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कल्पना सोरेन का भाजपा पर कड़ा प्रहार: ‘आदिवासियों के हित की बातें ढोंग, असली निशाना झारखंड की खनिज संपदा!’

रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की नेता कल्पना सोरेन ने पोटका में एक जनसभा के दौरान भाजपा पर तीखा और आक्रामक हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सिर्फ दिखावे के लिए आदिवासियों की बात करती है, जबकि असल में उनकी नजर राज्य के खनिज संसाधनों पर है। उन्होंने झारखंड की जनता को चेतावनी दी कि भाजपा को आदिवासियों से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि उनका असली मकसद झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन है।

कल्पना सोरेन ने मणिपुर की बेटियों के प्रति भाजपा के रवैये को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, “भाजपा के नेता झारखंड में आदिवासियों के हितैषी बनने का नाटक कर रहे हैं। उनसे पूछिए कि मणिपुर की जिन बेटियों की इज्जत सरेआम उछाली गई, क्या वे आदिवासी नहीं थीं? भाजपा को आदिवासियों की पीड़ा से कोई लेना-देना नहीं, उन्हें बस झारखंड की खनिज संपदा की चिंता है।


उन्होंने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा कि “मध्य प्रदेश में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं, क्या वे झारखंड के बेटे-बेटियां नहीं हैं? छत्तीसगढ़ में हंसदेव जंगल से आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है, और भाजपा का यही मंसूबा है कि झारखंड में भी इसी तरह आदिवासियों की जमीनें हड़प ली जाएं।”
“जब हम अपने अधिकारों की बात करते हैं, जब झारखंड अपनी बकाया राशि की मांग करता है, तो भाजपा हमें दबाने की कोशिश करती है। राज्य के आदिवासी नेता, जो भाजपा के साथ हैं, वे क्यों नहीं केंद्र से झारखंड का बकाया मांगते? क्या भाजपा का यही विकास मॉडल है—आदिवासियों को हाशिये पर रखना, उनकी आवाज को दबाना, और उनकी जमीनों पर कब्जा करना?”


कल्पना सोरेन ने झामुमो सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि “हमने 40 लाख लोगों को पेंशन योजना से जोड़ा है, 55 लाख से अधिक महिलाओं को ‘मंईयां सम्मान योजना’ का लाभ दिया है, और 25 लाख से अधिक ‘अबुआ आवास’ का निर्माण कराया है। भाजपा के नेताओं के पास इस तरह के जनहितकारी योजनाओं का कोई जवाब नहीं है, क्योंकि उनके मन में झारखंड और उसके लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है।
कल्पना सोरेन ने स्पष्ट किया कि झारखंड का बेटा ही झारखंड का असली हितैषी है। भाजपा को झारखंड की जमीन के नीचे छिपे खनिजों की ज्यादा चिंता है, न कि यहां के लोगों की। उनका जोरदार बयान था कि “झारखंड के हर आदिवासी को जागरूक होना चाहिए कि उनके अधिकारों के लिए लड़ने वाली झामुमो सरकार ही असली सरकार है। भाजपा का असली चेहरा दिख चुका है और अब झारखंड में उनकी विभाजनकारी नीतियों की कोई जगह नहीं है।”
कल्पना सोरेन ने भाजपा की केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि “अगर सच में आदिवासियों की फिक्र है, तो पहले मणिपुर की बेटियों का हिसाब दें, मध्य प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचारों का जवाब दें, और छत्तीसगढ़ के हंसदेव जंगल में आदिवासियों को उनके अधिकार वापस दें। झारखंड के लोग भाजपा के छल-कपट को समझ चुके हैं और आने वाले चुनाव में उन्हें करारा जवाब देंगे।