अवैध डीजीपी पर बाबूलाल मरांडी का बड़ा हमला, हेमंत सरकार पर लगाया भ्रष्टाचार संरक्षण का आरोप
कुमार अमित
रांची : झारखंड की राजनीति एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। राज्य के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अवैध रूप से नियुक्त पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति से लेकर उनके निलंबन, सेवा विस्तार और अंत में त्यागपत्र लेने तक की पूरी कहानी “वसूली, तस्करी, अवैध उत्खनन, रंगदारी और भयादोहन के कुचक्र” से जुड़ी हुई है।
मरांडी ने कहा कि राज्य की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर क्यों एक ऐसे अधिकारी को संरक्षण दिया गया, जिसके खिलाफ गंभीर आरोप पहले से थे, और जिसे बाद में अवैध आय और आपराधिक गठजोड़ के मामलों में विवादित पाया गया।
“सीएम ने पहले विरोध किया, फिर डीजीपी बनाया—रहस्य गहरा है”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले अनुराग गुप्ता की नियुक्ति का विरोध किया था, बाद में उन्हें डीजीपी बनाया, सेवा विस्तार दिया और फिर मजबूरी में त्यागपत्र लेना पड़ा। उन्होंने पूछा कि अगर सब कुछ सही था, तो मुख्यमंत्री ने पहले विरोध क्यों किया? और अगर सब गलत था, तो फिर उन्हें डीजीपी क्यों बनाया गया?
मरांडी ने दावा किया कि यह विरोध और समर्थन की पूरी कहानी “लेन-देन और हिस्सेदारी” से जुड़ी है, और यही कारण है कि अब तक अनुराग गुप्ता के पूरे कार्यकाल की कोई निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई।
“वसूली और तस्करी का नेटवर्क चलाने वाले को बनाया गया डीजीपी”
मरांडी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अनुराग गुप्ता के संरक्षण में वसूली, अवैध खनन, तस्करी और रंगदारी का संगठित नेटवर्क खड़ा किया गया। उन्होंने कहा कि कई बिचौलियों और पुलिसकर्मियों— इंस्पेक्टर गणेश सिंह, सिपाही रंजीत राणा, मनोज गुप्ता और हरियाणा के किशन जी को वसूली का मुख्य ऑपरेटर बनाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि इन लोगों पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई। भ्रष्टाचारियों की इस फौज को सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
“शराब घोटाले से लेकर कफ सिरप तस्करी तक मुख्यमंत्री मौन”
मरांडी ने आरोप लगाया कि उन्होंने शराब घोटाले को लेकर पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र द्वारा सचेत किया था, पर सरकार ने जानबूझकर कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार भ्रष्टाचार रोकना चाहती तो बिहार की तरह अवैध संपत्ति जब्त करने का कानून बनाती। लेकिन सरकार उल्टा अपराधियों को बचाने में लगी रही।
उन्होंने कहा कि अवैध कफ सिरप तस्करी के मुद्दे पर जब गुजरात पुलिस कार्रवाई करने आई, तो उसी समय अवैध डीजीपी ने अपराधियों को बचाने के लिए सीआईडी जांच का बहाना बनाकर हस्तक्षेप किया।
“CID कार्यालय लूट का अड्डा बना हुआ था”
मरांडी ने बड़ा दावा किया कि जब अनुराग गुप्ता को सीआईडी और एसआईटी के डीजी पद से हटाया गया, तो वे रातों-रात सीआईडी कार्यालय से सभी संवेदनशील दस्तावेज हटाकर पेनड्राइव में सेव कर ले गए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि—
“अवैध डीजीपी अब दिल्ली और हरियाणा से मुख्यमंत्री को धमकियां दे रहा है।”
“माफिया और अपराधियों के साथ खुलेआम गठजोड़”
मरांडी ने कहा कि कुख्यात अपराधी सुजीत सिन्हा को पलामू की जेल में रखा गया, जबकि ऐसे अपराधियों को गृह जिले से बाहर की जेल में रखने का नियम है।
उन्होंने आरोप लगाया कि—
“राजेश राम जैसे अपराधी की बैठकी अनुराग गुप्ता की गोपनीय शाखा में होती थी। वसूली का पूरा खेल वहीं से चलता था।”
“मुख्यमंत्री जांच से क्यों भाग रहे हैं?”
मरांडी ने सवाल उठाया कि अगर सब कुछ ठीक था, तो मुख्यमंत्री अनुराग गुप्ता के पूरे कार्यकाल की जांच बैठाने से क्यों डर रहे हैं? उन्होंने कहा—
“अगर हेमंत सोरेन ने अब तक जांच नहीं कराई है, तो इसका मतलब साफ है—वसूली के खेल में हिस्सेदारी नहीं मिलने की लड़ाई है यह।”
“सीएम को मुफ्त सलाह—अनुराग गुप्ता को बना लें सलाहकार”
अंत में मरांडी ने तीखा व्यंग्य करते हुए कहा कि
“अगर मुख्यमंत्री अनुराग गुप्ता पर इतना विश्वास करते हैं, तो उन्हें अपना सलाहकार ही बना लें। ताकि कम से कम वे सुरक्षित रहें।”
उन्होंने अधिकारियों को भी चेतावनी दी कि वे सरकार के “टूलकिट” न बनें, क्योंकि भविष्य में जांच हुई तो वही अधिकारी सबसे पहले फंसेंगे।



