भू माफियाओं का आतंक : 20 एकड़ के सरकारी पहाड़ को किया समतल, सरकारी और आदिवासी जमीन कब्जाने का खेल
बोकारो : जिले में सरकारी और वन भूमि की लूट खुलेआम जारी है। भू-माफिया और सफेदपोश लोगों की मिलीभगत से जमीन का अवैध कब्जा और खनन का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। ताजा मामला सिजुआ मौजा का है, जहां 20 एकड़ के सरकारी पहाड़ को समतल कर मिट्टी की तस्करी कर दी गई। इस घटना ने प्रशासन की निष्क्रियता उजागर करके रख दी है
प्रशासन की निष्क्रियता उजागर
हालांकि, वन विभाग की तत्परता के बाद चास अंचल अधिकारी ने जांच करवाई और बालीडीह थाना में मुख्य आरोपी मधुसूदन सिंह सहित अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। अंचल अधिकारी दिवाकर दुबे के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक ने आवेदन देकर सिजुआ पहाड़ की अवैध खुदाई और मिट्टी तस्करी में लिप्त माफियाओं पर प्राथमिकी दर्ज कराई है।
आवेदन के मुताबिक, मधुसूदन सिंह ने 20 एकड़ जंगल और पहाड़ की जमीन को समतल कर दिया। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में वर्षों से सरकारी और आदिवासी जमीन कब्जाने का खेल चल रहा है। सिजुआ पहाड़, जो कभी क्षेत्र की पहचान था, अब पूरी तरह गायब हो चुका है। हजारों ट्रैक्टर मिट्टी तस्करी कर बेची जा चुकी है। पुराने सर्वे और नक्शे में यह जमीन सरकारी संपत्ति और पहाड़ के रूप में दर्ज है। नए नक्शे में भी इसका स्वरूप सरकारी जमीन और पहाड़ का ही है। बावजूद इसके, इस पहाड़ को काटकर मिट्टी बेची जा रही है।
बिजली विभाग भी लूट में शामिल?
इतना ही नहीं, बिजली विभाग ने भी इस अवैध कारोबार को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अवैध रूप से विकसित हो रहे इस क्षेत्र में बिजली कनेक्शन देने के लिए खंभे तक गिरा दिए गए हैं। इससे यह साफ होता है कि स्थानीय प्रशासन, पुलिस, भू-माफिया और सफेदपोश लोगों का गठजोड़ इस अवैध कब्जे को अंजाम दे रहा है।
झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) के अधीक्षण अभियंता दिनेश्वर प्रसाद सिंह ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इस जमीन पर बिजली के खंभे अन्य काम के लिए गिराए गए थे। यहां किसी तरह के बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन नहीं आया था।
मुनादी लाइव से बातचीत में चास अंचल अधिकारी दिवाकर दुबे ने कहा कि जैसे ही हमें जानकारी मिली, हमने तत्काल कार्रवाई की है । विभाग की ओर से किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है।
वन विभाग का बयान
वहीं बोकारो के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि पहाड़ काटने की सूचना पर हमारी टीम ने जांच की, लेकिन जमीन वन विभाग की नहीं निकली। इसकी जानकारी संबंधित विभाग को दे दी गई थी, अब इस पर कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि पहाड़ को किस हद तक काटा गया है, क्योंकि पहाड़ सरकारी संपत्ति है।
प्रशासन की नींद कब खुलेगी?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन इस माफिया गठजोड़ पर कब तक नकेल कसेगा? क्या जिला प्रशासन अपनी कुम्भकर्णी नींद से जागेगा और भू-माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा? या फिर यह अवैध कारोबार ऐसे ही बदस्तूर जारी रहेगा?