सीबीआई ने जेपीएससी घोटाले में 70 अभियुक्तों के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट, पहली और दूसरी परीक्षाओं में हुई धांधली का हुआ खुलासा
रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की पहली और दूसरी परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली का खुलासा हुआ है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने करीब 12 साल की गहन जांच के बाद इन परीक्षाओं में हेरफेर और भ्रष्टाचार से संबंधित तथ्य उजागर किए। सीबीआई ने विशेष अदालत में अपनी चार्जशीट दाखिल करते हुए बताया कि इन परीक्षाओं में अयोग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर पास कराया गया। उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़, ओवरराइटिंग और इंटरव्यू अंकों में वृद्धि जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं।
सीबीआई जांच में सामने आए अहम तथ्य
सीबीआई की जांच में यह पाया गया कि लगभग 100 अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर किया गया। फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में जानबूझकर ओवरराइटिंग और काट-छांट की गई। इसके माध्यम से उन्हें अतिरिक्त अंक दिए गए। यही नहीं, इंटरव्यू में भी उनके वास्तविक अंकों को बढ़ा दिया गया।
सीबीआई के अनुसार, यह घोटाला सुनियोजित तरीके से किया गया, जिसमें झारखंड लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद, सदस्य राधा गोविंद नागेश, को-ऑर्डिनेटर परमानंद सिंह और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
चार्जशीट में 70 अभियुक्त शामिल
सीबीआई ने रांची स्थित विशेष अदालत में दाखिल अपनी चार्जशीट में 70 लोगों को अभियुक्त बनाया है। इनमें कई ऐसे अधिकारी भी हैं, जो प्रमोशन पाकर अब डीएसपी से एसपी बन चुके हैं। अभियुक्तों की सूची में जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद, सदस्य राधा गोविंद नागेश, गोपाल प्रसाद सिंह, शांति देवी, एलिस उषा रानी सिंह, और को-ऑर्डिनेटर परमानंद सिंह के नाम प्रमुखता से शामिल हैं। इसके अलावा कई अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों और अभ्यर्थियों के नाम भी चार्जशीट में दर्ज किए गए हैं।
अभियुक्तों की सूची
सीबीआई की चार्जशीट में जिन अभियुक्तों का शामिल नाम
- दिलीप कुमार प्रसाद – तत्कालीन अध्यक्ष, जेपीएससी
- राधा गोविंद नागेश – तत्कालीन सदस्य, जेपीएससी
- गोपाल प्रसाद सिंह – सदस्य, जेपीएससी
- शांति देवी – सदस्य, जेपीएससी
- एलिस उषा रानी सिंह – सदस्य, जेपीएससी
- अरविंद कुमार – सदस्य, जेपीएससी
- सोहन राम – सदस्य, जेपीएससी
- प्रशांत कुमार लायक – सदस्य, जेपीएससी
- राधा प्रेम किशोर – सदस्य, जेपीएससी
- विनोद राम – सदस्य, जेपीएससी
- हरि शंकर बराईक – सदस्य, जेपीएससी
- हरि शंकर सिंह मुंडा – सदस्य, जेपीएससी
- रवि कुमार कुजुर – सदस्य, जेपीएससी
- मुकेश कुमार महतो – सदस्य, जेपीएससी
- एस.ए. खन्ना – सदस्य, जेपीएससी
- बटेश्वर पंडित – सदस्य, जेपीएससी
- परमानंद सिंह
- अल्बर्ट टोप्पो
- एस अहमद
- नंदलाल
- कुंदन कुमार सिंह
- मौसमी नागेश
- कानुराम नाग
- लाल मोहन नाथ शाहदेव
- प्रकाश कुमार
- कुमारी गीतांजलि
- संगीता कुमारी,
- रजनिश कुमार,
- शिवेंद्र ,
- संतोष कुमार चौधरी,
- कुमार शैलेंद्र
- हरि उरांव
कैसे हुआ घोटाला?
सीबीआई की जांच से यह स्पष्ट हुआ कि जेपीएससी की पहली और दूसरी परीक्षाओं में कुछ विशेष अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी प्रक्रिया को प्रभावित किया गया।
- उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर:
लगभग 12 परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में ओवरराइटिंग और काट-छांट कर उनके अंक बढ़ाए गए। - इंटरव्यू में अंकों की हेराफेरी:
जिन अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में हेरफेर से पास कराया गया, उन्हें इंटरव्यू में भी अधिक अंक देकर चयनित किया गया। - साजिश में शामिल अधिकारी:
सीबीआई ने पाया कि यह सब जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्यों और को-ऑर्डिनेटर की सहमति और निर्देश पर हुआ।
एफएसएल जांच की पुष्टि
फॉरेंसिक जांच में यह साबित हुआ कि उत्तर पुस्तिकाओं में जो ओवरराइटिंग और छेड़छाड़ की गई, वह जानबूझकर की गई थी। कुछ कॉपियों में तो अलग-अलग स्याही और हैंडराइटिंग का भी इस्तेमाल किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह सब घोटाले का हिस्सा था।
2012 में हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी जांच
झारखंड हाईकोर्ट ने 2012 में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई को जांच सौंप दी थी। इसके बाद से सीबीआई ने जेपीएससी की परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं की गहराई से जांच शुरू की।
घोटाले का असर
इस घोटाले के कारण कई योग्य उम्मीदवारों का भविष्य बर्बाद हो गया। साथ ही, झारखंड में प्रशासनिक परीक्षाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे अधिकारियों को नियुक्त किया गया जो योग्य नहीं थे, और वे अब महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
सीबीआई की चार्जशीट दाखिल होने के बाद अब विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई होगी। यदि आरोप साबित होते हैं, तो इस घोटाले में शामिल सभी अभियुक्तों को कड़ी सजा मिल सकती है। इससे भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने का मार्ग प्रशस्त होगा।
सीबीआई का बयान
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में साफ कहा है कि इस घोटाले को अंजाम देने के लिए जेपीएससी के तत्कालीन अधिकारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया। इस साजिश का मकसद अयोग्य व्यक्तियों को फायदा पहुंचाना और योग्य उम्मीदवारों के हक को छीनना था।
जेपीएससी की पहली और दूसरी परीक्षाओं में हुए इस घोटाले ने झारखंड की प्रशासनिक प्रणाली को हिलाकर रख दिया है। यह न केवल भ्रष्टाचार का उदाहरण है, बल्कि सिस्टम की पारदर्शिता और ईमानदारी पर भी गहरा धक्का है। सीबीआई की चार्जशीट इस मामले में न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब सभी की नजरें अदालत की कार्यवाही पर टिकी हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि दोषियों को उनके अपराधों की सजा मिले और योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों को बहाल किया जाए।