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लड़कियों का इस्तेमाल और फैमिली कार: पुलिस ने पकड़ा शराब तस्करी का नया तरीका

Illegal Liquor Trade

Palamu:पलामू में अवैध शराब के कारोबार ने एक नई और खतरनाक करवट ले ली है। पुलिस की हालिया कार्रवाई ने यह खुलासा कर दिया है कि शराब माफिया अब अपने नेटवर्क को बचाने के लिए लड़कियों का उपयोग कर रहे हैं और गाड़ियों को ‘फैमिली कार’ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। एनवा–मैनवा जंगल में संचालित अवैध शराब फैक्ट्री पर छापेमारी ने इस नए पैटर्न की पोल खोल दी, जिसे देखकर पुलिस भी हैरान रह गई।

यह तरीका इतना चालाकी से अपनाया गया कि चेकिंग के दौरान पुलिस को भी गाड़ी में बैठे युवक–युवती एक सामान्य कपल की तरह लगते थे। इसी का फायदा उठाकर शराब की बड़ी खेप पैसेंजर कारों में आसानी से पलामू से बिहार और आसपास के राज्यों में भेजी जा रही थी।

एनवा–मैनवा जंगल की फैक्ट्री से खुली तस्करी की नई परतें
पिछले हफ्ते पुलिस ने पांकी थाना क्षेत्र के एनवा–मैनवा जंगल में जब अवैध शराब फैक्ट्री पर धावा बोला, तो कई राज एक साथ उजागर हुए। जिस कार से पुलिस सूचना के आधार पर यहां तक पहुंची थी, वह किसी तस्कर की SUV या पिकअप नहीं थी, बल्कि एक सामान्य फैमिली कार थी।

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कार की डिक्की और सीटों के अंदर इतनी सफाई से कक्ष बनाए गए थे कि पहली नज़र में किसी को भी शक नहीं होता। पुलिस को तस्करों के मोबाइल फोन से कई लड़कियों की तस्वीरें और बातचीत के स्क्रीनशॉट भी मिले, जिनसे साफ हो गया कि यह एक संगठित गैंग है, जिसमें लड़कियों की भूमिका एक सुरक्षा ढाल के रूप में तय की गई थी।

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कैसे लड़कियों को तस्करी में शामिल किया जाता था
तस्कर एक लड़की और एक लड़के को आगे की सीट पर बैठाते थे। चेकिंग के समय वे खुद को कपल बताते थे, जिसे देखकर पुलिस की नजर आसानी से हट जाती थी। पीछे की सीटों और गाड़ी के अंदरूनी हिस्सों में शराब के कार्टन छिपाए रहते थे। यह तरीका इसलिए अपनाया गया कि बड़ी गाड़ियों पर पुलिस की नजर अधिक रहती थी और हाल के महीनों में कई ट्रक व पिकअप लगातार पकड़े जा चुके थे।

पलामू एसपी रीष्मा रमेशन के अनुसार, “माफिया पैटर्न बदलते रहते हैं। अब लड़कियों को आगे बैठाकर फैमिली कार का उपयोग किया जा रहा है, ताकि पुलिस को शक न हो। इस नेटवर्क के कई महत्वपूर्ण इनपुट मिले हैं और आगे कड़ी कार्रवाई जारी है।”

चुनावों में बढ़ी थी शराब की तस्करी, पकड़ी गई थी करोड़ों की खेप
पलामू, बिहार से सटा जिला होने के कारण शराब तस्करी का बड़ा गलियारा माना जाता है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान यहां से 70 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध शराब और नशीली सामग्री पकड़ी गई थी। बीते जून में सतबरवा थाना क्षेत्र से एक ट्रक में भारी मात्रा में शराब बरामद की गई थी। हरिहरगंज, छतरपुर पड़वा, लेस्लीगंज और पांकी इलाकों में पिछले छह महीनों में कई बार बड़ी गाड़ियां पकड़ी गई हैं।

इन्हीं लगातार हो रही बरामदगियों के चलते तस्करों ने अब छोटे वाहनों और फैमिली कार मॉडल का उपयोग शुरू कर दिया है। पुलिस का कहना है कि यह बदलाव उनके लिए नई चुनौती है, पर सभी हाईवे और प्रमुख मार्गों पर निगरानी बढ़ा दी गई है।

तस्कर कारों के डिजाइन में भी छेड़छाड़ कर रहे हैं
माफियाओं ने कारों के अंदरूनी ढांचे में भी बदलाव करना शुरू कर दिया है। सीटों के नीचे, डैशबोर्ड के अंदर और डिक्की के भीतर छिपे खांचे बनाए जाते हैं, जिनमें शराब के कार्टन या पाउच आसानी से रखे जा सकें।

यह तकनीक पहले नकली सोना और फायरआर्म स्मगलिंग में उपयोग होती थी, लेकिन अब शराब तस्करी में तेजी से लागू हो रही है।

पुलिस सतर्क—बदले पैटर्न पर निगरानी बढ़ी
पलामू पुलिस ने सभी थानों को अलर्ट जारी कर दिया है। नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और जंगल मार्गों पर नियमित चेकिंग की जा रही है। एसपी ने साफ कहा है कि “समय के साथ अपराधी तरीके बदलते हैं, लेकिन हमारी टीम हर बदलाव को पकड़ने के लिए तैयार है।”

निगरानी बढ़ने के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़े और लोग दबोचे जा सकते हैं।

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