वात्सल्यं 2025: सरला बिरला पब्लिक स्कूल में बच्चों ने बुजुर्गों संग रचा प्रेम का अनमोल संगम

रांची: सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची में शनिवार को आयोजित ‘वात्सल्यं 2025’ कार्यक्रम में कक्षा दो के विद्यार्थियों ने अपनी मासूम प्रस्तुतियों के माध्यम से पारिवारिक मूल्यों, रिश्तों की मिठास और बुजुर्गों के प्रति सम्मान की एक मार्मिक झलक प्रस्तुत की। दादा-दादी और नाना-नानी के स्नेहिल सान्निध्य में मंचित इस आयोजन ने दर्शकों को भावनाओं के रंगमंच पर एक अविस्मरणीय यात्रा कराई।


इस वर्ष ‘वात्सल्यं’ की थीम थी — “रिवर्बरेशन: ईकोज ऑफ लाइफ”, जिसमें बच्चों ने जीवन के उन पहलुओं को उजागर किया जो अक्सर व्यस्त जीवनशैली में अनसुने रह जाते हैं। दीप प्रज्वलन और स्वागत गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसने पूरे माहौल को उल्लास और उमंग से भर दिया।
विद्यालय की वाइस हेड गर्ल ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए शैक्षणिक सत्र की प्रमुख उपलब्धियाँ साझा कीं। इसके बाद एक के बाद एक भावप्रवण प्रस्तुतियों ने मंच को जीवंत कर दिया — स्पेक्ट्रम ऑफ स्ट्रेंथ, विक्रम वीर, हर्ट्स विदाउट वॉल्स, पावर विदिन, स्वर्णिम पथ और ट्रायम्फ एंड ट्रैंक्विलिटी जैसी प्रस्तुतियों ने न सिर्फ बच्चों की रचनात्मकता दिखाई, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक संदेश भी गहराई से संप्रेषित किए।


प्रत्येक प्रस्तुति में बच्चों की मासूम संवेदना, अभिनय कौशल और बुजुर्गों के प्रति आत्मीय भावनाएं स्पष्ट रूप से झलक रही थीं। दर्शकगण, जिनमें बच्चों के परिवारजन प्रमुख रूप से शामिल थे, हर प्रस्तुति पर भावुक होकर तालियों से अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे।
कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन, विद्यालय गीत और राष्ट्रगान की सामूहिक प्रस्तुति ने पूरे आयोजन को भावनात्मक ऊँचाई दी।


विद्यालय की प्राचार्या परमजीत कौर ने कहा,
“बुजुर्ग किसी भी परिवार की नींव होते हैं। उनके अनुभव और स्नेह से बच्चों को जो सीख मिलती है, वह जीवन भर उनके साथ रहती है। ‘वात्सल्यं’ केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि भावनात्मक रिश्तों को सुदृढ़ करने का एक पर्व है।”
‘वात्सल्यं 2025’ ने यह साबित कर दिया कि तकनीक और व्यस्तता के इस युग में भी संवेदनशीलता, पारिवारिक मूल्य और आत्मीयता जैसे तत्व बच्चों के भीतर जीवित हैं— बस उन्हें मंच देने की आवश्यकता है।