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नारायण मूर्ति ने फ्रीबीज कल्चर पर उठाए सवाल, कहा – मुफ्त योजनाओं से नहीं, रोजगार से मिटेगी गरीबी

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मुनादी डेस्क : भारत में बढ़ती मुफ्त योजनाओं (फ्रीबीज) को लेकर देश के प्रसिद्ध उद्योगपति और इंफोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति ने चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही मुफ्त योजनाएँ गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने के बजाय उन्हें सरकारी सहायता पर निर्भर बना रही हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की गरीबी को खत्म करने के लिए मुफ्त योजनाओं की जगह नवाचार (Innovation), टेक्नोलॉजी और उद्यमशीलता (Entrepreneurship) को बढ़ावा देना जरूरी है।

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क्या कहा नारायण मूर्ति ने?

एक इंटरव्यू के दौरान नारायण मूर्ति ने कहा, “यदि हम सच में गरीबों की मदद करना चाहते हैं, तो हमें ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाएँ। मुफ्त सुविधाओं से लोगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और वे परिश्रम करने की बजाय मुफ्त योजनाओं पर निर्भर हो जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होंगे, जिससे वे अपनी मेहनत से कमाई कर सकें और देश के विकास में योगदान दे सकें।

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क्या मुफ्त योजनाएँ देश की अर्थव्यवस्था के लिए सही हैं?

भारत में कई राज्य सरकारें वोट बैंक को मजबूत करने के लिए मुफ्त योजनाएँ चला रही हैं, जिनमें मुफ्त बिजली, मुफ्त राशन, मुफ्त पानी, बेरोजगारी भत्ता और महिलाओं को वित्तीय सहायता जैसी योजनाएँ शामिल हैं। इन योजनाओं से जनता को अल्पकालिक राहत तो मिलती है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह देश की अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त भार डाल सकती हैं। नारायण मूर्ति का मानना है कि सरकार को मुफ्त योजनाओं के बजाय ऐसी आर्थिक नीतियाँ बनानी चाहिए जो लोगों को अपने पैरों पर खड़ा करें। उन्होंने कहा कि जब लोग मुफ्त सुविधाओं के बजाय अपने प्रयासों से कुछ हासिल करते हैं, तो उनकी कार्यक्षमता और आत्मसम्मान दोनों बढ़ते हैं।

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‘मुफ्त योजनाओं के बदले लाभार्थियों से लिया जाए योगदान’

मूर्ति का सुझाव है कि यदि सरकार को किसी कारणवश मुफ्त सेवाएँ देनी ही हों, तो बदले में लाभार्थियों से कुछ योगदान लिया जाए। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि यदि सरकार किसी क्षेत्र में मुफ्त बिजली दे रही है, तो वहाँ के नागरिकों को समाज में सकारात्मक योगदान देना चाहिए, जैसे कि बच्चों को स्कूल भेजना या स्वच्छता अभियानों में भाग लेना। उन्होंने कहा कि यदि किसी को बिना किसी प्रयास के कुछ भी मुफ्त में मिलता है, तो वह समाज में योगदान देने के बजाय आलसी बन जाता है। “अगर हम चाहते हैं कि हमारा देश प्रगति करे, तो हमें लोगों को शिक्षित करना होगा, उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना होगा।”

नवाचार और स्टार्टअप्स पर दिया जोर

भारत में स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर के तेजी से बढ़ने का श्रेय नवाचार को दिया जाता है। नारायण मूर्ति का मानना है कि यदि सरकार सही नीतियाँ अपनाए और युवाओं को अधिक अवसर दे, तो भारत एक वैश्विक नवाचार केंद्र (Global Innovation Hub) बन सकता है। उन्होंने कहा कि आज के युवा यदि नई तकनीकों, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप्स के जरिए आगे बढ़ते हैं, तो देश को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी। उन्होंने सरकार से स्टार्टअप्स और छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करने की अपील की, जिससे अधिक लोगों को रोजगार मिले और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।

‘भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुफ्त योजनाओं की नहीं, मजबूत नीतियों की जरूरत’

मूर्ति ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर (Aatmanirbhar) बनाने के लिए मुफ्त योजनाओं से बाहर निकलना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब किसी देश में लोग अपने दम पर कुछ करने की क्षमता रखते हैं, तभी वह देश वास्तविक रूप से विकसित हो सकता है। उनके अनुसार, सरकार को ऐसी योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए जो युवाओं को स्किल डेवलपमेंट, नई टेक्नोलॉजी और बिजनेस स्टार्टअप्स की ओर प्रेरित करें। उन्होंने यह भी कहा कि नई पीढ़ी को सरकारी सहायता पर निर्भर होने के बजाय खुद के दम पर आगे बढ़ने की मानसिकता विकसित करनी चाहिए।

फ्रीबीज पर विशेषज्ञों की राय

कई अर्थशास्त्री और उद्योगपति नारायण मूर्ति की इस सोच का समर्थन कर रहे हैं। उनका मानना है कि मुफ्त योजनाओं से अल्पकालिक लाभ तो मिलता है, लेकिन यह देश की वित्तीय स्थिति को कमजोर कर सकता है। अगर सरकारें जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए मुफ्त योजनाएँ जारी भी रखती हैं, तो उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान न हो।

आपकी राय क्या है?

क्या आपको लगता है कि मुफ्त योजनाओं के बजाय रोजगार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना चाहिए? क्या नारायण मूर्ति की सोच सही है? हमें कमेंट में बताइए!

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