झारखंड में सार्वजनिक स्थलों पर धुआं उड़ाना और तंबाकू थूकना अब पड़ेगा भारी, राष्ट्रपति ने विधेयक को दी मंजूरी

झारखंड तंबाकू कानून
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झारखंड बना देश का पहला ऐसा राज्य, जहां तंबाकू के सार्वजनिक प्रयोग पर लगेगा ₹1000 का जुर्माना

रांची, मुनादी लाइव ब्यूरो,12 जून 2025: झारखंड में सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करना, तंबाकू थूकना, और खुले में सिगरेट बेचने जैसी आदतें अब लोगों को पहले से कहीं ज्यादा भारी पड़ेंगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में “झारखंड तंबाकू नियंत्रण संशोधन विधेयक 2021” को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद यह कानून के रूप में लागू होने जा रहा है।

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इस नए कानून के तहत:

सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान या तंबाकू थूकने पर ₹1000 का जुर्माना लगेगा।पहले यह जुर्माना मात्र ₹200 था, यानी पांच गुना की सीधी बढ़ोतरी। कानून का उल्लंघन करने वालों को जरूरत पड़ने पर जेल भी भेजा जा सकता है।

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राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून को मिली संवैधानिक वैधता

वर्ष 2021 में झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पारित इस विधेयक को अब जाकर राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इसके साथ ही यह कानून राज्य में औपचारिक रूप से लागू हो सकेगा।

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“यह विधेयक राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को अनुमोदन हेतु भेजा गया था। अब झारखंड सरकार को इसे अधिसूचना के माध्यम से लागू करने की प्रक्रिया पूरी करनी है।” — झारखंड राजभवन

खास बातें: कानून में शामिल हैं कई कड़े प्रावधान

नया संशोधन केवल जुर्माना ही नहीं, बल्कि तंबाकू नियंत्रण को लेकर कई प्रभावशाली बिंदुओं को शामिल करता है:

  1. 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति न तंबाकू उत्पाद खरीद सकेंगे, न बेच सकेंगे।
  2. स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कोर्ट, दफ्तर जैसे संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू उत्पाद की बिक्री प्रतिबंधित होगी।
  3. खुली सिगरेट या बीड़ी की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध होगा।
  4. हुक्का बार पर भी रहेगा सख्त प्रतिबंध। उल्लंघन करने पर ₹1 लाख जुर्माना या जेल संभव।

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने की थी पहल

इस विधेयक को झारखंड के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने वर्ष 2021 के बजट सत्र में विधानसभा में पेश किया था। राज्य सरकार ने इसे जनस्वास्थ्य की दिशा में बड़ा कदम बताया था।

हालांकि, चर्चा के दौरान आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो ने प्रस्ताव रखा था कि जुर्माने की राशि ₹10,000 होनी चाहिए, लेकिन यह संशोधन अस्वीकार कर दिया गया।

जनहित में बड़ा कदम, विशेषज्ञों ने किया स्वागत

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने इस विधेयक को तंबाकू जनित बीमारियों को रोकने की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला बताया है।

“झारखंड जैसे राज्यों में तंबाकू के कारण कैंसर, दमा, टीबी जैसे रोगों की संख्या बहुत अधिक है। इस कानून से इन बीमारियों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी।”
— डॉ. अनुप मिश्रा, कैंसर विशेषज्ञ, रिम्स

राजनीतिक और सामाजिक संदेश भी है गहरा

विशेष रूप से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इस विधेयक को मंजूरी देना एक प्रतीकात्मक महत्व रखता है, क्योंकि वह स्वयं झारखंड से हैं और आदिवासी समुदाय की पहली राष्ट्रपति हैं। यह उनके सामाजिक स्वास्थ्य के प्रति गंभीर दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।

यह कानून केवल स्वास्थ्य नहीं, जन चेतना, सार्वजनिक अनुशासन और युवा पीढ़ी की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।

अब जिम्मेदारी राज्य सरकार और स्थानीय निकायों की है कि वे प्रभावी निगरानी, जनजागरूकता अभियान और कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें।

निष्कर्ष: अब तंबाकू पर नहीं चलेगी ढील — झारखंड दिखा रहा है बाकी राज्यों को रास्ता

इस ऐतिहासिक कानून के लागू होने के बाद झारखंड अब देश के उन गिने-चुने राज्यों में शामिल हो गया है, जहां तंबाकू और धूम्रपान पर सख्त नियंत्रण के लिए कानूनी प्रावधान मौजूद हैं।

यह न सिर्फ स्वास्थ्य की दिशा में पहल है, बल्कि समाज में स्वच्छता, अनुशासन और नागरिक जिम्मेदारी की भावना को भी मजबूत करेगा।

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