बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो की 12 सीटों पर दावेदारी, सुप्रियो भट्टाचार्य बोले — गठबंधन में सम्मानजनक हिस्सेदारी जरूरी
मुनादी लाइव डिजिटल रिपोर्ट, रांची : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने भी अपनी राजनीतिक मौजूदगी का इरादा जताया है।
शनिवार को रांची में आयोजित प्रेसवार्ता में पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने साफ कहा कि झामुमो कुल 243 सीटों में से पांच प्रतिशत यानी 12 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रहा है।
“गठबंधन में बराबरी का सम्मान जरूरी” — सुप्रियो भट्टाचार्य
प्रेसवार्ता के दौरान भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो हमेशा से गठबंधन की राजनीति में विश्वास रखता है, लेकिन सहयोग का मतलब सम्मानजनक हिस्सेदारी भी है।
“हमने झारखंड में 2019 और 2024 दोनों विधानसभा चुनावों में गठबंधन धर्म निभाया। राजद को छह-छह सीटें दी गईं, बावजूद इसके हमने गठबंधन की मर्यादा बनाए रखी। अब बिहार चुनाव में हमारी भी हिस्सेदारी स्वाभाविक है,”
उन्होंने कहा।
2019 और 2024 में राजद को मिली सीटों का उदाहरण
सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो ने राजद को छह सीटें दी थीं, जिनमें से राजद सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज कर पाया। बावजूद इसके, झामुमो ने गठबंधन की भावना का सम्मान करते हुए राजद विधायक को पांच साल तक मंत्री बनाए रखा।
इसी तरह 2024 के विधानसभा चुनाव में भी झामुमो ने राजद को छह सीटें दीं और इस बार भी उनके विधायक को मंत्री पद दिया गया।
भट्टाचार्य ने कहा कि जब झारखंड में झामुमो ने राजद को इतना सम्मान दिया, तो बिहार में भी झामुमो की गंभीर और वैध हिस्सेदारी बनती है।
बिहार में संगठन विस्तार और आधार
भट्टाचार्य ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में झामुमो ने बिहार के सीमावर्ती जिलों — कटिहार, भागलपुर, पूर्णिया, बांका, जमुई और सासाराम — में अपने संगठन को मजबूत किया है।
“हमारे कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं। झारखंड की सीमाओं से सटे इन इलाकों में झामुमो का जनाधार तेजी से बढ़ रहा है,”
उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि झामुमो का लक्ष्य बिहार में केवल चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि आदिवासी और वंचित तबकों की आवाज़ को राजनीतिक पहचान दिलाना है।
गठबंधन पर सवाल और झामुमो का रुख
झामुमो ने स्पष्ट किया कि पार्टी बिहार में महागठबंधन का हिस्सा बने रहने की इच्छुक है, लेकिन सीट बंटवारे में उसका योगदान और प्रभाव नजर आना चाहिए।
“हम न तो किसी के पिछलग्गू बनना चाहते हैं और न ही गठबंधन की मजबूरी में खुद को सीमित करना चाहते हैं। अगर हमें 12 सीटों का सम्मानजनक हिस्सा मिलता है, तो हम मजबूती से मैदान में उतरेंगे,”
भट्टाचार्य ने कहा।
राजनीतिक विश्लेषण: झामुमो की एंट्री से बदलेगी समीकरण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि झामुमो की बिहार चुनाव में भागीदारी से पूर्वी बिहार के इलाकों में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
झारखंड से सटे जिलों में झामुमो की पहचान और हेमंत सोरेन की लोकप्रियता का असर सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्रों में पड़ सकता है।
झामुमो की रणनीति: सीमांचल से लेकर दक्षिण बिहार तक फोकस
सूत्रों के अनुसार, झामुमो ने जिन 12 सीटों पर दावा किया है, उनमें अधिकतर वे क्षेत्र शामिल हैं जहां आदिवासी, दलित और पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या प्रभावशाली है।
इन इलाकों में पार्टी स्थानीय स्तर पर बैठकें और जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी में है।
झामुमो का यह रुख स्पष्ट संकेत देता है कि पार्टी अब सिर्फ झारखंड तक सीमित नहीं रहना चाहती। बिहार में चुनावी मैदान में उतरकर झामुमो न केवल अपनी राजनीतिक पकड़ बढ़ाना चाहता है, बल्कि क्षेत्रीय दलों की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
“झामुमो सम्मान की राजनीति करता है, भीख की नहीं।”
— सुप्रियो भट्टाचार्य, महासचिव, झारखंड मुक्ति मोर्चा



