राजनगर से गरजा चंपाई सोरेन का बिगुल – धर्मांतरण और घुसपैठियों के खिलाफ आदिवासी एकजुट

राजनगर: राजनगर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने धर्मांतरण और बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर सरकार को खुली चुनौती दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि आदिवासी संस्कृति और पहचान के खिलाफ हो रहे षड्यंत्रों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हजारों की भीड़ ने उनके इस आह्वान पर समर्थन जताया।


राजनगर में अमर शहीद सिदो-कान्हू की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व की रक्षा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने हुंकार भरी।उन्होंने धर्मांतरण और घुसपैठ के मुद्दे पर झारखंड सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि, “वोट बैंक की राजनीति के चलते सरकार अंधी और गूंगी बन गई है।”
चंपाई सोरेन ने बताया कि 1967 में कार्तिक उरांव ने संसद में डीलिस्टिंग बिल पेश किया था, जो आज भी अधर में है। उन्होंने कहा कि जो आदिवासी संस्कृति छोड़ चुका है, वह आरक्षण का हकदार नहीं हो सकता।

उन्होंने साहिबगंज और पाकुड़ का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां बांग्लादेशी घुसपैठिये आदिवासी बेटियों की अस्मत से खेल रहे हैं और जमीनें हड़प रहे हैं।
चंपाई सोरेन ने चेताया कि अगर समय रहते धर्मांतरण नहीं रुका, तो जाहेरस्थान और सरना स्थल वीरान हो जाएंगे।


कार्यक्रम के अंत में चंपाई सोरेन ने ऐलान किया कि वे जल्द ही 10 लाख आदिवासियों के साथ संथाल परगना की माटी से आंदोलन का बिगुल फूकेंगे। अब देखना यह है कि सरकार इस हुंकार का जवाब किस तरह देती है।