नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में घोषणा की कि केंद्र सरकार छठ महापर्व को UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है।
मोदी ने बताया कि जैसे दुर्गा पूजा को वैश्विक पहचान मिली है, वैसे ही छठ को भी अंतरराष्ट्रीय सम्मान दिलाने की योजना है। उन्होंने कहा कि यदि यह सफल हुआ तो दुनिया भर के लोग इस पर्व की भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर सकेंगे।
“हमारी संस्कृति को विश्व मंच पर पहचान मिलने का ये एक अहम कदम है। सरकार इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” — प्रधानमंत्री मोदी
सूर्यदेव को समर्पित छठ महापर्व बिहार की सांस्कृतिक परंपरा का भव्य और दिव्य उत्सव है। मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि हमारी सरकार इस महापर्व को UNESCO की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कराने के प्रयासों में जुटी है। #MannKiBaatpic.twitter.com/FSgbiq581B
प्रस्तावना और महत्व छठ महापर्व बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत में बड़ी श्रद्धा और विधि-रूपी भक्ति के साथ मनाया जाता है। सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य अर्पित करने की यह धार्मिक परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। UNESCO की सूची में शामिल होने का मतलब होगा कि यह पर्व सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि विश्वभर के लोगों द्वारा जाना-पहचाना जाएगा।
सरकार की रणनीति Bihar सरकार पहले से ही इस दिशा में सक्रिय है। राज्य की कला और संस्कृति विभाग ने योजना बनायी है कि वे INTA (केंद्र द्वारा समझे गए निकाय) और अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं की मदद लेकर छठ के दस्तावेजीकरण को पुष्ट करेंगे।
साथ ही NGO और सांस्कृतिक संस्थाएं गायन, नृत्य, लोकगीत, सामाजिक पहल और पर्यावरणीय संरक्षण से जुड़े छठ से जुड़ी विविध गतिविधियों का संग्रह भी कर रही हैं ताकि UNESCO को ज़रूरी डेटा और सामग्री प्रस्तुत की जा सके।
चुनौतियाँ और अवसर छठ महापर्व का UNESCO में प्रवेश आसान नहीं होगा। इसके लिए विस्तृत दस्तावेजीकरण, कानूनी मान्यताएं और सांस्कृतिक प्रतिमानों का सुरक्षा स्वरूप देना होगा। लेकिन इसके साथ भारत को यह अवसर मिलेगा कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को ग्लोबली प्रमोट करे, पर्यटन को बढ़ावा मिले और छठ समुदाय की पहचान और गर्व में वृद्धि हो।
यह कदम गांधी जयंती और चुनाव से पहले सामने आया है — जो कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम माना जा रहा है। छठ महापर्व की UNESCO में शामिल करने की पहल बिहार की पहचान को और सशक्त कर सकती है।