झारखंड के स्कूलों में पढ़ायी जायेगी दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी

Shibu Soren Biography Shibu Soren Biography

झारखंड के बच्चों को पढ़ाई जायेगी गुरुजी की जीवनी
स्कूली शिक्षा विभाग ने लिया ऐतिहासिक फैसला

रांचीः झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु के नाम से मशहूर शिबू सोरेन की जीवनी अब राज्य के स्कूली बच्चों को पढ़ाई जाएगी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर दिया है और प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की कवायद शुरू कर दी है।

Maa RamPyari Hospital

बुधवार को शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया कि शिबू सोरेन के जीवन संघर्ष, समाज सुधार, महाजनी प्रथा के विरोध, झारखंड निर्माण आंदोलन और उनके विचारों को कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

whatsapp image 2025 08 04 at 10413 pm 1 1754293254

31 अगस्त तक ड्राफ्ट होगा तैयार
बैठक में निर्णय लिया गया कि 31 अगस्त तक कंटेंट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया जाएगा, जिसके बाद किताबों की प्रिंटिंग प्रक्रिया शुरू होगी। अगले शैक्षणिक सत्र से यह सामग्री विद्यार्थियों की किताबों में शामिल की जाएगी।

whatsapp channel

Maa RamPyari Hospital

Telegram channel

शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने कहा कि “गुरुजी के जीवन और संघर्ष को अलग-अलग कक्षाओं में विषयानुसार जोड़ा जाएगा। बच्चों को उनकी विचारधारा से अवगत कराना बेहद जरूरी है।”

कक्षा अनुसार गुरुजी की जीवनी का पाठ्यक्रम

  • कक्षा 1-2: चित्रकथा के रूप में जीवन परिचय और संकल्प, हिंदी व अंग्रेजी विषय में।
  • कक्षा 4: कविता और कहानी के जरिए पर्यावरण संरक्षण व पेड़ लगाने के महत्व पर गुरुजी के विचार।
  • कक्षा 6: सामाजिक विज्ञान विषय में नशा विरोधी अभियान और स्थानीय स्वशासन पर उनके प्रयास।
  • कक्षा 7: अकिल अखाड़ा यानी रात्रि पाठशाला की जानकारी।
  • कक्षा 8: हिंदी में जीवन के मानवीय पहलू और सामाजिक विज्ञान में आंदोलन की भूमिका।
  • कक्षा 9: हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू विषयों में गुरुजी के जीवन संघर्ष।
  • कक्षा 11: भाषा की किताब में 19 सूत्री कार्यक्रम (हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू)।
w 1280h 720imgid 01k1swkx4r4kgtef3tqmpjmwwaimgname dishom guru shibu soren biography 7 1754289271960 1
the-habitat-ad

नई पीढ़ी को मिलेगा प्रेरणा स्रोत
शिबू सोरेन का जीवन झारखंडी समाज के लिए संघर्ष, न्याय और आत्मसम्मान का प्रतीक रहा है। महाजनी प्रथा के खिलाफ उनका आंदोलन, आदिवासी अधिकारों की लड़ाई, शराबबंदी और शिक्षा को लेकर उनके अभियान को बच्चों तक पहुँचाना सरकार की एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।

सरकार का मानना है कि इससे नई पीढ़ी को न केवल गुरुजी की विचारधारा से प्रेरणा मिलेगी बल्कि समाज सुधार की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग भी मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *