चंद्रगुप्त परियोजना से संबंधित वन भूमि आवंटन पर भ्रामक समाचार—सीसीएल ने दी तथ्यात्मक स्थिति

रांची ,15 मई 2025: पिछले कुछ दिनों से झारखंड के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में हजारीबाग जिले के केरेडारी अंचल अंतर्गत चंद्रगुप्त कोल परियोजना से जुड़ी वन भूमि के दस्तावेजों की कथित हेराफेरी और भूमि आवंटन में अरबों रुपये के घोटाले की खबरें प्रकाशित की गई हैं। सीसीएल द्वारा अब इस पर स्पष्ट और प्रमाणिक जानकारी प्रस्तुत करते हुए इन खबरों को भ्रामक और तथ्यों से परे बताया गया है।

क्या है चंद्रगुप्त परियोजना की भूमि स्थिति?
चंद्रगुप्त परियोजना के लिए भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा कुल 1495 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण Coal Bearing Areas (Acquisition & Development) Act, 1957 के तहत किया गया है। यह सम्पूर्ण भूमि सीसीएल (Central Coalfields Limited) के अधीन निहित है। इनमें से केवल 699.38 हेक्टेयर भूमि को वन भूमि से अपयोजित (diverted) किया गया है, जिसे राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकार द्वारा जांचोपरांत अनुशंसा के आधार पर भारत सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अनुमोदन प्राप्त हुआ है। महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि चर्चा में आई 417 एकड़ (लगभग 168.76 हेक्टेयर) भूमि इस 699.38 हेक्टेयर के अपयोजन में शामिल नहीं है।

दस्तावेज़ी प्रक्रिया और पारदर्शिता
वन विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक 4715 (दिनांक 27/11/2018) के आलोक में उपायुक्त, हजारीबाग ने पत्रांक 2350 (दिनांक 25/06/2022) के तहत प्रपत्र-I में भूमि विवरण (मौजा, थाना, प्लॉट नंबर, रकबा आदि) प्रस्तुत किया। सीसीएल के मुख्य प्रबंधक, चंद्रगुप्त परियोजना ने प्रपत्र-II में उक्त जानकारी का समर्थन करते हुए प्रतिबद्धता व्यक्त की। ये दस्तावेज वन विभाग के ‘परिवेश पोर्टल’ पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।


25 लाख प्रति एकड़ मुआवज़ा व अरबों के घोटाले की खबरें निराधार
सीसीएल ने स्पष्ट किया है कि—
- 417 एकड़ भूमि के एवज में ना ही किसी रैयत को और ना ही राज्य सरकार को सीसीएल द्वारा कोई मुआवज़ा राशि दी गई है।
- भू-सत्यापन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक किसी को भी लाभ देना संभव नहीं है, और न ही अब तक ऐसा हुआ है।
- इसलिए “25 लाख प्रति एकड़” की दर से मुआवज़े का भुगतान और अरबों रुपये के घोटाले की खबरें पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यों से परे हैं।
MDO की नियुक्ति पर स्थिति स्पष्ट
इस परियोजना के संचालन हेतु सुशी इन्फ्रा एंड माइनिंग लिमिटेड को Mine Developer and Operator (MDO) के रूप में नियुक्त किया गया है। प्रशासन का कहना है कि इस नियुक्ति से पूर्व पर्यावरण स्वीकृति (EC) और वन स्वीकृति (FC) की बाध्यता नहीं होती है, अतः इसमें कोई नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है।
सीसीएल की अपील
सीसीएल ने मीडिया और आम जनता से अपील की है कि—
“परियोजनाओं से संबंधित जानकारी के प्रकाशन से पूर्व प्रामाणिक तथ्यों की पुष्टि करें। अपुष्ट और भ्रामक समाचार से न केवल जनमानस में भ्रम फैलता है, बल्कि विकासात्मक परियोजनाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है।”