विश्व दिव्यांग दिवस 2025 पर सरला बिरला पब्लिक स्कूल में समावेश और प्रेरणा से भरा आयोजन
रांची: सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची में विश्व दिव्यांग दिवस 2025 अत्यंत गरिमामय और प्रेरणादायक वातावरण में मनाया गया। विद्यालय परिसर में आयोजित विविध कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों व समाज को दिव्यांगजनों के प्रति सम्मान, सहानुभूति और समावेशी सोच से जोड़ना था। कार्यक्रम की प्रत्येक गतिविधि इस संदेश को बल देती रही कि समाज में हर व्यक्ति समान अवसर और गरिमा का अधिकारी है।
मशाल प्रज्वलन से कार्यक्रम की शुरुआत
विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह की शुरुआत मशाल प्रज्वलन से हुई। यह प्रज्ज्वलित मशाल उजाले, उम्मीद और मानवता की उस भावना का प्रतीक बनकर उभरी जो एक समावेशी समाज की नींव रखती है। इस दौरान विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत स्वागत भाषण ने आयोजन को औपचारिक रूप से प्रारंभ किया। विद्यालय के क्वायर समूह ने मधुर स्वागत गीत प्रस्तुत किया, जिसने पूरे परिसर में सौहार्द और ऊर्जा का संचार कर दिया। विद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और अतिथियों ने इस प्रस्तुति की भरपूर सराहना की।

समावेशी फुटबॉल मैच ने जीता दिल
कार्यक्रम का सबसे आकर्षक हिस्सा रहा समावेशी फुटबॉल मैच। इस मैत्रीपूर्ण खेल में दिव्यांग और सामान्य विद्यार्थी एक ही टीम का हिस्सा बनकर मैदान में उतरे। खेल के दौरान दोनों ओर से सहयोग, समझ और तालमेल ने दर्शकों का मन मोह लिया।
मैच केवल मनोरंजन नहीं था, बल्कि समावेशन, सहयोग और समान अवसरों का वास्तविक उदाहरण भी बनकर उभरा। छात्रों के उत्साहवर्धन के लिए उपस्थित शिक्षकों और अभिभावकों ने जोरदार तालियों से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया।

मार्च-पास्ट में दिखा अनुशासन और एकता
अनुशासित मार्च-पास्ट ने कार्यक्रम को और भी प्रभावशाली बना दिया। प्रतिभागियों ने गम्भीरता और उत्कृष्ट तालमेल के साथ अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। मार्च-पास्ट में शामिल विद्यार्थियों की दृढ़ता, संयम और आत्मविश्वास ने यह दर्शाया कि शारीरिक या मानसिक चुनौतियाँ किसी को आगे बढ़ने से नहीं रोकतीं, यदि उनके भीतर इच्छाशक्ति और प्रेरणा का भाव हो।
प्रतिभागियों को सम्मानित कर बढ़ाया उत्साह
दिवस का उद्देश्य तभी सार्थक प्रतीत हुआ जब प्रतिभागियों को पुरस्कार और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उपलब्धियों का प्रतीक था बल्कि उनके आत्मविश्वास, जुनून और प्रयासों को नई दिशा देने का माध्यम भी बना। सम्मान समारोह के दौरान सभी प्रतिभागियों के चेहरे पर खुशी और गर्व झलक रहा था।

मुख्य अतिथि DEO विनय कुमार का प्रेरक संदेश
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे जिला शिक्षा पदाधिकारी विनय कुमार ने दिव्यांगजनों के अधिकारों, गरिमा और अवसरों को प्राथमिकता देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्कूल, समाज और परिवार — तीनों स्तरों पर एक ऐसा माहौल बनाना आवश्यक है जिसमें दिव्यांगजन सम्मान और समान अवसरों के साथ आगे बढ़ सकें। उन्होंने विद्यार्थियों को मानवता और सहयोग की भावना को जीवन भर अपनाने की प्रेरणा दी।
प्राचार्या मनीषा शर्मा ने दी सहानुभूति और संवेदना की सीख
विद्यालय की प्राचार्या मनीषा शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा का वास्तविक अर्थ तभी पूरा होता है जब छात्रों में सहानुभूति, संवेदनशीलता और सहयोग की भावना विकसित हो। उन्होंने कहा कि विद्यालय की संस्कृति हमेशा से समावेश और समानता को बढ़ावा देने वाली रही है, और यह कार्यक्रम उसी सोच को आगे बढ़ाता है। उन्होंने दिव्यांगजनों के प्रति सम्मान और स्वीकृति को सामाजिक विकास की बुनियाद बताया।

धन्यवाद प्रस्ताव और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन प्राचार्या दीपशिखा द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ किया गया। उन्होंने अतिथियों, शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि इस दिन का संदेश हर बच्चे के मन में हमेशा जीवित रहना चाहिए। राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम गरिमापूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।



