रांची सदर अस्पताल की मेडिकल टीम ने रचा चमत्कार, गला कटे युवक की 15 मिनट में शुरू हुई सर्जरी और बचाई गई जान
रांची : रांची सदर अस्पताल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि समर्पण, टीम भावना और समय पर लिए गए सही निर्णय किसी भी असंभव स्थिति को संभव बना सकते हैं। अनगड़ा थाना क्षेत्र के जरगा गांव के 24 वर्षीय युवक, जो गला गहराई तक कटने की हालत में अस्पताल पहुंचा था, उसका जीवन चिकित्सकों ने सिर्फ 15 मिनट के भीतर शुरू हुई सर्जरी से बचा लिया। यह घटना सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमताओं का नायाब उदाहरण बन गई है।
मरीज पहुंचा गंभीर हालत में, सांस की नली तक कटा हुआ था गला
युवक को उसके परिजन गले पर खून से भीगा गमछा बांधकर अस्पताल लाए थे। गले का घाव इतना गहरा था कि सांस लेने का प्राकृतिक मार्ग बाधित हो चुका था। अत्यधिक खून बह रहा था और मरीज की हालत हर सेकंड बिगड़ रही थी। मरीज की गंभीरता को देखते हुए इमरजेंसी मेडिकल टीम तुरंत सक्रिय हो गई।
डॉ. अजीत कुमार ने संभाली कमान, 15 मिनट में तैयार हुआ ऑपरेशन थिएटर
सदर अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. अजीत कुमार ने मरीज की स्थिति को देखते ही तत्काल हेड एंड नेक सर्जन डॉ. अजय कुमार विद्यार्थी और प्लास्टिक सर्जन डॉ. तन्मय प्रसाद से संपर्क किया। साथ ही, एनेस्थीसिया विभाग के इंचार्ज डॉ. नीरज और उनके सहयोगियों को भी उच्चस्तरीय तैयारी के लिए अलर्ट किया गया। ओटी की टीम सिस्टर इंचार्ज स्नेहलता और उनकी टीम ने रिकॉर्ड समय में ऑपरेशन थिएटर को तैयार कर दिया। सभी जांचें, जैसे ABG, खून की जांच और सेरोलॉजी, तुरंत पूरी की गईं और सर्जरी शुरू हो गई।

दो घंटे चली जटिल सर्जरी, सांस लेने हेतु बनाया गया नया मार्ग
मरीज की जान बचाने का सबसे बड़ा कदम था — ट्रैकियोस्टॉमी, यानी गले में नया सांस लेने का मार्ग बनाना। इस जटिल प्रक्रिया के दौरान खून का बहाव रोकने और कटे हुए ऊतकों को सुरक्षित तरीके से जोड़ना अत्यंत चुनौतीपूर्ण था।ऑपरेशन लगभग दो घंटे चला। पूरी एनेस्थीसिया टीम — जिसमें डॉ. वसुधा गुप्ता, डॉ. आंचल और डॉ. विकास बल्लभ शामिल थे ने मरीज की स्थिति को स्थिर बनाए रखा। यह पूरी प्रक्रिया टीमवर्क का एक शानदार उदाहरण रही।
ऑपरेशन के बाद मरीज आईसीयू में, अगले 72 घंटे महत्वपूर्ण
सर्जरी पूरी होने के बाद मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहाँ डॉक्टर लगातार उसकी निगरानी कर रहे हैं। वर्तमान स्थिति स्थिर है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार आगामी 72 घंटे मरीज के जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। अस्पताल के विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक के संकेत सकारात्मक हैं।
इलाज हुआ पूरी तरह निःशुल्क, वरिष्ठ अधिकारियों ने की सराहना
सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार और उपाधीक्षक डॉ. विमलेश सिंह ने इस पूरी टीम की त्वरित कार्रवाई की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि सरकारी अस्पतालों के प्रति जनता के भरोसे को मजबूत करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह राहु की पूरी सर्जरी और उपचार निःशुल्क किया गया।
टीम के प्रमुख सदस्य
डॉ. अजय कुमार विद्यार्थी — हेड एंड नेक सर्जन ,डॉ. अजीत कुमार — लेप्रोस्कोपिक सर्जन, डॉ. तन्मय प्रसाद — प्लास्टिक सर्जन, डॉ. नीरज एवं एनेस्थीसिया टीम, ओटी स्टाफ: स्नेहलता, संतोष, कंचन, संजू, सीमा, सुरेश, नंदिनी, विरंजन
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में विश्वास जगाने वाली कहानी
यह सिर्फ एक सफल सर्जरी नहीं, बल्कि यह प्रमाण है कि सरकारी अस्पतालों में भी समय पर सही उपचार, विशेषज्ञों का अनुभव और टीम वर्क किसी भी गंभीर स्थिति में जीवन बचा सकता है। रांची सदर अस्पताल की यह उपलब्धि चिकित्सा जगत के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है, जहाँ हर सेकंड की लड़ाई में डॉक्टरों ने एक अनमोल जीवन को बचाया।



