सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में 25 से अधिक एंबुलेंस खड़ी हैं ठप, सड़क हादसे में घायल लोगों को निजी वाहनों से भेजा गया रिम्स

सिल्ली एंबुलेंस घोटाला
Share Link

सिल्ली/रांची | 21 जून 2025: सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में विधायक और सांसद निधि से प्राप्त 25 से अधिक एंबुलेंस लंबे समय से बिना परिचालन के बंद पड़ी हैं। ये एंबुलेंस आम जनता की सेवा में लगने के बजाय विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (NGO) को संचालन हेतु सौंप दी गई थीं, परंतु अब ये जमीन पर नजर नहीं आ रहीं।

Maa RamPyari Hospital

रांची ज़िला प्रशासन द्वारा इन वाहनों की स्थिति को लेकर बार-बार स्मारपत्र भेजे जाने के बावजूद भी कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है, जिससे स्वास्थ्य सेवा की गंभीर उपेक्षा उजागर होती है।

एंबुलेंस ठप, निजी वाहन बना मजबूरी का सहारा

Maa RamPyari Hospital

हाल ही में 20 जून को सोनाहातु प्रखंड में हुए एक सड़क हादसे में घायल हुए तीन लोगों को पहले तो स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार दिया गया, लेकिन एम्बुलेंस न होने के कारण उन्हें निजी वाहन से रिम्स, रांची रेफर करना पड़ा। यह स्थिति न सिर्फ व्यवस्था की विफलता को उजागर करती है बल्कि आम जनता की जीवन रक्षा प्रणाली पर भी सवाल खड़ा करती है।

प्रशासनिक पत्राचार की अनदेखी

the-habitat-ad RKDF

रांची जिला प्रशासन द्वारा बार-बार सूचना मांगने और स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्मारपत्र जारी किए गए हैं, लेकिन अब तक किसी भी NGO या विधायक प्रतिनिधि द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है। इससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि कहीं ये वाहन निजी या व्यावसायिक उपयोग में तो नहीं लगाए जा रहे?

जनता में बढ़ रहा आक्रोश, जवाबदेही की मांग तेज

सिल्ली, सोनाहातु, अनगढ़ा, तमाड़, राहे और आसपास के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब विधायक या सांसद निधि से एंबुलेंस खरीदी गई है, तो उसका जमीनी लाभ लोगों तक क्यों नहीं पहुंच रहा?

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राजीव महतो का कहना है:

“सभी पंचायतों में एंबुलेंस उपलब्ध कराने की बात कही गई थी, लेकिन हकीकत ये है कि आज दुर्घटना में घायल लोगों को निजी गाड़ियों में जान जोखिम में डालकर ले जाना पड़ता है। यह आपराधिक लापरवाही है।”

क्या यह जनसेवा या संसाधनों का दुरुपयोग?

विधायक और सांसद निधि से खरीदे गए वाहनों का ऐसे NGO को संचालन हेतु देना, जिनकी जवाबदेही तय नहीं है, सीधे तौर पर संसाधनों के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है। इस मामले में लोकायुक्त या जनहित याचिका के तहत जांच की मांग भी उठ रही है।

“ऐसे समय में जब राज्य सरकार ‘जन-स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ़ करने’ का दावा कर रही है, सिल्ली जैसे क्षेत्रों में एंबुलेंस ठप पड़े रहना न केवल नीति और नीयत की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह बताता है कि विकास योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन कितना सतही है। जनप्रतिनिधियों और प्रशासन दोनों को तत्काल इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण और सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *