बोकारो में निजी स्कूलों की मनमानी पर सख्त प्रशासन, एसडीओ ने स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के साथ की बैठक
बोकारो: जिले में लगातार निजी विद्यालयों की मनमानी को लेकर मिल रही शिकायतों के बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। इसी क्रम में चास अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) प्रांजल ढांडा ने समाहरणालय सभागार में अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों और विभिन्न निजी स्कूलों के प्रबंधन के साथ बैठक की। बैठक में जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) जगरनाथ लोहरा और जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) अतुल चौबे समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
शिकायतों की जांच और कार्रवाई के निर्देश
बैठक में एसडीओ ने अभिभावक संघ से स्कूलों से जुड़ी शिकायतें सुनीं और कुछ मामलों में स्कूल प्रबंधन से जवाब भी लिया। उन्होंने निर्देश दिया कि अभिभावक अपनी शिकायतें लिखित रूप में जिला स्तरीय समिति के समक्ष रखें। इस समिति द्वारा सभी स्कूलों से उनका पक्ष लिया जाएगा और सीबीएसई/आईसीएसई/आरटीई एवं राज्य सरकार के नियमों के अनुपालन की जांच की जाएगी।
यदि कोई स्कूल प्रबंधन नियमों की अनदेखी करता पाया गया, तो डीईओ/डीएसई की रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
फीस बढ़ोतरी और किताबों की बिक्री को लेकर सख्त नियम
फीस बढ़ोतरी: स्कूलों को राज्य सरकार के निर्देशानुसार 9 सदस्यीय कमेटी (स्कूल प्रबंधन/अभिभावक) बनानी होगी। कमेटी की सहमति के बिना फीस बढ़ोतरी नहीं होगी।
पाठ्यपुस्तकों की बिक्री: सभी स्कूलों को अपनी किताबों और प्रकाशकों की सूची अपनी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। स्कूल किसी एक दुकान से किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को बाध्य नहीं करेंगे। किताबें कम से कम 10-15 दुकानों में उपलब्ध कराई जाएंगी।
एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के निर्देश दिए गए हैं
•स्कूलों की अन्य मनमानी पर रोक
•हर साल नई ड्रेस खरीदने की अनिवार्यता नहीं होगी।
•छात्रों के अवकाश पर रहने पर फाइन लगाने की व्यवस्था तत्काल बंद होगी।
•अभिभावकों की समस्याओं को सुनने के लिए शिक्षकों के नाम और नंबर सार्वजनिक किए जाएंगे। स्कूल की वेबसाइट और परिसर में फ्लैक्स/होर्डिंग के माध्यम से यह जानकारी प्रदर्शित करनी होगी।
प्रशासन का सख्त संदेश
बैठक में डीईओ और डीएसई ने कहा कि विद्यालयों का संचालन केवल लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं किया जाता। स्कूलों को शिक्षा के मूल उद्देश्य पर ध्यान देना होगा और अभिभावकों की समस्याओं को गंभीरता से लेना होगा।
प्रशासन की इस पहल के बाद उम्मीद की जा रही है कि बोकारो में निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगेगी और अभिभावकों को राहत मिलेगी।