Munadi Live” की ये मुहिम तब तक जारी रहेगी, जब तक बदलाव नहीं आता।
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