लाल किला ब्लास्ट: सुबह 8:04 पर दिल्ली में एंट्री, शाम 6:52 पर धमाका — 10 घंटे 48 मिनट की पूरी कहानी सामने आई
दिल्ली : दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण धमाके ने पूरे देश को झकझोर दिया है। जांच एजेंसियों ने इस विस्फोट की मिनट-टू-मिनट कहानी जोड़नी शुरू कर दी है। जांच में सामने आया है कि सफेद Hyundai i20 कार, जिसमें विस्फोट हुआ, वह सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर बदरपुर टोल बूथ से दिल्ली में दाखिल हुई थी।
CCTV फुटेज में साफ दिख रहा है कि कार के नंबर प्लेट स्पष्ट हैं। इसके कुछ मिनट बाद, 8:20 बजे, यह कार ओखला इंडस्ट्रियल एरिया के पास एक पेट्रोल पंप पर दिखाई दी, जहाँ उसने थोड़ी देर रुककर ईंधन भरवाया।
लाल किले की ओर बढ़ी कार — तीन घंटे तक पार्किंग में रही खड़ी
करीब दोपहर 3:19 बजे, यह कार सुनहरी मस्जिद के पास बने पार्किंग एरिया में दाखिल होती नजर आई। एजेंसियों के अनुसार, कार लगभग तीन घंटे तक लाल किला परिसर के पास पार्क रही। इस दौरान कार के अंदर या आसपास कोई व्यक्ति आता-जाता नहीं दिखा। शाम 6:22 बजे, कार पार्किंग से बाहर निकलती है और दरियागंज-कश्मीरी गेट की ओर बढ़ती है।
6:52 बजे धमाका — दिल्ली की शाम दहला दी
सिर्फ 30 मिनट बाद, शाम 6 बजकर 52 मिनट पर, लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास तेज़ विस्फोट हुआ।
धमाके की आवाज़ कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। कुछ ही सेकंड में आग, धुआं और चीख-पुकार से पूरा इलाका दहल गया। 11 लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हुए।
दिल्ली पुलिस, फायर ब्रिगेड और NIA की टीमें मौके पर पहुंचीं। फोरेंसिक विशेषज्ञों ने कार के मलबे से केमिकल रेज़िड्यू और डिटोनेटर के टुकड़े बरामद किए हैं।
जांच एजेंसियों ने 100 CCTV फुटेज खंगाले — तैयार हुआ ‘ब्लास्ट ब्लूप्रिंट’
स्पेशल सेल और NIA ने अब तक 100 से ज्यादा CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली है। इन फुटेज के आधार पर कार की 10 घंटे 48 मिनट की यात्रा का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कार की लोकेशन बदरपुर, ओखला, सुनहरी मस्जिद, दरियागंज, सुभाष मार्ग और कश्मीरी गेट में दर्ज की गई है।
यह भी सामने आया है कि कार फरीदाबाद के रॉयल कार जोन शोरूम (सेक्टर-37) से खरीदी गई थी। जब पुलिस ने डीलर से संपर्क किया तो उसका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। अब शोरूम मालिक और संबंधित कर्मचारियों की तलाश जारी है।
दिल्ली पुलिस की रडार पर 13 संदिग्ध — कश्मीर से कनेक्शन
जांच में कई राज्यों का कनेक्शन सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने 13 संदिग्धों को रडार पर लिया है, जिनमें से कई से पूछताछ जारी है। वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आमिर नाम के एक युवक को हिरासत में लिया है, जो कथित रूप से धमाके से पहले दिल्ली में मौजूद था।
लखीमपुर से गुजरात तक फैला नेटवर्क
जांच की दिशा अब उत्तर प्रदेश और गुजरात तक पहुंच गई है। गुजरात ATS ने अहमदाबाद से आईएसकेपी मॉड्यूल के तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक मोहम्मद सोहेल, लखीमपुर खीरी जिले के सिंघाही थाना क्षेत्र के झाला गांव का रहने वाला है। सोहेल के पिता ट्रैक्टर मिस्त्री हैं, और परिवार बेहद साधारण है। वह मुजफ्फरनगर के जामिया दारुल उलूम अजीजिया मदरसे में पढ़ता था और कुछ महीनों पहले गुजरात गया था।
परिवार का दावा है कि सोहेल एक हफ्ते पहले घर पर फोन करके बोला था कि वह “किसी काम से गुजरात जा रहा है।”
अब उसका नाम एक बड़े आतंकी नेटवर्क से जुड़ने के बाद जांच एजेंसियों की गिरफ्त में है।
सुलेमान शेख से लिंक — मदरसे से उपजा साजिश का धागा
सोहेल का संपर्क शामली जिले के चरन गांव के सुलेमान शेख से था। दोनों एक ही मदरसे में पढ़ते थे। एजेंसियों का मानना है कि यही दोनों युवक गुजरात के मॉड्यूल को उत्तर प्रदेश के नेटवर्क से जोड़ने का माध्यम बने। अब NIA और दिल्ली पुलिस दोनों इन दोनों राज्यों के बीच के नेटवर्क को जोड़ने में जुटी हैं।
महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी — आतंकी नेटवर्क का नया चेहरा
इस जांच में एक और बड़ा मोड़ तब आया जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लखनऊ की डॉ. शाहीन शाहिद को हिरासत में लिया।
पुलिस का दावा है कि उनकी कार का इस्तेमाल डॉ. मुजामिल नाम के व्यक्ति द्वारा किया जा रहा था, जिससे राइफल और जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं। दोनों के बीच कई बार मुलाकात और फोन संपर्क की पुष्टि हुई है। अब पुलिस यह जांच रही है कि क्या शाहीन इस पूरे नेटवर्क से वाकिफ थीं या उनका इस्तेमाल किया गया।
दिल्ली फिर एक निशाने पर — जांच एजेंसियां हाई अलर्ट पर
यह धमाका न केवल दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि आईएसकेपी जैसे आतंकी संगठन अब नई रणनीति से काम कर रहे हैं। NIA, दिल्ली पुलिस, और फॉरेंसिक टीमें मिलकर इस केस को हल करने में लगी हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने खुद जांच की निगरानी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा —
“यह दिल्ली पर हमला नहीं, भारत की आंतरिक शांति पर प्रहार है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
10 घंटे 48 मिनट का सफर — 11 ज़िंदगियों की कीमत
सुबह 8:04 पर दिल्ली में दाखिल हुई एक कार, शाम 6:52 पर मौत का प्रतीक बन गई। इन 10 घंटे 48 मिनटों ने न सिर्फ 11 निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि देश को यह याद दिलाया कि आतंक का हर चेहरा नया रूप लेकर लौटता है — लेकिन भारत की एकजुटता और सुरक्षा तंत्र उसके हर वार से मजबूत होकर उभरते हैं।



