बिरसा मुंडा एयरपोर्ट रांची में ILS और DVOR सिस्टम का सफल परीक्षण, फ्लाइट सुरक्षा के लिहाज से बड़ी उपलब्धि

ILS और DVOR सिस्टम का सफल फ्लाइट कैलिब्रेशन रांची एयरपोर्ट के लिए मील का पत्थर | अब कम दृश्यता में भी सुरक्षित लैंडिंग संभव

रांची, 31 जुलाई : राजधानी रांची स्थित बिरसा मुंडा हवाई अड्डा एक बार फिर से तकनीकी उन्नति की दिशा में बड़ी छलांग लगाते हुए चर्चा में है। हाल ही में यहां ILS (Instrument Landing System) और DVOR (Doppler VHF Omni Range) सिस्टम का सफल फ्लाइट कैलिब्रेशन किया गया है। यह प्रक्रिया एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के फ्लाइट इंस्पेक्शन यूनिट (FIU) द्वारा अंजाम दी गई, जो देशभर में हवाई अड्डों पर नेविगेशन सिस्टम की जांच और प्रमाणीकरण की जिम्मेदार एजेंसी है।
क्या है ILS और DVOR? क्यों हैं ये सिस्टम अहम?
ILS (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) एक ऐसा एडवांस नेविगेशन सिस्टम है जो विमान को रनवे के बिल्कुल मध्य रेखा और सटीक ऊँचाई पर बनाए रखते हुए सुरक्षित लैंडिंग में मदद करता है। यह सिस्टम खराब मौसम, धुंध या कम दृश्यता की स्थिति में विमान चालकों को लैंडिंग के दौरान मार्गदर्शन प्रदान करता है। DVOR (Doppler VOR) एक अत्याधुनिक दिशा निर्धारण प्रणाली है, जो हवाई मार्ग तय करने, नेविगेशन सुधारने और रूट ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल होती है। यह पायलट को यह जानने में मदद करता है कि वह हवाई अड्डे से किस दिशा में और कितनी दूरी पर है।
तकनीकी परीक्षण में शामिल रहा Beechcraft King Air 360 विमान
इस फ्लाइट कैलिब्रेशन के लिए Beechcraft King Air 360 जैसे अत्याधुनिक विमान का उपयोग किया गया। यह विमान विशेष रूप से तकनीकी परीक्षणों के लिए प्रयोग किया जाता है और इसमें नेविगेशन सिस्टम की कार्यक्षमता जांचने वाले सटीक उपकरण लगे होते हैं। इस विमान ने कई बार बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के रनवे पर ILS Glide Path और Localizer की जांच की और DVOR सिस्टम की त्रुटिहीनता को परखा। यह परीक्षण न केवल तकनीकी रूप से सफल रहा, बल्कि इससे यह भी सुनिश्चित हुआ कि रनवे की सुरक्षा और निर्देश प्रणाली पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सके।
CNS विभाग की टीम रही पूरी तरह सक्रिय
इस महत्वपूर्ण कार्य को बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के CNS (Communication, Navigation and Surveillance) विभाग की टीम ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। टीम का नेतृत्व श्री अनिल कुमार कश्यप, संयुक्त महाप्रबंधक (CNS) और श्री प्रभात कुमार, सहायक महाप्रबंधक (CNS) ने किया। दोनों अधिकारियों के नेतृत्व में पूरी तकनीकी टीम ने कैलिब्रेशन से पहले, दौरान और बाद में सभी आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन किया। यह कार्य न केवल बिरसा मुंडा एयरपोर्ट की उड़ान संचालन क्षमता को बेहतर बनाएगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और समय पर लैंडिंग की गारंटी भी देगा।

देश के एविएशन नेटवर्क को मिलेगी मजबूती
AAI की FIU इकाई द्वारा किए गए इस सफल परीक्षण के बाद अब बिरसा मुंडा एयरपोर्ट Category-I ILS सुविधा के अंतर्गत प्रभावी रूप से कार्य कर सकेगा। इससे रांची एयरपोर्ट पर विमानों की लैंडिंग क्षमता, विश्वसनीयता और परिचालन दक्षता में और इज़ाफा होगा। रांची से चलने वाली और यहां लैंड करने वाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए यह सिस्टम एक Game Changer के रूप में उभरेगा।

रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर ILS और DVOR सिस्टम का सफल परीक्षण न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से, बल्कि राज्य के एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी बड़ा कदम है। यह हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय मानकों के नज़दीक लाता है और भविष्य में रात के समय, धुंध, बारिश या कम दृश्यता जैसी स्थितियों में भी विमानों की सुरक्षित लैंडिंग को सुनिश्चित करेगा।यह पहल न केवल झारखंड राज्य, बल्कि पूरे पूर्वी भारत के हवाई नेटवर्क को सुरक्षित, आधुनिक और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।