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झारखंड के 6 जिलों में खुलेंगे मेडिकल कॉलेज, केंद्र ने दी मंजूरी

धनबाद, देवघर, खूंटी, गिरिडीह, जामताड़ा और पूर्वी सिंहभूम में मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल बनाने का फैसला, मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू का आग्रह आया रंग
रांचीः झारखंडवासियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। केंद्र सरकार ने राज्य में 6 नए मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल खोलने की मंजूरी दे दी है। ये मेडिकल कॉलेज धनबाद, देवघर, खूंटी, गिरिडीह, जामताड़ा और पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) जिलों में स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्य सरकार को सहमति पत्र भेजा है।

सदर अस्पतालों का अपग्रेड होगा मेडिकल कॉलेज में
इन मेडिकल कॉलेजों को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में खोला जाएगा। संबंधित जिलों के सदर अस्पतालों को अपग्रेड कर इन्हें मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया जाएगा। इससे न केवल चिकित्सा सुविधाओं का स्तर बढ़ेगा, बल्कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।
मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू की पहलयह निर्णय जुलाई महीने में उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू की पहल का नतीजा है। उन्होंने नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात कर राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने का आग्रह किया था। केंद्र से सहमति पत्र मिलने के बाद उन्होंने आभार जताते हुए कहा, “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मार्गदर्शन में राज्य सरकार स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। छह जिलों में मेडिकल कॉलेज बनने से जनता को उन्नत चिकित्सा सेवाओं की समान पहुंच मिलेगी।”
झारखंड में मेडिकल शिक्षा की मौजूदा स्थिति
फिलहाल झारखंड की 3.92 करोड़ की आबादी के लिए केवल 9 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें 7 सरकारी और 2 निजी संस्थान शामिल हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के मानकों के अनुसार, प्रति 10 लाख की आबादी पर एक मेडिकल कॉलेज होना चाहिए। इस हिसाब से झारखंड को 39 मेडिकल कॉलेजों की जरूरत है।
इसके अलावा, बेड-जनसंख्या अनुपात भी राज्य में काफी कम है। राष्ट्रीय औसत के अनुसार 1.5 बेड प्रति 1000 लोगों पर होना चाहिए, लेकिन झारखंड इस पैमाने से काफी पीछे है। नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल इस कमी को दूर करने में मदद करेंगे।

स्वास्थ्य सेवाओं को नई मजबूती
इन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से झारखंड को कई तरह के फायदे होंगे—
- स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं: मरीजों को अब जटिल इलाज के लिए रांची या बाहर के राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा।
- डॉक्टरों की उपलब्धता: नए मेडिकल कॉलेजों से हर साल सैकड़ों नए डॉक्टर तैयार होंगे, जिससे राज्य में डॉक्टरों की कमी दूर होगी।
- रोज़गार के अवसर: स्वास्थ्यकर्मी, शिक्षक और प्रशासनिक स्टाफ की भर्ती से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
- पीपीपी मॉडल का लाभ: सरकारी निगरानी और निजी निवेश से मेडिकल कॉलेजों का संचालन बेहतर ढंग से होगा।

जनता की उम्मीदें
धनबाद और जमशेदपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों के साथ-साथ खूंटी और जामताड़ा जैसे आदिवासी बहुल जिलों में मेडिकल कॉलेज का खुलना बड़ी राहत है। इन इलाकों के लोग अक्सर गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए रांची या बाहर के राज्यों पर निर्भर रहते थे। अब उम्मीद है कि स्थानीय स्तर पर ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।
झारखंड में 6 नए मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल की स्थापना न केवल स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करेगी, बल्कि राज्य के युवाओं के लिए मेडिकल शिक्षा और रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगी। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास से उठाया गया यह कदम झारखंड की जनता को लंबे समय तक लाभान्वित करेगा।