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पाकुड़ की शैक्षणिक पहल ‘परख-पढ़ाई और खेल’ को राष्ट्रीय स्कॉच अवार्ड 2025

Education Innovation

सुशासन और शिक्षा नवाचार के लिए राष्ट्रीय मंच पर मिली पहचान

Pakur : पाकुड़ जिला प्रशासन की अभिनव शैक्षणिक पहल “परख – पढ़ाई और खेल” को स्कॉच अवार्ड 2025 के लिए चयनित किया गया है। यह सम्मान देश में सुशासन, नवाचार और समावेशी विकास के क्षेत्र में दिए जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कारों में से एक माना जाता है। स्कॉच ग्रुप द्वारा आयोजित कड़ी, स्वतंत्र और बहु-स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया के सभी चरणों को सफलतापूर्वक पार करने के बाद पाकुड़ को यह राष्ट्रीय उपलब्धि हासिल हुई है।

10 जनवरी 2026 को दिल्ली में होगा सम्मान
इस सम्मान की औपचारिक घोषणा के बाद यह तय किया गया है कि 10 जनवरी 2026 को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित 105वें स्कॉच शिखर सम्मेलन (शासकीय विकसित भारत) के दौरान पाकुड़ जिले को सम्मानित किया जाएगा। यह अवसर न केवल जिले बल्कि पूरे झारखंड के लिए गर्व का क्षण माना जा रहा है।

उपायुक्त मनीष कुमार के नेतृत्व में शिक्षा में नवाचार
उपायुक्त मनीष कुमार के नेतृत्व में पाकुड़ जिला प्रशासन ने शिक्षा को केवल एक सरकारी योजना तक सीमित न रखते हुए नवाचारों की एक पूरी श्रृंखला विकसित की है। इन पहलों का उद्देश्य बच्चों की नियमित स्कूल उपस्थिति, सीखने की गुणवत्ता और सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करना रहा है। इन प्रयासों ने जिले की शैक्षणिक तस्वीर में उल्लेखनीय बदलाव लाया है।

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‘परख’ के तहत लागू की गई प्रमुख पहलें
पाकुड़ में शिक्षा सुधार के लिए कई अभिनव कार्यक्रमों को ज़मीन पर उतारा गया, जिनमें ‘फिर से स्कूल चले हम’ अभियान के तहत ड्रॉपआउट दर कम करने और हर बच्चे को स्कूल से जोड़ने पर विशेष जोर दिया गया। ‘बोलेगा पाकुड़’ और ‘बात तो करनी होगी’ जैसी पहल से बच्चों की झिझक दूर हुई, आत्मविश्वास बढ़ा और संचार कौशल में सुधार आया। परख टेस्ट के माध्यम से नियमित मूल्यांकन कर बच्चों के सीखने के स्तर को समझने और सुधारने का प्रयास किया गया। मध्याह्न भोजन को उत्सव का रूप देकर समुदाय की भागीदारी से बच्चों के जन्मदिन मनाए गए, जिससे स्कूलों में अपनापन और उपस्थिति दोनों बढ़े।
एक पन्ना रोज का’ और ‘आज क्या सीखें’ जैसी सरल लेकिन प्रभावी पद्धतियों से लेखन अभ्यास और दैनिक सीख को बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बनाया गया।

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टीम भावना और जमीनी काम का मिला फल
इस बड़ी उपलब्धि पर उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी मनीष कुमार ने जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, एडीपीओ, सभी शिक्षकों और शिक्षा विभाग की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान जिले की टीम भावना, समर्पण और जमीनी स्तर पर किए गए नवाचारों का परिणाम है।

राष्ट्रीय पहचान से मिला नया उत्साह
उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा कि ‘परख’ के माध्यम से पढ़ाई और खेल को जोड़कर बच्चों के सर्वांगीण विकास का जो लक्ष्य रखा गया था, उसे आज राष्ट्रीय पहचान मिली है। यह उपलब्धि हमें भविष्य में और बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करेगी।

यह स्कॉच अवार्ड न केवल पाकुड़ की प्रशासनिक दक्षता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि सोच नवाचारी हो, तो शिक्षा के क्षेत्र में भी नई मिसाल कायम की जा सकती है।

झारखंड के लिए प्रेरणादायक मॉडल
पाकुड़ की यह पहल अब अन्य जिलों और राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रही है। शिक्षा में गुणवत्ता, सहभागिता और नवाचार के इस मॉडल ने यह दिखा दिया है कि स्थानीय स्तर पर किए गए छोटे-छोटे प्रयास भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान दिला सकते हैं।

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