संविधान दिवस 2025: संसद में राष्ट्रपति मुर्मू ने नौ भाषाओं में भारतीय संविधान का अनुवादित संस्करण किया जारी
संसद भवन में आयोजित विशेष समारोह में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति
नई दिल्ली: भारत ने आज संविधान को अपनाने की 76वीं वर्षगांठ मनाई। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाए गए भारतीय संविधान को याद करते हुए संसद भवन में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें देश की लोकतांत्रिक परंपरा, न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों का पुनर्स्मरण किया गया। यह अवसर प्रति वर्ष की तरह इस बार भी संविधान की मर्यादा, नागरिक कर्तव्यों और अधिकारों के महत्व पर केंद्रित रहा।
राष्ट्रपति मुर्मू ने नौ भारतीय भाषाओं में संविधान का अनुवाद जारी किया
संविधान दिवस समारोह के केंद्र में वह क्षण रहा जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान के नौ भारतीय भाषाओं में अनुवादित संस्करण जारी किए। जिन भाषाओं में संविधान का नया अनुवाद जारी किया गया उनमें मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया शामिल हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान का कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होना न केवल भाषायी विविधता को सम्मान देता है, बल्कि नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों को अपनी भाषा में समझने का अवसर भी प्रदान करता है। उनके अनुसार यह कदम भारत की भाषाई विरासत को सुरक्षित रखते हुए लोकतंत्र की पहुंच को और व्यापक बनाता है।
प्रधानमंत्री मोदी, उपराष्ट्रपति और शीर्ष मंत्रिमंडल की उपस्थिति
संसद में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और दोनों सदनों के सांसद बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है, जिसने देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत किया है। उन्होंने संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज का भारत संविधान के मार्गदर्शन से विश्व में नई पहचान बना रहा है।
संविधान दिवस का ऐतिहासिक महत्व
साल 2015 से केंद्र सरकार द्वारा 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में आधिकारिक रूप से मनाया जा रहा है। 1949 में संविधान को अपनाने के इस दिन को याद करते हुए नागरिकों को संविधान के मूल्यों की पुनर्स्मृति कराई जाती है। इस वर्ष का संविधान दिवस विशेष इसलिए भी है क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र की 76 साल लंबी यात्रा का प्रतीक है—स्वाधीनता के बाद से लेकर आज तक के बदलावों, संघर्षों और उपलब्धियों का प्रतिरूप।
पठन-पाठन, जागरूकता और जन सहभागिता पर विशेष बल
कार्यक्रम में इस बात पर भी जोर दिया गया कि संविधान की प्रस्तावना और उसके मूल सिद्धांतों को समाज के हर तबके तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। सरकारी विभागों, शैक्षणिक संस्थानों, अदालतों, पंचायतों और कॉरपोरेट संस्थानों में आज संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया गया। करोड़ों बच्चों ने स्कूलों में संविधान दिवस विषयक निबंध, क्विज और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लिया।
संसद के भीतर आयोजित विशेष सत्र की झलकियां
संसद के केंद्रीय हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में भारतीय लोकतंत्र के इतिहास पर लघु फिल्में दिखाई गईं। संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताओं—डॉ. भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद और अन्य संस्थापक सदस्यों—को श्रद्धांजलि दी गई।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी संविधान की आत्मा को समझना और उसे व्यवहार में लागू करना है।
संविधान के नए अनुवाद: भाषाओं के सम्मान का प्रतीक
राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए नए अनुवादों को लेकर भाषाविदों और शिक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि यह कदम संविधान की व्यापकता और भाषा अधिकारों को मजबूती प्रदान करता है। इससे उन राज्यों और क्षेत्रों में भी नागरिकों के लिए संविधान तक पहुंच सरल होगी जहां मातृभाषा आधारित पठन अधिक प्रचलित है।
लोकतंत्र का महापर्व बना संविधान दिवस 2025
संविधान दिवस 2025 भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय बनकर सामने आया। नौ भाषाओं में संविधान के अनुवाद जारी होने से यह दिवस और अधिक ऐतिहासिक बन गया। संसद में आयोजित भव्य कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि भारत का संविधान केवल कानूनों का संग्रह नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और मूल्यों का जीवंत दस्तावेज है।
संविधान दिवस ने एक बार फिर देश को उसके लोकतांत्रिक कर्तव्यों और अधिकारों की याद दिलाई, और नागरिकों को संविधान की प्रतिष्ठा बनाए रखने का संकल्प कराया।



