डीएवी नंदराज पब्लिक स्कूल बरियातू में अनूठे अंदाज़ में मनाया गया बालदिवस
रांची: डीएवी नंदराज पब्लिक स्कूल बरियातू में बालदिवस बड़े ही अनूठे और संस्कारपूर्ण तरीके से मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के सभी वर्गों के बच्चों के लिए विशेष गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि मूल्य आधारित शिक्षा और नैतिक संस्कारों का संवर्धन भी रहा।
हवन यज्ञ से हुई शुरुआत — बच्चों ने प्रार्थना और संस्कृति को करीब से जाना
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय में हवन यज्ञ से हुई, जिसमें छात्रों ने पूर्ण आस्था के साथ भाग लिया। विद्यालय प्रबंधन के अनुसार, यह पहल छात्रों में आध्यात्मिक मूल्यों, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मअनुशासन को बढ़ावा देने के लिए की गई।

छोटे बच्चों का शैक्षणिक भ्रमण — संग्रहालय और नक्षत्र वन का अवलोकन
अंकुर विंग (प्राइमरी सेक्शन) के बच्चे बालदिवस पर ज्ञानवर्धक भ्रमण पर निकले। वे राजकीय संग्रहालय और नक्षत्र वन लेकर जाया गया, जहाँ बच्चों ने इतिहास, प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बारे में रोचक जानकारियाँ प्राप्त कीं। बच्चों ने उत्साहपूर्वक विभिन्न प्रदर्शनों का अवलोकन किया, जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया और भी अनुभव-संपन्न हुई।

खेल प्रतियोगिताओं में दिखी बच्चों की ऊर्जा और टीम स्पिरिट
सीनियर सेकेंडरी के छात्रों के लिए अलग-अलग खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनका उद्देश्य बच्चों में सहिष्णुता, धैर्य, टीमवर्क, नेतृत्व क्षमता, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, जैसे सद्गुणों का विकास करना था। छात्रों ने जोश के साथ विभिन्न खेलों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

राष्ट्रभावना से प्रेरित फिल्म प्रदर्शन
कुछ छात्रों ने विद्यालय परिसर में ही राष्ट्रभावना और प्रेरणा से भरी विशेष फिल्म देखी।
शिक्षकों ने बताया कि यह पहल छात्रों में देशप्रेम, सामाजिक उत्तरदायित्व और नैतिक चरित्र निर्माण के उद्देश्य से की गई।

शिक्षकों ने संभाली प्रातःकालीन सभा — अनुशासन और प्रेरणा का संदेश
आज का दिन बच्चों के नाम था, इसलिए शिक्षकों ने स्वयं आदर्श प्रातःकालीन सभा का संचालन किया। सभा में नैतिक शिक्षाएँ, प्रेरक विचार और बालदिवस का महत्व बताया गया।
प्राचार्य डॉ. रविप्रकाश तिवारी का प्रेरक संबोधन
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. रविप्रकाश तिवारी ने बालदिवस के अवसर पर बच्चों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि
“राष्ट्र की वास्तविक संपत्ति हमारे बच्चे हैं। वे जितने नैतिक, परिश्रमी और कौशलयुक्त होंगे, देश उतनी ही तेजी से विकसित होगा। केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि अनुभव आधारित शिक्षा ही जीवन को दिशा देती है।”
उन्होंने शिक्षकों के समर्पण और बच्चों की उत्साही भागीदारी की सराहना की और सभी को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं।




