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मोदी-जी को नमस्कार करती हूँ…” सुशीला कार्की ने भारत को लेकर क्या कहा?

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काठमांडू : नेपाल में चल रहे ज़ोरदार Gen-Z विरोध प्रदर्शनों के बीच, पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर संवेदनशील और सकारात्मक बयान दिए हैं। उनकी ये टिप्पणियाँ इस राजनीतिक उथल-पुथल के समय में कूटनीतिक रिश्तों व जनता की भावनाओं की झलक हैं।

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सुशीला कार्की का राजनीतिक परिदृश्य
नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध, बढ़ती बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवा (Gen-Z) सड़कों पर उतर आए। विरोध की चिंगारी तब भड़की जब सरकार ने कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को बंद किया।
इस आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली resigned कर गए।
प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

सुशीला कार्की ने भारत और पीएम मोदी के बारे में क्या कहा
सम्मान और प्रणाम
पत्रकारों के सामने उन्होंने कहा है, “मैं मोदी-जी को नमस्कार करती हूँ।” यह अभिव्यक्ति उनकी शिष्टता और कूटनीति के प्रति सम्मान को दर्शाती है।

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भारत-नेपाल के लोगों का गहरा आत्मीय संबंध
सुशीला कार्की ने यह ज़ोर दिया कि लोगों के बीच भावनात्मक रिश्ते सिर्फ कूटनीति से परे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल की जनता के बीच सदियों पुराना अपनापन है, जिसमें वह खुद शामिल महसूस करती हैं।

भेटी यादें और शिक्षा अनुभव
उन्होंने अपनी छात्रावस्था की यादों को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने भारत में पढ़ाई की थी (विशेषकर Banaras/BHU से जुड़ी यादें), और वहां के माहौल, गुरुओं और अनुभवों से प्रभावित हुईं।

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भारत एवं भारतीय नेतृत्व की सकारात्मक छवि
सुशीला कार्की ने कहा कि पीएम मोदी की छवि उनके लिए प्रेरणादायक है — एक ऐसा नेता होने की उनकी छवि जिसने दृढ़ निश्चय, विकास की दिशा और लोगों के जीवन में बदलाव लाने की कोशिश की है।

हालात और चुनौतियाँ
विरोध प्रदर्शनों में हिंसा व तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं; कई सरकारी इमारतों को आग लगी। सेनाएँ तैनात हुई, कर्फ्यू लगा, इंटरनेट प्रतिबंध हुआ। ज़मीनी हालात शांत नहीं हुए थे। सुशीला कार्की के प्रस्तावित नेतृत्व को कुछ विरोधों का सामना करना पड़ रहा है — कुछ लोगों का मानना है कि नेता Gen Z समुदाय से होना चाहिए, न कि राजनीतिक-स्थायी व्यक्ति।

संभावित प्रभाव
सुशीला कार्की की भूमिका अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर होने से परिस्थिति राजनीतिक रूप से स्थिर हो सकती है। युवा आंदोलन को मान्यता मिलेगी। भारत-नेपाल संबंधों पर यह बयान सकारात्मक संकेत है। भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक रिश्तों को बढ़ावा मिल सकता है। जन-आक्षेप/नवीन नेतृत्व की उम्मीदें बढ़ेंगी, विशेष रूप से उन लोगों में जो पारंपरिक राजनीतिक व्यवस्था से निराश थे।

नेपाल के युवा-विरोध प्रदर्शनों के बीच सुशीला कार्की का भारत और पीएम मोदी के प्रति सम्मान जताना इस क्षण की भावनाओं को प्रतिबिंबित करता है। साथ ही यह दिखाता है कि राजनीतिक संकट के समय भी मानवीय और द्विपक्षीय रिश्तों की अहमियत बनी रहती है। सुशीला कार्की की स्वीकारोक्ति और उनके सकारात्मक बयानों से संभव है कि नेपाल की राजनीति में परिवर्तन की एक नई शुरुआत हो।

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