लैंड स्कैम मामले में निलंबित IAS छवि रंजन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत
रांची: बहुचर्चित लैंड स्कैम मामले में जेल में बंद निलंबित आईएएस अधिकारी छवि रंजन को राहत मिल गई है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ शर्तों के साथ उन्हें जमानत दे दी। कोर्ट के आदेश के बाद अब उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।
छवि रंजन को 4 मई 2023 को Enforcement Directorate (ED) ने गिरफ्तार किया था। तब से वे न्यायिक हिरासत में थे। इस दौरान उन्होंने जमानत के लिए कई स्तरों पर अपील की, लेकिन राहत सुप्रीम कोर्ट से ही मिली।
हाईकोर्ट और PMLA कोर्ट से नहीं मिली थी राहत
इससे पहले Jharkhand High Court और PMLA कोर्ट ने छवि रंजन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 6 अगस्त को झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ — जस्टिस जॉयमाला बागची और जस्टिस सूर्यकांत — ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उन्हें राहत दी। अदालत ने जमानत कुछ शर्तों के साथ मंजूर की है।
सेना की जमीन की खरीद-बिक्री में है मामला
इस केस में छवि रंजन का नाम रांची के बड़गाईं अंचल के बरियातु स्थित सेना की कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़ा है। यह मामला झारखंड में हुए सबसे बड़े लैंड स्कैम में से एक माना जा रहा है। जांच में सामने आया कि सेना की जमीन को फर्जी रैयत और दस्तावेजों के आधार पर खरीदा-बेचा गया। इस मामले में ED ने छवि रंजन के अलावा कई अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया है।
इन आरोपियों का भी नाम शामिल
ईडी ने अपनी चार्जशीट में छवि रंजन के साथ कई अन्य आरोपियों को नामजद किया है। इनमें चर्चित कारोबारी विष्णु अग्रवाल, बड़गाईं अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, फर्जी रैयत प्रदीप बागची, जमीन कारोबारी अफसर अली, फैयाज खान, मोहम्मद सद्दाम, इम्तियाज खान, तल्हा खान, अमित अग्रवाल और दिलीप घोष शामिल हैं। ईडी ने इस घोटाले में जमीन से जुड़े कई दस्तावेज, नकदी और अन्य अहम सबूत भी जब्त किए हैं। जांच एजेंसी का आरोप है कि यह पूरा खेल सरकारी पदों का दुरुपयोग और फर्जीवाड़े के जरिए करोड़ों रुपये की जमीन हड़पने का था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब रिहाई का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब छवि रंजन के जेल से बाहर आने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। हालांकि उन्हें कुछ शर्तों का पालन करना होगा, जिनका विवरण जल्द ही जारी किया जाएगा।
यह मामला झारखंड की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में लगातार सुर्खियों में रहा है। कई बार विपक्षी दलों ने इसे लेकर हेमंत सरकार पर सवाल भी उठाए हैं।



