उत्तराखंड की बेटी को मिला न्याय: अंकिता भंडारी हत्याकांड में पुलकित आर्य समेत तीनों दोषियों को उम्रकैद की सज़ा, अदालत ने लगाया 50-50 हजार रुपये का जुर्माना

तीन साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अदालत का ऐतिहासिक फैसला, न्याय की उम्मीद में बैठे देश को राहत
देहरादून, 30 मई 2025: देश को हिला देने वाले बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आज न्यायपालिका ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। देहरादून की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्य सहित उसके दो सहयोगियों अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। इसके साथ ही तीनों दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है।

यह फैसला न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और कार्यस्थल पर सम्मान के लिए एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है।
अंकिता कौन थी और कैसे हुई उसकी हत्या?

19 वर्षीया अंकिता भंडारी, पौड़ी गढ़वाल की एक होनहार युवती, ऋषिकेश के समीप स्थित वंतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर कार्यरत थी। 18 सितंबर 2022 को वह अचानक लापता हो गई। परिवारवालों की शिकायत और मीडिया रिपोर्टों के बाद प्रशासन ने जांच तेज़ की और 24 सितंबर को उसका शव चीला नहर से बरामद किया गया।
जांच में सामने आया कि रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य (जो तत्कालीन भाजपा नेता का पुत्र है) ने अंकिता पर एक कथित ‘वीआईपी’ मेहमान को “एक्स्ट्रा सर्विस” देने का दबाव बनाया था। अंकिता ने जब इस मांग को ठुकरा दिया, तो पुलकित और उसके सहयोगियों ने विवाद किया और उसी रात उसे नहर में धक्का देकर मौत के घाट उतार दिया।


तीन साल का लंबा इंतज़ार, न्याय की जीत
अंकिता की हत्या के बाद राज्य में भारी जनाक्रोश फैला। प्रदर्शन हुए, सोशल मीडिया पर ‘Justice for Ankita’ ट्रेंड करने लगा। जनता के दबाव में सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जिसने 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 97 गवाहों को नामित किया गया। सुनवाई के दौरान 47 गवाहों को अदालत में पेश किया गया, जिन्होंने साक्ष्य और गवाही से यह सिद्ध किया कि यह हत्या पूर्व नियोजित और सोची-समझी थी।
फैसले के दिन भारी सुरक्षा व्यवस्था
अदालत परिसर को फैसले के दिन 200 मीटर की परिधि तक सील कर दिया गया। पुलिस की कड़ी निगरानी में केवल केस से जुड़े वकीलों, अभियोजन पक्ष, पीड़िता के परिवार और अदालत स्टाफ को ही भीतर जाने की अनुमति दी गई। राज्य सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए कोर्ट के आसपास अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया था।
परिजनों का फूटा दर्द: “यह अंत नहीं, शुरुआत है”
फैसले के बाद अंकिता के माता-पिता की आंखों में राहत और दर्द दोनों थे। उन्होंने कहा:
“हमारी बेटी को हमने खो दिया, यह दुख जीवन भर रहेगा। लेकिन हमें संतोष है कि तीनों हत्यारों को अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। हमें न्याय मिला, लेकिन हमारी मांग यही रहेगी कि ऐसे जघन्य अपराधों में फांसी की सज़ा सुनिश्चित की जाए ताकि कोई और अंकिता फिर न मारी जाए।”
फैसले के व्यापक प्रभाव: महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल
इस घटना ने पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा, कर्मस्थल पर शोषण, और सत्ता से जुड़े लोगों की जवाबदेही पर गहरी बहस छेड़ दी। यह केस इसलिए भी विशेष बन गया क्योंकि इसमें आरोपी एक राजनीतिक रसूखदार परिवार से था, और इसके बावजूद न्याय प्रक्रिया ने बिना झुके अपने निष्कर्ष तक पहुंच बनाई।
Munadi Live मानता है कि यह केवल एक अदालत का फैसला नहीं, बल्कि समाज के उस हिस्से की जीत है जो सच के साथ खड़ा है। यह एक संदेश है कि यदि जनआवाज़ उठे तो सत्ता, रसूख और पैसे के महल भी न्याय के सामने झुक सकते हैं।
न्यायपालिका को सलाम, लेकिन ज़रूरत है प्रणालीगत बदलाव की
हालांकि अदालत के इस फैसले ने न्याय के प्रति विश्वास को मज़बूत किया है, पर यह भी स्पष्ट है कि कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानून और निगरानी तंत्र की ज़रूरत है।पुलिस और प्रशासन को पीड़िता की शिकायतों को तुरंत और गंभीरता से लेना होगा। समाज में महिलाओं को अपनी बात कहने के लिए सुरक्षित और समर्थ वातावरण देना होगा।
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