पश्चिमी सिंहभूम में हाथी की रहस्यमय मौत ने खड़े किए सवाल, जांच में जुटा वन विभाग

चाईबासा/पश्चिमी सिंहभूम: झारखंड के घने जंगलों और आदिवासी संस्कृति से समृद्ध पश्चिमी सिंहभूम जिले से एक बार फिर वन्यजीव संरक्षण पर गंभीर सवाल उठे हैं। टोन्टो थाना क्षेत्र के सेरेंगसिया गांव में शनिवार सुबह एक विशाल दंतैल हाथी मृत अवस्था में पाया गया। इस घटना के बाद ग्रामीणों के बीच अफरा-तफरी और जिज्ञासा का माहौल बन गया। शव के चारों ओर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई। वन विभाग के साथ-साथ बिजली विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची है क्योंकि हाथी की मौत की वजह करंट या ज़हरीले पदार्थ को माना जा रहा है। मौत की असल वजह जानने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन इस घटना ने राज्य में हाथियों की घटती सुरक्षा और वन विभाग की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

करंट या ज़हर ? : मौत की असल वजह पर संशय
घटनास्थल से वन विभाग को किसी प्रकार के बिजली के तार या जले हुए शरीर के निशान नहीं मिले हैं, जिससे स्पष्ट करंट से मौत की पुष्टि नहीं हो सकी है। वहीं कुछ स्थानीय लोगों ने दावा किया कि हाथी किसी जहरीले पदार्थ के सेवन के कारण मरा हो सकता है। ऐसे में जांच टीम ने मृत हाथी के अंगों के नमूने लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए हैं।
वन प्रमंडल पदाधिकारी (DFO) आदित्य नारायण ने बताया,
“हाथी की मौत की खबर मिलते ही हमारी टीम मौके पर पहुंची और प्रारंभिक जांच शुरू की गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही कारण स्पष्ट होगा।”
हाल के दिनों में हाथियों को लेकर लगातार चिंताजनक घटनाएं
पश्चिमी सिंहभूम के जंगलों में पिछले 15 दिनों से हाथियों की सक्रियता बढ़ी हुई है। वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में दर्जनों हाथी झुंडों में घूम रहे हैं और गांवों में घुसकर फसलों को नुकसान, घरों को ध्वस्त और ग्रामीणों को आतंकित कर रहे हैं। कुछ दिन पहले इसी क्षेत्र में बम विस्फोट से एक हाथी घायल हो गया था, जबकि कई घटनाएं ऐसी भी सामने आईं जब हाथियों को मानवों से सीधा संघर्ष करना पड़ा।


ग्रामीणों में भय और वन विभाग की तैयारी पर संदेह
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह हाथी बीते कुछ दिनों से लगातार सेरेंगसिया और आसपास के गांवों में घूम रहा था और फसल बर्बाद करने के साथ-साथ घरों में भी नुकसान पहुंचा रहा था। लोग अपनी जान को लेकर भयभीत थे। ऐसे में कुछ लोग मानते हैं कि हाथी की मौत एक साजिश के तहत की गई है ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके।

केंद्र सरकार की नीतियां और जमीनी हकीकत
सरकार की योजनाओं में वन्यजीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। केंद्र सरकार ने ‘गज यात्रा’ और ‘प्रोजेक्ट एलिफैंट’ जैसी योजनाएं चलाई हैं, जिन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिलों में कुछ और ही कहानी बयां करती है। एक तरफ जहां सरकार हाथियों को संरक्षित क्षेत्र और गलियारों के ज़रिए सुरक्षित आवागमन की बात करती है, वहीं दूसरी ओर इन जिलों में हाथियों की मौत, चोट और संघर्ष की खबरें आम हो गई हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, हाथी की मौत के बाद अधिकारियों की टीम पूरे इलाके का सर्वे कर रही है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही स्थानीय प्रशासन से ग्रामीणों को जागरूक करने और हाथियों के साथ संघर्ष से बचने की अपील भी की जा रही है।
सवाल ?
सेरेंगसिया गांव में हाथी की संदिग्ध मौत सिर्फ एक वन्यजीव की मौत नहीं है, बल्कि यह झारखंड के वन्यजीव संरक्षण की सच्चाई और विभागीय कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल है। क्या हम अपने वन्यजीवों को सही मायनों में संरक्षित कर पा रहे हैं ? या फिर हाथियों और इंसानों के बीच का संघर्ष और भी हिंसक होता जा रहा है?