लालू की लाडली रोहिणी… जिसने पिता को किडनी देकर जीवन दिया, अब RJD की हार के बाद परिवार और राजनीति से खुद को अलग किया
पटना/दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने न सिर्फ़ राजनीतिक समीकरण बदल दिए, बल्कि एक बेटी के दिल में ऐसा तूफान ला दिया कि उसने राजनीति ही नहीं, अपने परिवार से भी दूरी बनाने का दर्दनाक फैसला कर लिया। हम बात कर रहे हैं लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की—वही रोहिणी, जिसने 2023 में अपने पिता को किडनी देकर उनको नई ज़िंदगी दी थी। अब वही रोहिणी RJD की करारी हार के बाद सदमे में हैं और राजनीति से संन्यास की घोषणा कर चुकी हैं।
रोहिणी का भावुक पोस्ट—“मैं टूट चुकी हूँ… अब राजनीति नहीं, न ही परिवार से जुड़ाव”
चुनाव परिणाम आने के कुछ ही घंटों बाद रोहिणी आचार्य का सोशल मीडिया पर एक भावुक और चौंकाने वाला पोस्ट सामने आया। उन्होंने लिखा:
“मैं अब राजनीति से दूरी बना रही हूँ। परिवार से भी अपने संबंध सीमित कर रही हूँ। मैं बेहद आहत हूँ… टूट चुकी हूँ। बस अब शांति चाहिए।”
रोहिणी की यह पोस्ट देखते ही देखते वायरल हो गई। लोग हैरान थे—आख़िर लालू यादव की वही लाडली, जिसने पिता के लिए अपनी एक किडनी दान की थी, वह इस कदर आहत कैसे हो गई?
बिहार चुनाव 2025: करारी हार ने हिला दिया RJD का कुनबा
इस बार के चुनाव में RJD और महागठबंधन को करारी शिकस्त मिली।
243 सीटों में से NDA ने 2022 सीटों पर कब्जा कर लिया, जबकि RJD का प्रदर्शन ऐतिहासिक रूप से गिर गया।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भी सवाल उठने लगे।
इसी राजनीतिक भूचाल के बीच परिवार के अंदर की नाराज़गी और दबाव ने रोहिणी को भीतर तक तोड़ दिया।
लालू परिवार में बढ़ते मतभेद—क्या रोहिणी अकेली पड़ गईं?
RJD की लगातार कमजोर होती राजनीति ने लालू परिवार के अंदर भी तनाव बढ़ा दिया है।
सियासी गलियारों में ये बातें पहले से ही चर्चा में थीं:
- तेजस्वी यादव और तेजप्रताप के बीच मनमुटाव
- रोहिणी का कई बार तेजस्वी को सलाह देना
- RJD नेतृत्व की रणनीति में रोहिणी को अहमियत न मिलना
- परिवार के भीतर “दूर करने” की भावना
हालांकि सार्वजनिक रूप से परिवार के किसी सदस्य ने इसे स्वीकार नहीं किया, लेकिन रोहिणी के पोस्ट ने सब कुछ साफ कर दिया।
पिता को बचाया… अब वही बेटी खुद को अकेला महसूस कर रही है
जब लालू यादव किडनी फेलियर से जूझ रहे थे, तब राजनेता दूर रह रहे थे, लेकिन बेटी रोहिणी आगे बढ़ीं।
- अपने पिता के लिए किडनी दान की
- महीनों तक उनकी सेवा की
- देशभर ने उनकी प्रशंसा की
लेकिन आज वही रोहिणी सोशल मीडिया पर लिख रही हैं कि वह “मानसिक रूप से टूट गई हैं” और राजनीति छोड़ रही हैं।
राजनीति विशेषज्ञों का कहना है कि—
“RJD की हार का ठीकरा अप्रत्यक्ष रूप से रोहिणी पर फोड़ने की कोशिशें हुईं, जिससे वह बेहद आहत हुईं।”
क्या रोहिणी फिर कभी राजनीति में लौटेंगी?
रोहिणी की यह घोषणा स्थायी है या भावनात्मक, फिलहाल इसका स्पष्ट जवाब नहीं।
लेकिन RJD के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि—
- रोहिणी कई महीनों से पार्टी रणनीति से असहमत थीं
- उन्हें सार्वजनिक रूप से सामने आकर कुछ बोलने से रोका जाता था
- वे तेजस्वी की कुछ नीतियों से नाराज़ थीं
राजनीति पर नज़र रखने वालों का मानना है कि रोहिणी का यह कदम RJD के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि वह पार्टी के भावनात्मक चेहरे के रूप में देखी जाती थीं।
RJD की हार का दर्द—क्या परिवार में दरार और गहरी होगी?
चुनाव में करारी हार के बाद RJD पहले से ही दबाव में है। तेजस्वी यादव पर नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब रोहिणी आचार्य का परिवार और राजनीति से दूरी का फैसला, परिवार को और कमजोर कर सकता है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि—
“अगर लालू यादव खुद सामने आकर रोहिणी को न रोकें, तो यह परिवार के लिए बड़ा नुकसान होगा।”
राजनीतिक भविष्य पर बड़ा सवाल… क्या रोहिणी का दर्द RJD को और कमजोर करेगा?
अब यह साफ है कि बिहार की राजनीति एक नया मोड़ ले चुकी है। RJD का भविष्य अनिश्चित दिख रहा है— और रोहिणी का अचानक राजनीति से हटना, पार्टी के भीतर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।



