बोकारो विधायक श्वेता सिंह पर लगे आरोपों की जांच रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी गई, विधायक ने दी विस्तृत सफाई

नीरज सिंह, बोकारो | 20 जून 2025: बोकारो जिला प्रशासन ने चास से भाजपा विधायक श्वेता सिंह पर लगे विभिन्न आरोपों की जांच रिपोर्ट राज्य चुनाव पदाधिकारी के कार्यालय को भेज दी है। यह रिपोर्ट चास अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) द्वारा तैयार की गई है, जिसमें विधायक के द्वारा 16 जून को प्रस्तुत किए गए लिखित स्पष्टीकरण को आधार बनाया गया है।

क्या हैं आरोप? और क्या दी सफाई?
पैन कार्ड में पति का नाम पिता के स्थान पर दर्ज होने का मामला

विधायक श्वेता सिंह ने स्पष्ट किया कि यह प्रशासनिक गलती है। उन्होंने बताया कि उनके पैन कार्ड में पिता के स्थान पर पति का नाम दर्ज कर दिया गया था, जिसके सुधार के लिए उन्होंने संबंधित विभाग में आवेदन दे दिया है। उन्होंने कहा कि उनका सिर्फ एक ही मान्य पैन कार्ड है, जिससे वे आयकर रिटर्न दाखिल करती हैं।
दो वोटर आईडी रखने का आरोप


विधायक ने कहा कि उन्हें सिर्फ एक ही वोटर आईडी कार्ड की जानकारी है, जिसका उपयोग वे वर्षों से मतदान में करती रही हैं। यह कार्ड पहले सेक्टर फोर, बी-12 पते पर था, जिसे बाद में सेक्टर तीन के पते पर अपडेट कराया गया।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चास से संबंधित कोई दूसरा वोटर आईडी कार्ड उनके संज्ञान में नहीं था, लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी मिली, उन्होंने उसे रद्द करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
दूसरे पैन कार्ड की मौजूदगी
विधायक ने साफ किया कि उन्हें दूसरे पैन कार्ड की जानकारी नहीं थी, न ही उसका कभी उपयोग किया गया। जैसे ही यह बात सामने आई, उन्होंने उसका रद्दीकरण करवाने के लिए आवेदन किया।
बोकारो के दो सरकारी क्वार्टरों के बकाया को हलफनामे में नहीं दर्शाने का आरोप
श्वेता सिंह ने अपनी सफाई में कहा कि चुनावी हलफनामे में सिर्फ सरकारी बकाया दिखाना अनिवार्य होता है। जबकि यह बकाया सेल (SAIL) जैसी सार्वजनिक उपक्रम से संबंधित है, जो सरकार नहीं बल्कि एक पीएसयू है। इस वजह से इसकी जानकारी देना आवश्यक नहीं था।
आगे की कार्रवाई चुनाव आयोग के पाले में
चास एसडीओ द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट अब राज्य चुनाव पदाधिकारी कार्यालय को भेज दी गई है। अगली कार्रवाई निर्वाचन आयोग द्वारा तय की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अब राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है, खासकर आगामी चुनावों को देखते हुए।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक हलकों में इस मामले को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं। जहां विपक्ष इसे चुनावी पारदर्शिता से जोड़कर उठा रहा है, वहीं भाजपा खेमे में इसे एक तकनीकी त्रुटि बताकर विधायक के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।