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भारत पहुंचे जर्मनी के विदेश मंत्री वेडफुल, इसरो और जयशंकर से मुलाकात
जर्मनी के विदेश मंत्री वेडफुल भारत दौरे पर, इसरो का करेंगे दौरा और जयशंकर-गोयल संग करेंगे अहम बातचीत
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान डेविड वेडफुल मंगलवार सुबह भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर बेंगलुरु पहुंचे। एयरपोर्ट पर भारतीय अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर प्रगाढ़ता देखने को मिल रही है।
इसरो का करेंगे दौरा
अपने कार्यक्रम के पहले दिन वेडफुल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों और शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। भारत के चंद्रयान और आदित्य मिशन की सफलता के बाद इसरो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है। जर्मनी पहले से ही अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। ऐसे में दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष तकनीक में सहयोग की नई संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुलाकात से भारत-जर्मनी के बीच सैटेलाइट प्रोजेक्ट्स, स्पेस टेक्नोलॉजी और रिसर्च को साझा करने की दिशा में ठोस पहल हो सकती है।
जयशंकर और गोयल से मुलाकात
विदेश मंत्री वेडफुल अपने भारत प्रवास के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से भी मुलाकात करेंगे। जयशंकर के साथ वार्ता में कूटनीतिक संबंधों, क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। वहीं, पीयूष गोयल संग मुलाकात में दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और औद्योगिक सहयोग को लेकर वार्ता होगी। पिछले कुछ वर्षों में भारत-जर्मनी के बीच द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच व्यापार का आंकड़ा 30 बिलियन यूरो तक पहुंचा था। इस पृष्ठभूमि में यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
जर्मनी का भारत को लेकर रुख
भारत पहुंचने से पहले दिए गए बयान में जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह दौरा दोनों देशों को और करीब लाने का काम करेगा। जर्मनी यूरोपियन यूनियन (EU) में भारत का सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार है। शिक्षा, अनुसंधान, ग्रीन टेक्नोलॉजी और ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच कई समझौते पहले से लागू हैं। खासकर नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और स्थायी विकास जैसे क्षेत्रों में जर्मनी भारत का मजबूत सहयोगी रहा है।
भारत-जर्मनी संबंधों का बढ़ता आयाम
भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी वर्ष 2000 में स्थापित हुई थी। तब से लेकर अब तक दोनों देशों ने विज्ञान, तकनीक, रक्षा और शिक्षा में सहयोग को मजबूत किया है।
- जर्मनी भारत का सबसे बड़ा यूरोपीय व्यापारिक भागीदार है।
- हर साल हजारों भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए जर्मनी जाते हैं।
- दोनों देशों ने रक्षा तकनीक और औद्योगिक सहयोग को लेकर भी कई अहम करार किए हैं।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज़ के बीच हुई मुलाकात में भी इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी। अब विदेश मंत्री वेडफुल की यह यात्रा उसी कड़ी को आगे बढ़ाने का प्रयास है।
नई संभावनाओं की तलाश
इस यात्रा से अंतरिक्ष तकनीक, शिक्षा और व्यापार के क्षेत्र में नए करारों की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में भारत-जर्मनी का सहयोग एशिया-यूरोप की साझेदारी के लिए एक मिसाल साबित हो सकता है। भारत तेजी से वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, वहीं जर्मनी यूरोप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था है। दोनों देशों का गठजोड़ वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर डाल सकता है।
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान डेविड वेडफुल की यह भारत यात्रा सिर्फ औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच भविष्य की साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस दौरे से अंतरिक्ष, व्यापार और रणनीतिक सहयोग के नए द्वार खुलने की उम्मीद की जा रही है।