...

शहीद निर्मल महतो की 75वीं जयंती पर झारखंड में श्रद्धांजलि सभाएं

shaheed nirmal mahto

छात्र जीवन से ही आंदोलन की राह पकड़ी थी — देवेंद्र नाथ महतो

सरायकेला, विघुत महतो : झारखंड आंदोलन के मसीहा निर्मल महतो की 75वीं जयंती के अवसर पर पूरे झारखंड में उनके संघर्ष, विचार और बलिदान को स्मरण किया गया। इसी क्रम में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा, सिल्ली विधानसभा इकाई की ओर से सोनाहातु जाड़ेया स्थित शहीद निर्मल महतो की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष सह सिल्ली विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि शहीद निर्मल महतो ने बहुत कम उम्र में ही शोषित-वंचित समाज की पीड़ा को समझ लिया था। छात्र जीवन से ही उन्होंने अन्याय, शोषण और दमन के खिलाफ आंदोलन का रास्ता चुना और झारखंड की माटी के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

उन्होंने कहा कि निर्मल महतो ने युवाओं को संगठित कर अलग झारखंड राज्य की मांग को मजबूती दी। प्रशासनिक दमन के बावजूद रेलियां, धरना-प्रदर्शन और जुलूस आयोजित कर उन्होंने झारखंड की मांग को राष्ट्रीय पटल तक पहुंचाया। गरीबों, मजदूरों, किसानों और शोषित वर्गों के अधिकारों के लिए उन्होंने साहूकारों और शोषकों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष किया।

WhatsApp Image 2025 12 25 at 20.28.06
whatsapp channel

Maa RamPyari Hospital

Telegram channel

देवेंद्र नाथ महतो ने बताया कि 25 दिसंबर 1950 को जमशेदपुर के कदमा-उलियान क्षेत्र में जन्मे निर्मल महतो का जीवन साधारण था, लेकिन उनके विचार और संघर्ष असाधारण थे। 8 अगस्त 1987 को चमरिया गेस्ट हाउस में वे राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार हुए, लेकिन उनका संघर्ष वहीं समाप्त नहीं हुआ।
उनका अमर नारा—“मेरा खून बेकार न जाए, मेरे खून का हिसाब रखना”—आज भी झारखंडियों की रगों में जोश और चेतना भरता है।

The-habitat-final-ad-scaled.jpg
the-habitat-ad

उन्होंने कहा कि शहीद निर्मल महतो की शहादत ने अलग झारखंड आंदोलन को नई दिशा दी, जिसके परिणामस्वरूप 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ। हालांकि, राज्य गठन के 25 वर्षों बाद भी उनका सपना—आदिवासी-मूलवासी का सर्वांगीण विकास, जल-जंगल-जमीन की रक्षा, भाषा-संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण—अब भी पूरी तरह साकार नहीं हो सका है।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि शहीद निर्मल महतो के विचारों और सपनों को धरातल पर उतारना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अन्याय के खिलाफ खड़ा होना और झारखंडी अस्मिता की रक्षा करना ही उनके संघर्ष का सार है।

माल्यार्पण कार्यक्रम में रंजीत महतो, मोहन महतो, गदाधर महतो, प्रहलाद महतो सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे और शहीद निर्मल महतो को नमन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *