2025-26 होगा “आदिवासी स्वाभिमान वर्ष”: कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने की विभागीय समीक्षा, शिक्षा, संस्कृति और आजीविका को लेकर जताई प्रतिबद्धता

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रांची, 7 अप्रैल 2025: झारखंड सरकार के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने आज रांची स्थित कल्याण कॉम्प्लेक्स में आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विभागीय समीक्षा बैठक की। बैठक में आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास से संबंधित योजनाओं और उनके प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा की गई।

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मंत्री श्री लिंडा ने कहा कि वर्ष 2025-26 को “आदिवासी स्वाभिमान वर्ष” के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों की शिक्षा, संस्कृति, परंपरा, स्वाभिमान और जीवनशैली को सहेजने एवं सशक्त बनाने की दिशा में विशेष पहल की जाएगी।

गौरवशाली विरासत की रक्षा और सशक्त भविष्य की तैयारी

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बैठक में मंत्री ने कहा,

“झारखंड की विशिष्ट पहचान का प्रतीक है यहाँ का आदिवासी समाज। झारखंड की 32 आदिवासी जनजातियों की संस्कृति, परंपराएं और जीवनशैली इस भूमि की धरोहर हैं। सदियों से इन समुदायों ने श्रम, संघर्ष और साहस से समाज और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखा है। अब समय है कि हम उनके स्वाभिमान को नई ऊँचाई दें।”उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार न केवल उनके अतीत को संजोने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और अधिकारों को सशक्त करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पारंपरिक आजीविका के क्षेत्रों में ठोस कदम उठाएगी।

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शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रयास की सराहना

मंत्री लिंडा ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों द्वारा समय पर एकलव्य सहित अन्य कल्याण आवासीय विद्यालयों में नामांकन परीक्षा के सफल आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि एसटी/एससी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयास किए जाएं और कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

नीतिगत निर्णयों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता

मंत्री ने दोहराया कि राज्य सरकार आदिवासी समाज के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा

“हमारी सरकार ऐसे नीतिगत निर्णय लेने को प्रतिबद्ध है, जो आदिवासी समाज को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर दें। यह केवल संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारे नैतिक मूल्यों का भी प्रतिबिंब है।”

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि विभागीय योजनाएं इस दृष्टिकोण से तैयार की जाएं कि राज्य का हर आदिवासी व्यक्ति अपने अधिकारों के साथ स्वाभिमानपूर्वक जीवन जी सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर सके।

बैठक में उपस्थित अधिकारीगण

इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रबंध निदेशक टीसीडीसी नीलसोम बागे, उप निदेशक धीरेंद्र सिंह, अप निदेशक मोनिका टूटी, राकेश उरांव, अमृता कुजूर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने आदिवासी समाज से जुड़ी योजनाओं के वर्तमान कार्यान्वयन की स्थिति और आगामी कार्यक्रमों की जानकारी साझा की।

झारखंड सरकार का यह निर्णय “आदिवासी स्वाभिमान वर्ष” को समर्पित करना न केवल एक प्रतीकात्मक पहल है, बल्कि इससे आदिवासी समुदायों की वास्तविक आवश्यकताओं की पूर्ति, उनकी संस्कृति का संरक्षण, और शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में उनका सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस वर्ष को आदिवासी समाज के लिए कितनी सकारात्मक रूप से उपयोग में लाती है।

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