बोकारो में विस्थापितों का उग्र विस्फोट, तीन गाड़ियां फूंकी, स्टील प्लांट के सभी गेट जाम

बोकारो: बोकारो में विस्थापितों का गुस्सा अब पूरी तरह उबल चुका है। विस्थापित अप्रेंटिस संघ पर हुए लाठीचार्ज और एक युवक की मौत के बाद मामला अब शांतिपूर्ण विरोध से निकलकर सड़क पर संघर्ष और आगजनी में तब्दील हो चुका है। बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के सभी गेटों को प्रदर्शनकारियों ने बंद कर दिया है। शहर में जगह-जगह रोड जाम लगा दिया गया है। गाड़ियों को निशाना बनाया गया, तोड़फोड़ की गई और तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

बोकारो के ऐस पोंड समेत कई इलाकों में उग्र प्रदर्शनकारियों का कहर देखने को मिला। बीएसएल के खिलाफ आक्रोश इतना तीव्र था कि लोगों ने ‘बीएसएल हटाओ, विस्थापितों को न्याय दो’ जैसे नारे लगाते हुए हिंसक प्रदर्शन किया।
इस घटना के विरोध में आजसू पार्टी और जेकेएलएम के समर्थकों ने बोकारो बंद का आह्वान किया और सड़कों पर उतरकर उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने बोकारो-रामगढ़ मुख्य मार्ग (NH-23) को पूरी तरह जाम कर दिया।हजारों की संख्या में आंदोलनकारी सड़क पर उतर आए, जिससे हाईवे पर गाड़ियों की लंबी कतारें लग गईं।

इससे पूर्व CISF यूनिट के डीआईजी दिग्विजय सिंह ने वीडियो बयान जारी कर घटना की सच्चाई सामने रखी। उन्होंने कहा कि उग्र भीड़ ने पहले हमारे जवानों पर हमला किया, पत्थर और ईंट फेंके थे । पांच जवान और एक अधिकारी घायल हो गए है । सीआईएसएफ ने संयम दिखाया, किसी पर लाठीचार्ज नहीं किया।
लेकिन स्थानीय लोग इस बयान को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका दावा है कि “अगर लाठीचार्ज नहीं हुआ तो एक मौत कैसे हुई?” लोगों का साफ कहना है कि यह हमला सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया था।


घायल हुए कई विस्थापितों ने कहा कि हमारे खून की कीमत कौन देगा?’ हमें अपने ही घर की ज़मीन से बेदखल किया गया, नौकरी नहीं दी, और अब आवाज उठाने पर हमें मारा जा रहा है। क्या विस्थापन का यही इनाम है?”
बोकारो शहर में भारी पुलिस बल और सीआईएसएफ की तैनाती की गई है, लेकिन प्रदर्शनकारियों की संख्या और आक्रोश के सामने प्रशासन बेबस दिख रहा है। शहर की फिजा में तनाव, गुस्सा और गूंजते नारों की आवाज़ है।
अब सवाल उठता है कि इस लाठीचार्ज, मौत और उसके बाद के आंदोलन की आग कहां तक जाएगी? क्या सरकार सिर्फ बयानबाज़ी करके मामले को दबा देगी या वाकई विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई होगी?
बोकारो की सड़कों पर फिलहाल एक ही आवाज़ गूंज रही है —
“न्याय दो, वरना बंद रहेगा बोकारो!”