हजारीबाग से 2 नवंबर को शुरू होगा कुड़मी आंदोलन, 11 जनवरी को रांची के मोरहाबादी मैदान में होगी महारैली
रांची: झारखंड में कुड़मी समाज ने अपने अधिकारों के लिए बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया है। इस आंदोलन की शुरुआत 2 नवंबर 2025 से Hazaribag से होगी। इसके बाद कई चरणों में रैलियां आयोजित की जाएंगी और अंत में 11 जनवरी 2026 को Ranchi के मोरहाबादी मैदान में ‘कुड़मी अधिकार महारैली’ का आयोजन होगा। आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए Jamshedpur के बिष्टुपुर स्थित निर्मल गेस्ट हाउस में कोल्हान स्तरीय बैठक आयोजित की गई।
बैठक में वृहद झारखंड कुड़मी समन्वय समिति का गठन किया गया और आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से संचालित करने का निर्णय लिया गया। बैठक के बाद समिति के संयोजक हरमोहन महतो, शीतल ओहदार और कुड़मी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेंद्र महतो ने मीडिया को आंदोलन की रूपरेखा बताई।
चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा तय
शैलेंद्र महतो ने बताया कि कुड़मी आंदोलन की शुरुआत 2 नवंबर को हजारीबाग से होगी। इसके बाद 16 नवंबर को Chandankiyari (Bokaro), 23 नवंबर को जमशेदपुर, 2 दिसंबर को Dhanbad और 14 दिसंबर को Nawadih में रैली का आयोजन किया जाएगा। इन सभी रैलियों के जरिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा ताकि कुड़मी समाज को उनके संवैधानिक अधिकार और पहचान मिल सके।
उन्होंने बताया कि आंदोलन में सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि बिहार, ओडिशा और बंगाल से भी कुड़मी समाज के लोग शामिल होंगे। 23 नवंबर को जमशेदपुर में आयोजित रैली में तीन राज्यों के हजारों लोग पहुंचने की संभावना है।
11 जनवरी को ‘कुड़मी अधिकार रैली’ में उमड़ेगा जनसैलाब
आंदोलन का सबसे बड़ा आयोजन 11 जनवरी 2026 को रांची के मोरहाबादी मैदान में किया जाएगा। इसे ‘कुड़मी अधिकार रैली’ नाम दिया गया है। इस रैली में पूरे देश से कुड़मी समाज के लोग जुटेंगे। आंदोलनकारियों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार ने इन रैलियों के बाद भी कुड़मी समाज की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आर्थिक नाकेबंदी जैसे कठोर कदम उठाने पर भी विचार किया जाएगा।
केंद्र सरकार को दी चेतावनी
कुड़मी समाज की ओर से साफ कहा गया कि वह अब अपने अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। संयोजक हरमोहन महतो ने कहा, “हमने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात कई बार रखी, लेकिन अब हम निर्णायक आंदोलन की ओर बढ़ रहे हैं। अगर सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी तो समाज व्यापक आर्थिक नाकेबंदी का रास्ता अपनाने से पीछे नहीं हटेगा।”
शीतल ओहदार ने कहा कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल के लिए नहीं बल्कि पूरे कुड़मी समाज की अस्मिता और पहचान के लिए है।
महिला मोर्चा को मिली नई जिम्मेदारी
बैठक के दौरान संगठन में कई अहम नियुक्तियां भी की गईं। कुड़मी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेंद्र महतो ने Bodam निवासी पिंकी महतो को कुड़मी सेना महिला विंग का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। वहीं Gamharia निवासी प्रेम महतो को कोल्हान प्रमंडल अध्यक्ष बनाया गया। शैलेंद्र महतो ने दोनों पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए आंदोलन को महिला और युवा मोर्चे के साथ मिलकर मजबूत करने की अपील की।
आंदोलन के दौरान प्रशासनिक मुख्यालयों पर प्रदर्शन की योजना
कुड़मी समाज की ओर से रैलियों के अलावा विभिन्न जिलों के उपायुक्त कार्यालयों के समक्ष भी धरना-प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। जमशेदपुर में उपायुक्त कार्यालय पर होने वाले बड़े प्रदर्शन में कोल्हान के सभी कार्यकर्ता शामिल होंगे। आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार को उनकी आवाज मजबूती से सुनाने के लिए हर जिले में सामूहिक उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी।
क्या हैं कुड़मी समाज की मुख्य मांगें
कुड़मी समाज लंबे समय से अनुसूचित जनजाति (ST) में पुनः शामिल किए जाने की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि इतिहास, संस्कृति और परंपरा के आधार पर कुड़मी समाज को जनजातीय समुदाय का दर्जा मिलना चाहिए। इसके साथ ही वे अपने सामाजिक-आर्थिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता की मांग कर रहे हैं।
आंदोलन को लेकर बढ़ी हलचल
इस आंदोलन को लेकर पूरे राज्य में हलचल तेज हो गई है। विभिन्न जिलों में कुड़मी समाज के संगठनों की बैठकें लगातार हो रही हैं। आंदोलन के कार्यक्रम तय होने के बाद समाज के युवा और महिलाएं भी सक्रिय हो गए हैं। राजनीतिक गलियारों में भी इस आंदोलन को लेकर चर्चा तेज है क्योंकि यह राज्य के कई जिलों में प्रभाव डाल सकता है।



