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लातेहार यौन हिंसा पर गरमाई राजनीति: भाजपा ने राज्य सरकार को घेरा, कहा – पॉक्सो कोर्ट की भूमिका अफसर निभा रहे हैं!

अजय साह ने सुनाया छात्राओं का ऑडियो, पूछा – अब पॉक्सो का फैसला शिक्षा सचिव करेंगे क्या?
रांची, ब्यूरो रिपोर्ट: झारखंड के लातेहार जिले में संचालित एक मिशनरी स्कूल में नाबालिग छात्राओं के साथ कथित यौन उत्पीड़न के गंभीर मामले ने राज्य में राजनीतिक भूचाल ला दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने इस प्रकरण को लेकर झारखंड सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा है कि झामुमो–कांग्रेस गठबंधन सरकार संवेदनशील बाल अधिकार कानूनों की अनदेखी कर रही है और मामले को दबाने की सुनियोजित कोशिश की जा रही है। राज्य भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि यह केवल एक स्कूल का मामला नहीं है, बल्कि राज्य में कानून व्यवस्था, बाल सुरक्षा तंत्र और अफसरशाही की संवेदनहीनता का प्रतीक है।

“पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत दर्ज हो मामला, नहीं तो सरकार भी दोषी मानी जाए”
अजय साह ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा—
“छात्राओं ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाए हैं कि स्कूल के एक फादर ने लगातार दो वर्षों से यौन उत्पीड़न किया। बावजूद इसके अब तक न तो पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और न ही किसी आरोपी की गिरफ्तारी हुई। यह सीधा-सीधा कानून का उल्लंघन है।”
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ‘शंकर किसनराव खाडे बनाम महाराष्ट्र राज्य’ का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसी को यौन अपराध की जानकारी होने के बाद भी पुलिस को सूचना नहीं दी जाती है, तो पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत वह व्यक्ति खुद भी आरोपी होता है।
अजय साह ने सुनाया ऑडियो, छात्राओं के बयान से कांप उठी प्रेस वार्ता
प्रेस वार्ता के दौरान अजय साह ने एक ऑडियो क्लिप भी चलाया जिसमें छात्राएं साफ कह रही थीं कि “स्कूल के फादर पिछले दो सालों से हमें गलत तरीके से छूते हैं…”“उन्होंने कई बार हमें अकेले बुलाया और बुरी हरकतें कीं…”अजय साह ने पूछा – “जब यह बातें अफसरों को सुनाई गईं, तब भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या यह संवेदनशील पॉक्सो प्रावधानों का मजाक उड़ाना नहीं है?”

सरकार को जवाब देना होगा: क्यों एक सप्ताह बाद भी पॉक्सो कोर्ट में मामला नहीं?
प्रवक्ता अजय साह ने तीखे सवाल उठाए—
- क्या अब झारखंड में पॉक्सो कोर्ट की भूमिका अधिकारी निभाएंगे?
- क्यों अब तक FIR नहीं दर्ज हुई?
- किसके इशारे पर मामले को दबाने की कोशिश हो रही है?
- क्या शिक्षा सचिव और जिला प्रशासन बच्चों की सुरक्षा से ऊपर हैं?

उन्होंने स्पष्ट किया कि पॉक्सो एक्ट की धारा 19 के अनुसार, यौन हिंसा की सूचना मिलते ही पुलिस को उसे 24 घंटे के भीतर सीडब्ल्यूसी और पॉक्सो कोर्ट को सौंपना अनिवार्य है।
हाई कोर्ट की कमिटी की निगरानी में हो जांच, दोषी अफसरों पर हो आपराधिक मामला
भाजपा ने यह भी मांग की कि झारखंड हाई कोर्ट की “जुवेनाइल जस्टिस एंड पॉक्सो कमिटी” की निगरानी में इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच करवाई जाए। साथ ही जो भी अफसर, शिक्षक या पदाधिकारी इस मामले को दबाने में संलिप्त हैं, उनपर पॉक्सो एक्ट की धारा 21 और IPC की अन्य धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
भाजपा की चेतावनी: अगर न्याय नहीं मिला, तो राज्यव्यापी आंदोलन होगा
अजय साह ने कहा—
“यह मामला सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय है। अगर बच्चियों को न्याय नहीं मिला, तो भाजपा इसे जन आंदोलन बनाएगी और दोषियों को जेल भेजकर ही दम लेगी।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाजपा महिला मोर्चा इस मुद्दे को लेकर राज्य महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तक भी जाएगा।
लातेहार स्कूल में सामने आया यह मामला सिर्फ एक संस्थान की लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य की अफसरशाही, राजनीतिक मंशा और कानून की धज्जियों का खुला उदाहरण बन चुका है। भाजपा का यह आक्रामक रुख साफ कर रहा है कि अब यह मामला राज्य सरकार के लिए सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि राजनीतिक जिम्मेदारी का विषय बन गया है।