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झारखंड के किसानों के लिए बड़ी राहत: धान बेचते ही 3 दिन में भुगतान, 4G पॉस मशीन से होगी खरीद

Paddy Procurement

धान खरीद में पहली बार 4जी पॉस मशीन का उपयोग, 1 दिसंबर से प्रक्रिया शुरू नहीं होने का कारण स्पष्ट—MSP, बोनस और खरीद सीमा पर भी बेबाक अपडेट

रांची: झारखंड के किसानों के लिए इस वर्ष धान खरीद को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू होने जा रहे हैं। सबसे बड़ी राहत यह है कि अब धान बेचने के बाद 72 घंटे यानी तीन दिनों के भीतर पूरा भुगतान किसानों के खाते में पहुंच जाएगा। पहले किसान को 50 प्रतिशत राशि 24 घंटे के भीतर मिलती थी, लेकिन शेष भुगतान धान के मिल तक पहुंचने के बाद जारी किया जाता था, जिससे किसानों को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था। अब यह व्यवस्था बदल दी गई है और पूरा भुगतान तीन दिनों में हो जाएगा, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

धान खरीद की प्रक्रिया खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के नियंत्रण में होती है, और इस बार विभाग ने खरीद व्यवस्था को और तेज़ और सरल बनाने के लिए 4जी पॉस मशीनें लागू करने का निर्णय लिया है।

1 दिसंबर से खरीद क्यों नहीं शुरू हो पाई?
पिछले वर्ष जहां 15 दिसंबर से धान खरीद शुरू हुई थी, वहीं इस बार सरकार ने 1 दिसंबर से ही खरीद प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की थी। लेकिन इसे अंतिम समय में टालना पड़ा। मुख्य कारण था कि अब तक धान खरीद में उपयोग होने वाली 2G पॉस मशीनें पुराने, धीमे और डेटा लोडिंग में बेहद समय लेने वाले साबित हो रहे थे। किसानों के आधार कार्ड, अंगूठे के निशान और धान की मात्रा रजिस्टर करने में इन मशीनों को काफी वक्त लगता था। इसलिए विभाग ने 2G पॉस मशीनें वापस ले लीं और नई 4G आधारित पॉस मशीनें उपलब्ध कराने की योजना बनाई।

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इन मशीनों के तीन से चार दिनों में उपलब्ध होने की उम्मीद जताई जा रही है। जैसे ही 4G मशीनें सभी लैम्पस तक पहुंच जाएंगी, एक सप्ताह के भीतर पूरे राज्य में धान खरीद प्रारंभ कर दी जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि किसानों को इस देरी से कोई नुकसान नहीं होगा और खरीद अवधि को जरूरत पड़ने पर आगे बढ़ाया भी जा सकता है।

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इस साल प्रति क्विंटल धान की कीमत कितनी होगी?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर इस बार भी किसान उत्साहित हैं। पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने आम धान का MSP 2,369 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, जिसमें राज्य सरकार ने 100 रुपये बोनस जोड़कर किसानों को 2,469 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान किया था। वहीं ग्रेड-A धान पर किसानों को 2,489 रुपये प्रति क्विंटल मिलते थे।

इस वर्ष अभी तक लैम्पस को नया दर आधिकारिक रूप से प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि दर पिछले वर्ष के समान ही रह सकता है। यानी किसानों को फिर से लगभग 2,469 रुपये प्रति क्विंटल मिलने की संभावना है।

कितना धान बेच सकता है एक किसान?
नामकुम एमपीसीएस के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी नीरज कुमार के अनुसार एक किसान अधिकतम 200 क्विंटल धान बेच सकता है। हालांकि इसके लिए किसानों को अपनी भूमि की वास्तविकता और पैदावार के अनुसार मात्रा साबित करनी होगी।

सरकार के मानक के मुताबिक एक एकड़ भूमि में अधिकतम 16 क्विंटल धान की पैदावार होती है। इसी आधार पर सरकार ने प्रावधान बनाया है कि केवल उन किसानों को 200 क्विंटल बिक्री की अनुमति मिलेगी जिनके पास 11 से 12 एकड़ तक की खेती योग्य जमीन है। इस नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक किसान ही धान बेचें और कोई कालाबाजारी या बाहरी धान की खरीद न हो।

किसानों में उत्साह, रजिस्ट्रेशन के लिए भीड़
नामकुम के हाहाप गांव की किसान अर्चना मुंडा धान खरीद को लेकर बेहद उत्साहित दिखीं। उन्होंने कहा कि खुला बाजार किसानों को कीमत बहुत कम देता है, इसलिए सरकारी खरीद ही किसानों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। उनके पास इस साल लगभग 100 क्विंटल धान है, और उन्हें उम्मीद है कि रजिस्ट्रेशन पूरा होते ही उन्हें उचित मूल्य मिल जाएगा।

राज्य भर के कई लैम्पस कार्यालयों में किसानों की भीड़ देखने को मिल रही है। यह संकेत है कि इस बार किसान सरकारी खरीद प्रणाली पर भरोसा कर रहे हैं, खासकर तेज भुगतान व्यवस्था के लागू होने के बाद।

कितना लक्ष्य रखा गया है इस बार?
झारखंड सरकार ने इस वर्ष धान खरीद का लक्ष्य पिछले साल की तरह ही 60 लाख क्विंटल निर्धारित किया है। झारखंड स्टेट फूड कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक सत्येंद्र कुमार के अनुसार, तैयारी जोर-शोर से चल रही है और सभी संबंधित संस्थाओं को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि MSP और बोनस को लेकर अंतिम निर्णय जल्द ही घोषित किया जाएगा। किसानों को किसी तरह की चिंता की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार पूरी प्रक्रिया को सुचारू और तेज बनाने पर ध्यान दे रही है।

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