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रांची में 27वीं क्षेत्रीय परिषद की बैठक, पूर्वी भारत के विकास पर अमित शाह की अध्यक्षता में मंथन

झारखंड बना रणनीतिक केंद्र, पूर्वी भारत के चार राज्यों के प्रतिनिधि जुटे
रांची : राजधानी रांची एक बार फिर राष्ट्रीय फोकस में है। 7 जुलाई 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में यहां 27वीं क्षेत्रीय परिषद की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक को पूर्वी भारत के राज्यों — बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। बैठक का आयोजन झारखंड मंत्रालय के सभागार में हुआ, जहां 68 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी — जिनमें मुख्यमंत्री, गृह सचिव, मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे — ने हिस्सा लिया।


बैठक की अहमियत क्यों?
इस क्षेत्रीय परिषद का उद्देश्य चारों राज्यों के बीच बेहतर समन्वय, नीति निर्माण में सहयोग, और आंतरिक सुरक्षा व विकास योजनाओं पर एकजुट रणनीति बनाना है। विशेष रूप से नक्सल प्रभावित जिलों, जल प्रबंधन, सीमावर्ती अपराध, और ग्रामीण शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी समस्याओं पर ठोस कार्ययोजना तैयार की गई।
बैठक के मुख्य मुद्दे:
- नक्सलवाद और आंतरिक सुरक्षा पर फोकस
- जल संकट और अंतरराज्यीय नदी विवादों का समाधान
- सीमावर्ती अपराध और तस्करी पर नियंत्रण
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति
- सड़क, रेल और औद्योगिक विकास की योजनाएं
नक्सल प्रभावित जिलों पर विशेष रणनीति
बैठक में झारखंड, ओडिशा और बिहार के उन जिलों पर गहन चर्चा हुई जहां नक्सल गतिविधियां अब भी चुनौती बनी हुई हैं। झारखंड के चतरा, लातेहार, गढ़वा, ओडिशा के कोरापुट, मलकानगिरी, और बिहार के औरंगाबाद जैसे इलाकों में स्मार्ट पुलिसिंग, ग्राम स्तर पर रोजगार, और आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर बल दिया गया।
जल प्रबंधन और नदी विवाद: साझा समाधान की कोशिश
बैठक में दामोदर, गंगा, सुवर्णरेखा जैसी नदियों के जल बंटवारे और संरक्षण को लेकर केंद्रित चर्चा हुई। राज्यों के बीच जल विवाद सुलझाने के लिए संयुक्त परियोजनाओं और तकनीकी टास्क फोर्स के गठन की बात सामने आई।

बॉर्डर क्राइम और इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक्शन प्लान
बंगाल-बिहार, झारखंड-ओडिशा बॉर्डर पर अंतरराज्यीय अपराध, मानव तस्करी, और मादक पदार्थों की तस्करी की समस्या पर इंटरस्टेट कोऑर्डिनेशन टीम बनाने की सिफारिश की गई। साथ ही सड़क, रेल और लॉजिस्टिक्स हब को प्राथमिकता देने की बात कही गई। स्वास्थ्य और शिक्षा पर साझा दृष्टिकोण, स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में नीति साझेदारी के तहत आदिवासी क्षेत्रों में चलित मेडिकल यूनिट्स, सीमावर्ती गांवों में सांझा विद्यालय मॉडल, इंटरस्टेट स्कॉलरशिप प्रोग्राम, टीकाकरण और पोषण अभियान का एकीकृत रोडमैप सिफारिश की गई .


संभावित घोषणाएं और केंद्र की पहलें:
- नक्सल जिलों में “विकास + सुरक्षा” मॉडल लागू
- इंटरस्टेट टास्क फोर्स की स्थापना प्रस्तावित
- संयुक्त जल प्रबंधन प्राधिकरण का खाका
- राज्य और केंद्र के बीच डायरेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम
- ग्रामीण शिक्षा-स्वास्थ्य मिशन का ब्लूप्रिंट
राजनीतिक विश्लेषकों की टिप्पणी:
“यह बैठक दर्शाती है कि केंद्र और राज्य जब एक मंच पर मिलकर रणनीति बनाते हैं, तब सिर्फ घोषणा नहीं होती, जमीन पर बदलाव भी दिखता है। पूर्वी भारत के लिए यह मंथन एक बड़ा अवसर है।”
Munadi Live की खास रिपोर्ट:
रांची में आयोजित यह बैठक केवल सरकारी दस्तावेजों में नहीं, वास्तविक विकास की जमीन पर असर डालने वाला कदम हो सकता है। आने वाले दिनों में इसके परिणाम ग्रामीण जनता, युवाओं और सीमावर्ती इलाकों में दिखने की पूरी संभावना है।
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