पतरातु तालाटांड में ज़मीन विवाद को लेकर खूनी संघर्ष, दो लोग गंभीर रूप से घायल

रामगढ़ (झारखंड) से मुकेश सिंह की रिपोर्ट : झारखंड के रामगढ़ जिले के पतरातु प्रखंड के तालाटांड गांव में खास गैर मजरूआ जमीन को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि खूनी संघर्ष में बदल गया। दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है।


इस विवाद का केंद्र बना है खाता संख्या 65, प्लाट संख्या 153 की खास गैर मजरूआ जमीन, जो वर्षों से विवादों में रही है। बताया जाता है कि इस भूमि को सरकार ने वर्ष 1975 में मोहम्मद यासीन अंसारी को अनुदान में दिया था, लेकिन अब इसपर कब्जे की कोशिश हो रही है।
शनिवार को जब यासीन अंसारी के परिवार वाले – उमर फारूक, रकीबुन निशा, नुरैशा बेगम और गुलाम शरवर — जमीन पर काम कर रहे थे, तभी कमालुद्दीन के परिवार के सदस्य मुस्तफा अंसारी, रब्बानी अंसारी, शमशेर आलम, जब्बार अंसारी, इजहार अंसारी, रिजवान अंसारी, अजीज अंसारी समेत अन्य लोग वहां पहुंच गए। और देखते ही देखते जमीन पर दावेदारी को लेकर दोनों पक्षों में बहस तेज हो गई, जो बाद में हाथापाई में बदल गई।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह सब किसी गहरी साजिश और ज़मीन दलालों के दबाव का नतीजा है। आरोप है कि कुछ दलाल भोले-भाले आदिवासियों को मोहरा बनाकर सरकारी ज़मीन पर कब्जा करवाने की कोशिश कर रहे हैं।
जमीन किसकी?
मामले को और उलझा दिया है शंकर करमाली नामक एक व्यक्ति का दावा, जिन्होंने कहा कि यह जमीन उनकी है और उन्होंने इसे मुस्तफा अंसारी व अन्य को बेचा है। अब सवाल यह है कि जब यह जमीन गैर मजरूआ खास जमीन है और सरकारी अनुदान में दी गई थी, तो शंकर करमाली इसे कैसे किसी को बेच सकते हैं?

शंकर करमाली, भारत करमाली, पारसनाथ करमाली, महादेव करमाली, अर्सनाथ करमाली आदि पर जबरन जमीन कब्जाने की कोशिश का आरोप लगा है। वहीं, मुस्तफा अंसारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने जमीन खरीदी है और कानूनी दस्तावेज उनके पास हैं। उन्होंने मारपीट से इनकार किया और दावा किया कि वे सिर्फ जमीन की नापी करवा रहे थे।


प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में
ग्रामीणों और भुक्तभोगियों ने जिला प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि पतरातु क्षेत्र में जमीन दलालों की दादागिरी बढ़ती जा रही है और स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
मोहम्मद यासीन अंसारी के वंशजों ने आरोप लगाया है कि भूमि पर अवैध कब्जा करवाने की मंशा से उन्हें धमकाया जा रहा है और बल प्रयोग किया जा रहा है। वे चाहते हैं कि प्रशासन तुरंत निष्पक्ष जांच कराए और सभी दस्तावेजों की वैधता की जांच करे।
क्या है गैर मजरूआ खास जमीन?
झारखंड में गैर मजरूआ खास जमीन ऐसी जमीन होती है जो सरकारी होती है लेकिन उसका उपयोग किसी विशेष उद्देश्य या लाभार्थी को करने के लिए दिया जाता है। ऐसी भूमि को न तो आसानी से बेचा जा सकता है और न ही उस पर किसी को कब्जा करने का अधिकार होता है।
तालाटांड की यह घटना सिर्फ एक जमीन विवाद नहीं है, बल्कि यह राज्य में फैलते भू-माफियाओं के नेटवर्क, कमजोर प्रशासनिक निगरानी और जमीन से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग का आईना है। अगर इस तरह की घटनाओं को समय रहते नहीं रोका गया, तो यह स्थानीय शांति, सामाजिक सद्भाव और कानून व्यवस्था को गंभीर चुनौती बन सकती हैं।
प्रशासन से मांग है कि वह इस विवाद की न्यायिक जांच कराए, दोषियों को चिन्हित करे और इलाके में अवैध भूमि कब्जा करने वालों पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।