बोकारो में नक्सल मोर्चे पर बड़ी कामयाबी — महिला नक्सली सुनीता मुर्मू ने किया आत्मसमर्पण, सरकार की सरेंडर पॉलिसी का दिखा असर

बोकारो: बोकारो के लूगु पहाड़ में मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के हौसले पस्त हो रहे हैं । एक करोड़ के इनामी नक्सली के ढेर होने के बाद आज एक महिला नक्सली ने बोकारो पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया है।

बोकारो में नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार हो रही पुलिस की दबिश और राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी का असर अब दिखने लगा है। भाकपा (माओवादी) की सक्रिय सदस्य सुनीता मुर्मू उर्फ लिलमुनि मुर्मू ने आज बोकारो पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एसपी मनोज स्वर्गीयारी, सीआरपीएफ कमांडेंट प्रकाश सी. बादल और अपर समाहर्ता मुमताज अली के समक्ष औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया।
सुनीता मुर्मू का नाम हाल ही में 21 अप्रैल को ऑपरेशन डाकाबेड़ा के तहत हुई भीषण मुठभेड़ में सामने आया था। उस मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी नक्सली विवेक दा सहित आठ हार्डकोर नक्सलियों को ढेर कर दिया गया था, जबकि कई नक्सली जंगलों में भाग निकले थे। डीजीपी अनुराग गुप्ता ने तब ही साफ कर दिया था कि बचे नक्सलियों की तलाश जोरशोर से जारी रहेगी।

पुलिस के बढ़ते दबाव और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आज सुनीता ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। आत्मसमर्पण करते हुए सुनीता ने स्वीकार किया कि वह भटकी हुई थी और अन्य नक्सलियों से भी मुख्यधारा में लौटने की अपील की। सुनीता ने बताया कि वह पहले गिरिडीह जेल में तीन साल की सजा काट चुकी है और उसके खिलाफ कई थानों में गंभीर मुकदमे दर्ज हैं।
सरकार की नीति के तहत सुनीता को पुनर्वास योजना का पूरा लाभ मिलेगा — जिसमें घर, जमीन, आर्थिक सहायता, स्वरोजगार की सुविधा और आगे पढ़ाई का भी अवसर शामिल है। अपर समाहर्ता मुमताज अली ने बताया कि 2018 की सरेंडर पॉलिसी के तहत नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का हरसंभव प्रयास सरकार कर रही है।