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झारखंड की राजनीति में भूचाल: BJP संग गठबंधन की अटकलों पर JMM का बड़ा बयान

BJP Alliance Rumors

रांची : झारखंड की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। बिहार चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के फैसले ने सियासी समीकरणों में अचानक नई हलचल पैदा कर दी है। महागठबंधन से सीटें न मिलने के कारण पहले नाराज़गी और फिर चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का फैसला—इन दोनों घटनाओं के बाद पार्टी के भीतर असंतोष और रणनीतिक बदलाव की चर्चाएँ तेज हो गई हैं। इन्हीं बदलावों के बीच अब यह सवाल उभरकर सामने आया है कि क्या JMM आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन करने की दिशा में देख रहा है?

इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच JMM का एक ट्वीट सामने आया— “झारखंड झुकेगा नहीं”। यह वाक्य मात्र चार शब्दों का है, लेकिन झारखंड की राजनीति में यह आग की तरह फैल गया। राजनीतिक विश्लेषक इसे एक मजबूत राजनीतिक संदेश के रूप में देख रहे हैं, जिसका उद्देश्य अटकलों को शांत करना भी हो सकता है और पार्टी की स्वतंत्र पहचान को मजबूती देना भी।

महागठबंधन से नाराजगी, बिहार चुनाव ने बढ़ाई दूरी
JMM की नाराजगी की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस–राजद गठबंधन ने बिहार में जमीनी पकड़ रखने के बावजूद JMM को सीटें देने से परहेज किया। JMM खुद को बिहार में छह सीटों पर मजबूत दावेदार मानता था। पहले उसने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की और अचानक ही अपने फैसले में बदलाव करते हुए चुनाव से बाहर हो गया। यह बदलाव सिर्फ रणनीतिक नहीं बल्कि महागठबंधन के भीतर की दरारें उजागर करता दिखा।

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक JMM को यह महसूस हुआ कि सहयोगी दल उसकी ताकत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं और झारखंड में बनी सरकार में शामिल होने के बावजूद गठबंधन में सम्मान नहीं मिल रहा। इसी बात ने राज्य में महागठबंधन की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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क्या BJP–JMM गठबंधन संभव है? सियासी गलियारों में गूंजे सवाल
JMM की नाराजगी और बिहार चुनाव से उपजी खटास के बाद राजनीतिक गलियारों में कयासों का दौर शुरू हो गया कि क्या JMM BJP का हाथ थाम सकता है? इतिहास में दोनों दलों ने एक बार 2009 में साथ काम किया था, लेकिन वह गठबंधन लंबा नहीं चला। इससे JMM की राजनीतिक पहचान को नुकसान भी हुआ था। JMM का जातीय और सामाजिक आधार—विशेष रूप से आदिवासी और पिछड़ा वर्ग— BJP के पारंपरिक वोट बैंक से टकराता है। इसलिए बीजेपी के साथ सीधा गठबंधन JMM के लिए एक बड़ा जोखिम माना जाता है।

इसीलिए JMM का ट्वीट “झारखंड झुकेगा नहीं” अपने आप में यह संकेत देता है कि फिलहाल पार्टी आसानी से गठबंधन बदलने के रास्ते पर नहीं चलना चाहती।

JMM का संदेश: राजनीतिक पहचान से समझौता नहीं
JMM लंबे समय से झारखंड की क्षेत्रीय भावनाओं और आदिवासी अस्मिता का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में BJP के साथ गठबंधन उसका मूल वोट बैंक कमजोर कर सकता है। यह वही आधार है जिसके दम पर JMM ने झारखंड की राजनीति में हमेशा मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यही कारण है कि JMM ने अपने बयान में “झुकने” की राजनीति को खारिज किया है। इसका गहरा राजनीतिक अर्थ है— पार्टी न तो दबाव में आएगी और न अपनी पहचान से समझौता करेगी।

आंतरिक असंतोष और नई रणनीति की तलाश
बिहार चुनाव के बाद JMM के भीतर असंतोष खुलकर सामने आया है। पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि महागठबंधन में JMM को बराबरी का सम्मान नहीं मिलता। यह भावना आने वाले समय में गठबंधन की दिशा बदल सकती है।

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि JMM सबसे अधिक उस third-option politics की ओर झुक सकता है, जिसमें वह न कांग्रेस–RJD से पूरी तरह अलग हो और न सीधे भाजपा से हाथ मिलाए। बल्कि वह स्वतंत्र राजनीतिक भूमिका निभाते हुए आगामी चुनावों के लिए अपनी ताखत को पुनर्गठित करे।

अगले कुछ महीने बेहद महत्वपूर्ण
झारखंड में अगले विधानसभा चुनाव में अब ज़्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में JMM के हर कदम का बड़ा राजनीतिक असर होगा। “झारखंड झुकेगा नहीं” वाला ट्वीट आने वाले दिनों की रणनीति का संकेत भी हो सकता है—
एक संदेश कि JMM अपनी शर्तों पर राजनीति करेगा, न दबाव में झुकेगा और न अपने अस्तित्व के साथ समझौता करेगा।

फिलहाल, झारखंड की राजनीति इसी ट्वीट के इर्द–गिर्द घूम रही है। BJP और महागठबंधन दोनों ही इसे गंभीरता से ले रहे हैं। आने वाले दिनों में राजनीतिक गतिविधियाँ और बयानबाज़ी तय करेगी कि झारखंड की सत्ता का अगला अध्याय किस दिशा में आगे बढ़ेगा।

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