ED की बड़ी कार्रवाई: MAXIZONE चिटफंड घोटाले में गाजियाबाद–नोएडा के 20 ठिकानों पर छापा
झारखंड में पहले ही खुल चुकी है परतें
रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रांची इकाई ने गुरुवार सुबह MAXIZONE चिटफंड घोटाले की जांच के दौरान गाजियाबाद और नोएडा के 20 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। ईडी की यह छापेमारी सुबह करीब 6 बजे शुरू हुई और इसमें रांची के अलावा दिल्ली और अन्य राज्यों के अधिकारियों की संयुक्त टीम शामिल थी।
यह कार्रवाई चिटफंड फ्रॉड से जुड़े उस बड़े मामले का हिस्सा है, जिसकी प्रारंभिक जांच झारखंड की राजधानी रांची और जमशेदपुर में दर्ज मामलों के आधार पर शुरू की गई थी। इससे पहले ईडी झारखंड में कई ठिकानों पर छापा मार चुकी है और अब जांच का दायरा राज्य से बाहर के नेटवर्क तक फैल गया है।
झारखंड से शुरू हुई थी जांच, जमशेदपुर की प्राथमिकी बनी मुख्य आधार
ईडी ने MAXIZONE चिटफंड घोटाले की जांच जमशेदपुर थाना क्षेत्र में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शुरू की थी। जांच में पता चला कि कंपनी के नाम पर आम लोगों से करोड़ों रुपये की वसूली की गई, उन्हें आकर्षक रिटर्न का लालच दिया गया और बाद में कंपनी के संचालक राशि लेकर फरार हो गए।
कंपनी के निदेशक चंद्रभूषण सिंह और उसकी पत्नी इस फ्रॉड के मुख्य आरोपी हैं। एफआईआर दर्ज होने के बाद दोनों झारखंड से फरार हो गए और लंबे समय तक उनका कोई पता नहीं चला।
नाम बदलकर नोएडा में रह रहे थे आरोपी दंपति—स्थानीय पुलिस ने किया गिरफ्तार
ईडी की जांच में एक बड़ा खुलासा यह हुआ कि चंद्रभूषण सिंह और उसकी पत्नी अपनी पहचान बदलकर नोएडा में रह रहे थे। वे लगातार लोकेशन बदलते रहे, जिससे पुलिस और ईडी दोनों के लिए उन्हें पकड़ना मुश्किल हो रहा था। लेकिन तकनीकी निगरानी, बैंक ट्रांजैक्शन और कॉल रिकॉर्ड की मदद से उनकी लोकेशन का पता लगाया गया। इसके बाद स्थानीय पुलिस ने दोनों को नोएडा से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद ईडी ने उनके नेटवर्क और संपत्तियों की जांच और तेज कर दी।
राज्य से बाहर के ठिकानों पर छापेमारी में मिला महत्वपूर्ण सुराग
ईडी की दूसरी चरण की कार्रवाई में यह स्पष्ट हो गया है कि MAXIZONE चिटफंड का नेटवर्क सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि दिल्ली–एनसीआर तक फैला हुआ था। गाजियाबाद और नोएडा के 20 ठिकानों पर की गई छापेमारी में—
- कई इन्वेस्टमेंट स्कीम से जुड़े दस्तावेज,
- कंपनी के बैंक अकाउंट डिटेल्स,
- हार्ड डिस्क,
- मोबाइल फोन,
- फर्जी कंपनियों से जुड़े पेपर
बरामद किए गए हैं।
जांच टीम के अनुसार, कई ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं जिनमें यह संकेत मिलता है कि कंपनी ने लोगों से हासिल पैसे को रियल एस्टेट और नकली व्यवसायों में लगाया और बाद में धन को विभिन्न बैंक खातों के जरिए घुमा दिया गया।
ED की टीम ने पुख्ता डाटा इकट्ठा किया, अब हो सकती है संपत्तियों की कुर्की
सूत्रों के मुताबिक, ईडी को कई ऐसे बैंक खातों और संपत्तियों के बारे में जानकारी मिली है जो आरोपियों ने बेनामी नामों पर खरीदे थे। कई संपत्तियां नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में मिले दस्तावेजों के आधार पर चिन्हित की गई हैं। कानून के तहत ईडी अब इन संपत्तियों पर PMLA (Prevention of Money Laundering Act) की धारा में कार्रवाई करते हुए कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
चिटफंड मॉडल: कम समय में दोगुनी रकम देने का वादा और फिर फ्रॉड
जांच में यह सामने आया है कि MAXIZONE कंपनी ने लोगों को—
- 6 महीने में दोगुना रिटर्न,
- 12 महीने में तीन गुना रकम
जैसी लुभावनी स्कीमों का वादा किया था।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के हजारों लोगों ने कंपनी में निवेश किया और बाद में उन्हें पता चला कि पूरी स्कीम धोखाधड़ी पर आधारित थी। जैसे ही पुलिस में मामले दर्ज हुए, कंपनी के निदेशक फरार हो गए और निवेशकों की करोड़ों की रकम डूब गई।
ईडी की जांच का अगला चरण: मनी ट्रेल और नेटवर्क का खुलासा
ईडी अब इस केस में जोड़ने वाली कड़ियों पर काम कर रही है —कौन-कौन लोग कंपनी के नेटवर्क का हिस्सा थे, पैसा किन मार्गों से होकर घूम रहा था, किन राज्यों में निवेशकों को ठगा गया और कौन सी संपत्तियां आरोपी दंपति ने फर्जी पहचान पर खरीदीं। सूत्रों के अनुसार ईडी जल्द ही चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
जांच तेज, निवेशकों को न्याय दिलाना अब बड़ी चुनौती
MAXIZONE चिटफंड घोटाला झारखंड और आसपास के राज्यों में फैले उन फर्जी वित्तीय नेटवर्कों का उदाहरण है, जिनमें लोगों की मेहनत की कमाई को बहु-स्तरीय फ्रॉड के जरिए ठगा जाता है। ईडी की ताज़ा छापेमारी से यह स्पष्ट है कि एजेंसी कंपनी की पूरी संरचना, वित्तीय गतिविधियों और उससे जुड़े व्यक्तियों तक पहुंचना चाहती है। अगले कुछ दिनों में इस केस से जुड़े और बड़े खुलासे होने की संभावना है।



